कॉलेज ऑफ कॉमर्स में लॉकडाउन व्याख्यान श्रृंखला 8 का आयोजन, बोले प्रो. टीके शॉडिल्य-सब्सिडी की वजह से सरकारी खजाने पर पड़ रहा बोझ

पटना में कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस, पटना ने इकोनामिक एसोसिएशन ऑफ़ बिहार और इंडियन इकोनामिक एसोसिएशन के सहयोग से लॉकडाउन व्याख्यान श्रृंखला 8 का आयोजन किया। “कोविड-19 और भारत में ग्रामीण गृहस्थी के बीच प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण” व्याख्यान के उद्घाटन समारोह में प्रोफेसर तपन कुमार शांडिल्य ने कहा कि प्रत्यक्ष लाभ अंतरण या डीबीटी भारत सरकार का एक नया तंत्र है. जिसके माध्यम से लोगों के बैंक खातों में सीधे धनराशि अंतरित की जाती है। इसके साथ ही उन्होंने कहा कि भारत सरकार समय-समय पर समाज के वंचित वर्गों के लिए कल्याण योजनाएं शुरू करती रहती हैं, जिसकी वजह से सब्सिडी के रूप में सरकारी खजाने पर भारी बोझ पड़ा है।

अनौपचारिक ऋण एजेंसियों पर हमारी आश्रितता को कम करेगा

इंटरनेशनल फूड पॉलिसी रिसर्च इंस्टीट्यूट दिल्ली के विशेषज्ञ डॉ० अंजनी कुमार ने डीबीटी के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डाला। उन्होंने डीबीटी के तीन प्रकार बिना शर्त प्रत्यक्ष लाभ अंतरण, शर्त के साथ प्रत्यक्ष लाभ अंतरण और वाउचर की चर्चा की और कहा कि यह यंत्र सहायता में अनुदान से प्रत्यक्ष लाभ हस्तांतरण की ओर प्रतिमान विस्थापन है। इसपर प्रकाश डालने हुए उन्होंने कहा कि यह अनौपचारिक ऋण एजेंसियों पर हमारी आश्रितता को कम करेगा। यह उत्पाद और मूल्य को भी प्रभावित नहीं करेगा। सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि यह डब्ल्यूटीओ के ग्रीनबॉक्स के प्रावधानों से संगत रखता है। उन्होंने लाभार्थी की परिभाषा, ओनरशिप और टेनान्सी से संबंधित कार्यान्वयन और क्षेत्रीय विभिन्नता से संबंधित चुनौतियों की चर्चा की। उन्होंने कहा कि आदर्श वितरण प्रणाली क्या होनी चाहिए यह एक विचारणीय विषय है क्योंकि उपलब्ध प्रणाली और वांछित प्रणाली में कोई संबंध नहीं है। उन्होंने तरलता को बढ़ाने के लिए डीबीटी के संघटकों और समर्थन संघटकों की चर्चा की। इस प्रणाली की कार्यविधि को दिखाने के लिए 7 राज्यों की चर्चा की, जो भारत के 50 प्रतिशत जनसंख्या के साथ 9 प्रतिशत ग्रामीण जनसंख्या का आवरण करती है।

उन्होंने खाद्य सुरक्षा के विभिन्न आयामों पर प्रकाश डालते हुए “फार्म मैकेनाइजेशन और सब्सिडी डिलीवरी मेकैनिज्म” की चर्चा की। उन्होंने भविष्य में की जाने वाली क्रियाओं की पर्याप्तता, योगिता और प्रभावशीलता पर विशेष जोर दिया और कहा कि हमें अधिक से अधिक ग्रामीण और शहरी गृहस्थी को इस यंत्र में शामिल करना होगा तभी त्रुटियों दूर की जा सकती है। इकोनामिक एसोसिएशन ऑफ बिहार के सचिव डॉ० अनिल कुमार ठाकुर ने कहा कि डीबीटी को यंत्र के रूप में सराहा। उन्होंने कार्यान्वयन त्रुटियों की चर्चा की।

डीबीटी में किसी तरह के फ्रॉड की कोई गुंजाइश नहीं

कॉलेज ऑफ कॉमर्स के अर्थशास्त्र विभागध्यक्ष प्रोफेसर डॉ० रश्मि अखौरी ने कहा कि डीबीटी योजना का सबसे बड़ा फायदा यह है कि इसमें किसी तरह के फ्रॉड की कोई गुंजाइश नहीं रहती है। इसमें बिचौलियों की कोई भूमिका नहीं रहती है, इस प्रकार सरकारी योजना का पूरा फायदा लाभार्थी को मिल जाता है।

विभिन्न विभागों में सामंजस्य लाने की आवश्यकता

वहीं डी० जी० वैष्णव कॉलेज, चेन्नई के प्रोफेसर एस० नारायण ने अपने अवलोकन में मुख्य वक्ता के व्याख्यान के मुख्य बिंदुओं पर प्रकाश डाला और कहा कि उन्होंने विभिन्न आयामों को सांख्यिकी की सहायता से समझाया जो कि बहुत ही सराहनीय है। प्रोफेसर बी० पी० चंद्रमोहन, सचिव, इंडियन इकोनामिक एसोसिएशन, अर्थशास्त्र विभाग, प्रेसीडेंसी कॉलेज, चेन्नई ने अपने समन्वित टिप्पणी में कहा कि डीबीटी कोरोनावायरस महामारी के दौरान एक बड़े हथियार के रूप में सामने उभर कर आया है, जिसके तहत लाभार्थियों को करोड़ों रुपए के भुगतान किए गए। डीबीटी योजनाओं के तहत किसी भी प्रकार की कार्यविधि के लिए विभिन्न विभागों में सामंजस्य लाने की आवश्यकता है।

पाटलिपुत्र विश्वविद्यालय के अर्थशास्त्र विभाग के प्रोफेसर डॉ० प्रवीण कुमार व्याख्यान के समाप्ति पर धन्यवाद दिया। इस व्याख्यान श्रृंखला में विभिन्न विभागों के शिक्षक प्रोफेसर उमेश प्रसाद, प्रोफेसर अनिता दास, प्रोफेसर हंसा गौतम, प्रोफेसर प्रीति सिन्हा, प्रोफेसर अंजू जैन, प्रोफेसर दिलीप कुमार, प्रोफेसर सलोनी, प्रोफेसर संजय कुमार पांडे, प्रोफेसर नवेन्दु शेखर, प्रोफ़ेसर के० एन० यादव, प्रोफेसर रमेश चौधरी, प्रोफेसर मृदुला कुमारी, प्रोफेसर विवेक कुमार, प्रोफेसर संगीता कुमारी, प्रोफेसर बैकुंठ राय और आइ०क्यू०ए०सी० के समन्वयक प्रोफेसर संतोष कुमार भी उपस्थित थे। विभिन्न विभागों के शिक्षकों और विभिन्न अतिथियों की सहभागिता ने इस व्याख्यान श्रृंखला को सफल बनाया। विभिन्न विभागों के विद्यार्थियों ने अपनी सहभागिता से इस व्याख्यान श्रृंखला का लाभ उठाया। खुले सत्र में प्रश्नों के पूछे जाने से यह व्याख्यान श्रृंखला और भी दिलचस्प और ज्ञानप्रद हो गया। इस व्याख्यान श्रृंखला को विभिन्न विभाग के शिक्षकों, अतिथियों और विद्यार्थियों ने भी अपनी सहभागिता से जीवंत बना दिया।