“आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदमः चाइनीज एप्प पर प्रतिबंध“ विषय पर PIB के वेबिनार में बोले जीएस गंगवार, डाटा आज के दौर का ’’नया आयल’’

सूचना एवं प्रसारण मंत्रालय, भारत सरकार के पत्र सूचना कार्यालय (पीआईबी), पटना द्वारा आज “आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ते कदमः चाइनीज एप्प पर प्रतिबंध“ विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार की अध्यक्षता कर रहे पीआईबी, पटना के अपर महानिदेशक शैलेश कुमार मालवीय ने विषय प्रवेश संबोधन में कहा कि हमें यह समझने की जरूरत है कि चीनी एप्स पर पाबंदी लगाने की जरूरत क्यों महसूस हुई। यह किस तरह हमारी राष्ट्रीय सुरक्षा के लिए एक खतरा बन गये हैं। साथ ही साथ हमारी आर्थिक सुरक्षा में भी इन एप्स के जरिए किस प्रकार से सेंध लगाया जा सकता है। एक आम आदमी साइबर क्राइम से कैसे बच सकता है। इसके अलावा उन्होंने यह भी कहा कि चीनी एप्स पर पाबंदी लगाने के पश्चात हमें आत्मनिर्भरता के तहत अपने लिए स्वदेशी एप्स बनाने की दिशा में अग्रसर होने की जरूरत है।

’टैलेंट टैपिंग इकोसिस्टम’ बनाने की जरूरत पर जोर

मुख्य अतिथि वक्ता के रूप में बोलते हुए एडीजी आर्थिक अपराध इकाई, बिहार पुलिस के जी एस गंगवार ने कहा कि भारत सरकार ने 29 जून 2020 को 59 चीनी एप्स पर आईटी एक्ट की धारा 69 के तहत पाबंदी लगाई गई है। उन्होंने कहा कि ऐसे एप्स जब दूसरे देशों में लोकप्रिय कराए जाते हैं तो राष्ट्रीय सुरक्षा पर असर पड़ता ही है। उन्होंने कई तरह के संभावित खतरों का जिक्र करते हुए कहा कि ऐसे एप्प्स से हमारी एकता, अखंडता, संप्रभुता, सुरक्षा, लोक व्यवस्था और अर्थव्यवस्था को प्रभावित किया जा सकता है। गंगवार ने कहा कि भारत में 60 करोड़ मोबाइल फोन उपभोक्ता हैं जबकि इन्टरनेट इस्तेमाल करने वाले 80 करोड़ उपभोक्ता हैं। उन्होने कहा कि प्रतिबंधित एप्स चाइनीज टिक टॉक 50 प्रतिशत अधिक सूचनाएँ अन्य एप्स की तुलना में मांगता हैं । उन्हांने कहा कि आज इंटरनेट पर डाटा ट्रांसफर की जो दर है, वह बहुत ही विशाल है। इस समय लगभग डेढ़ लाख जीबी प्रति सेकंड की दर से डाटा का ट्रांसफर होता है। इन डाटा की वाशिंग और प्रोसेसिंग की जाती है। लेकिन सबसे महत्वपूर्ण बात यह है कि अंततः इस डेटा का उपयोग कहां और कैसे होता है। उन्होंने कहा कि एप्स द्वारा ऐसी-ऐसी जानकारियां और परमिशन मांगे जाते हैं, जिनकी कोई खास जरूरत नहीं होती। उन्होंने डाटा को आज का आयल बताया जिसे कंपनियां थर्ड पार्टी को बेचकर कमाई करती हैं। इन सबसे बचने के उपायों के बारे में उल्लेख करते हुए गंगवार ने ’टैलेंट टैपिंग इकोसिस्टम’ बनाने की जरूरत पर जोर दिया। उन्होंने कहा कि क्रिटिकल डाटा पर नियंत्रण तभी संभव हो सकेगा, जब इस तरह के सारे ऐप्स हमारे अपने हो। उन्होंने बताया कि साइबर क्राइम इन्वेस्टिगेशन में बाहरी कंपनियों द्वारा समय पर और पूरा सहयोग नहीं मिलता।

