‘स्वतंत्रता संग्राम और भारतीय प्रेस’ पर वेबिनार आयोजित, वक्ताओं ने कहा आजादी में प्रेस की अहम भूमिका

74 वें स्वतंत्रता दिवस के उपलक्ष्य में पीआईबी, पटना तथा पटना विमेंस कॉलेज के संयुक्त तत्वावधान में “स्वतंत्रता संग्राम और भारतीय प्रेस“ विषय पर वेबिनार का आयोजन किया गया। वेबिनार की अध्यक्षता पीआईबी पटना के अपर महानिदेशक एसके मालवीय, ने की। वहीं अतिथि वक्ता के तौर पर पीआईबी पटना के निदेशक दिनेश कुमार, बीएन मंडल यूनिवर्सिटी के इतिहास की असिस्टेंट प्रोफेसर अर्चना चौधरी, के साथ-साथ प्रभात खबर के स्थानीय संपादक अजय कुमार ने हिस्सा लिया। वेबिनार का संचालन पटना विमेंस कॉलेज के जनसंचार विभाग की विभागाध्यक्ष मिंती चकलानविस ने की।

आजादी की भूमिका में प्रेस का अमूल्य योगदान-एसके मालवीय

वेबिनार को संबोधित करते हुए पीआईबी पटना के अपर महानिदेशक एस के मालवीय ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम के इतिहास में बाल गंगाधर तिलक, पंडित मदन मोहन मालवीय जैसे विभूतियों को कभी भुलाया नहीं जा सकता है। इन्होंने देश की दिशा बदलने, भारत को आजाद कराने और पत्रकारिता के क्षेत्र में अपना बहुमूल्य योगदान दिया है। उन्होंने आनंद बाजार पत्रिका को फादर ऑफ इन्वेस्टिगेटिव जर्नलिज्म की संज्ञा दी है। उन्होंने कहा कि देश के इतिहास में सबसे पहली खोजी पत्रकारिता का चलन आनंद बाजार पत्रिका ने ही शुरू की थी। उन्होंने स्वतंत्रता संग्राम के दौरान प्रकाशित होने वाली कई पत्र-पत्रिकाओं का जिक्र करते हुए कहा कि आज के विद्यार्थियों को भारतीय स्वतंत्रता संग्राम का इतिहास जरूर पढ़ना चाहिए।

आजादी के दौर में पत्रकारिता से लाभ कमाना लक्ष्य नहीं था-दिनेश कुमार

अतिथि वक्ता के रूप में वेबिनार को संबोधित करते हुए पीआईबी के निदेशक दिनेश कुमार ने कहा की स्वतंत्रता संग्राम के दौर के प्रेस एक ओर जहां आम-आवाम को शिक्षित करने का काम कर रहे थें, वहीं दूसरी ओर वे सामाजिक सुधार के मूल वाहक के रूप में भी अपनी भूमिका निभा रहे थें। उस दौर के प्रेस का मूल उद्देश्य लाभ कमाना कतई नहीं था। उन्होंने कहा कि आजादी के दौर में प्रेस का मूल काम- प्रेरणा देने, व्यक्तिगत आदर्श को बनाए रखने, राष्ट्रीय एकता की भावना को जन-जन में फूकने, लोगों को संगठित करने, भाईचारे को बढ़ाने और देश को एक आजाद मुल्क बनाने का था। उन्होंने अंग्रेजों के आगमन के बाद शुरू हुई पत्रकारिता से लेकर स्वतंत्रता संग्राम तक के सफर में प्रेस से जुड़े कानूनों पर विस्तार से चर्चा की।

19 वीं सदी का दौर सामाजिक आंदोलन का दौर रहा-डॉ अर्चना चौधरी

अतिथि वक्ता के तौर पर डॉ अर्चना चौधरी सहायक प्रोफेसर, बीएन मंडल यूनिवर्सिटी, मधेपुरा ने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में सामाजिक आंदोलनों की एक महत्वपूर्ण भूमिका रही है। 19 वीं सदी का दौर सामाजिक आंदोलन का दौर रहा है। इस दौरान ब्रह्म समाज, प्रार्थना समाज, आर्य समाज, सत्यशोधक समाज, अलीगढ़ मूवमेंट, थियोसॉफिकल सोसायटी ऑफ इंडिया, रामकृष्ण मिशन जैसे सामाजिक आंदोलन चलाए जाते हैं, जिसकी भारत की तस्वीर बदलने में महती भूमिका है। उन्होंने पॉवर पॉइंट प्रेजेंटेशन के माध्यम से स्वतंत्रता आंदोलन को तीन खंडों में बांटकर विस्तार से अपनी बात रखी। उन्होंने कहा कि स्वतंत्रता संग्राम में भारतीय प्रेस की भूमिका अविस्मरणीय रही है।

अतिथि वक्ता के रूप में प्रभात खबर के स्थानीय संपादक अजय कुमार ने कहा कि जब 1917 में महात्मा गांधी बिहार आए थे तो इसकी खबर ब्रिटेन के अखबारों में भी छपी थी। वहां के अखबारों में गांधी जी के साथ किए गए बर्ताव और नील किसानों के दर्द को बयां किया गया था। उस समय ब्रिटेन में इस खबर का व्यापक असर पड़ा था। उन्होंने कहा कि भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में वर्नाकुलर अखबारों खासकर उर्दू अखबारों की भूमिका भी बेहद महत्वपूर्ण रही है।