पूरे सामाजिक जीवन को प्रभावित कर रहा डिजिटाइजेशन

वेबिनार में अतिथि वक्ता के तौर पर शामिल राष्ट्रीय इलेक्ट्रॉनिकी एवं सूचना प्रौद्योगिकी संस्थान पटना सेंटर के डायरेक्टर-इन-चार्ज आलोक त्रिपाठी ने कहा कि पहले इस तरह का डिजिटाइजेशन नहीं था लेकिन अब हम तेजी से डिजिटाइजेशन की ओर बढ़ रहे हैं। डिजिटाइजेशन हमारे जीवन के हर पहलू को छू रहा है। हमारे पूरे सामाजिक जीवन को डिजिटाइजेशन प्रभावित कर रहा है। उन्होंने कहा कि जब कोई नई चीज आती है तो वह अपने साथ चुनौतियां भी लेकर आती है। हमें डिजिटल इकॉनमी व डिजिटाइजेशन से जुड़ी चुनौतियां का भी सामना करना पड़ेगा। श्री त्रिपाठी ने कहा कि केंद्र सरकार के द्वारा चाइना की 59 एप्प पर प्रतिबंध लगाया जाना बिल्कुल सही फैसला था क्योंकि चाइनिज एप्प कंपनियां हमारे लोगों की डेटा की चोरी कर रही थीं। ’इंफार्मेशन वारफेयर’ की स्थिति में हमारे डेटा का गलत इस्तेमाल किया जा सकता था, लिहाजा सरकार के द्वारा सही समय पर उचित कदम उठाया गया। कलपक्कम न्यूक्लियर पावर प्लांट पर साइबर हमले की खबर यह बताने के लिए काफी है कि इंफार्मेशन वारफेयर में यह हमारे देश के लिए किस तरह गंभीर स्थिति उत्पन्न कर सकता है। श्री त्रिपाठी ने कहा कि चाइनीज एप्प पर प्रतिबंध लगाने से जहां लोगों की निजी डेटा की चोरी को रोका गया, वहीं चीन को आर्थिक रूप से भी नुकसान हुआ है। आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ने के लिए आईटी कंपनियों को प्रोडक्ट डेवलपमेंट पर काम करना होगा।

प्रतिबंध से चीन को करीब 6 मिलियन डॉलर का नुकसान

अतिथि वक्ता के तौर पर राष्ट्रीय सहारा के पूर्व वरिष्ठ समूह संपादक ओंकारेश्वर पांडेय ने कहा कि जो घटना 15 जून को गलवान घाटी में हुई, उसके महज एक ही हफ्ते में भारत में 40,300 बार साइबर हमले किए गए थे। यह घटना इस बात की तस्दीक करती है कि केंद्र सरकार के द्वारा चाइनीज एप्प पर प्रतिबंध लगाया जाना कितना आवश्यक था। उन्होंने कहा कि भारत सोशल मीडिया का बहुत बड़ा बाजार है और एक आंकड़े के मुताबिक 59 चाइनीज एप्प पर प्रतिबंध लगाए जाने से चीन को करीब 6 मिलियन डॉलर का नुकसान हुआ है। हमारी मौजूदा सरकार कठोर फैसले लेने के लिए ही जानी जाती है और उसी का नतीजा है कि केंद्र सरकार ने बिना देरी किए चाइनीज एप्स पर प्रतिबंध लगा दिया। उन्होंने कहा कि यह केवल डेटा चोरी या आर्थिक लाभ का मामला नहीं है बल्कि डेटा के दुरुपयोग से हमारे मजबूत लोकतांत्रिक एवं सामाजिक ताने-बाने को कमजोर करने का भी मामला है। श्री पांडेय ने कहा कि हमारी आबादी बहुत बड़ी है और यहां किसी भी स्वदेशी एप को तुरंत लोकप्रियता मिल सकती है। सरकार के द्वारा चलाई जा रही’ मेक इन इंडिया’ योजना के माध्यम से इसे बढ़ावा दिया जाना चाहिए।

डिजिटाइजेशन से 40 लाख नए रोजगार की संभावनाए

भवन निर्माण विभाग, बिहार सरकार के विशेष सचिव एवं बीएसएनएल, बिहार सर्कल के पूर्व जीएम मनीष कुमार ने वेबिनार को संबोधित करते हुए कहा कि देश में डिजिटाइजेशन के माध्यम से 40 लाख नए रोजगार की संभावनाएं हैं। भारत में बैन किए गए चाइनीज एप के विकल्प में बहुत सारे स्वदेशी एप्प का निर्माण किया जा चुका है। शेयर ऑल, फोटो वीडिया मेकर एंड म्यूजिक, से नमस्ते जैसे कुछ स्वदेशी एप्प बनाए गए हैं। उन्होंने कहा कि डिजिटल क्रांति में आत्मनिर्भरता देश के लिए बेहद जरूरी है।

अतिथि वक्ता के रूप में IIM लखनऊ से PGDM एवं ई-गवर्नेंस कंपनी, दिल्ली में पूर्व CFO रहे साइबर गुरु राहुल कृष्ण ने कहा कि हमें स्कूली स्तर पर ही डिजिटल इंडिया के सिलेबस को समाहित करना होगा, ताकि बच्चे कम उम्र से ही डिजिटली साउंड हो सकें। साथ ही राष्ट्रीय स्तर पर डेटा प्राइवेसी पॉलिसी बनाने की भी जरूरत महसूस की जा रही है। केंद्र सरकार को इस दिशा में भी कदम उठाना चाहिए।

कार्यक्रम का संचालन पीआईबी के सहायक निदेशक संजय कुमार ने तथा समापन संबोधन व धन्यवाद ज्ञापन पीआईबी के निदेशक दिनेश कुमार ने किया।