बिहार विधान परिषद चुनाव से पहले राजद में पड़ी सेंध, पार्टी का दामन छोड़ने लगे कई नेता।

बिहार विधान परिषद की 24 सीटों के चुनाव को लेकर महागठबंधन टूट चुका है। राजद ने अपने 23 और सीपीआई की एक सीट के लिए उम्मीदवारों के नाम की घोषणा कर दी है। एमएलसी चुनाव में विधान सभा उपचुनाव की तरह ही राजद और कांग्रेस का गठबंधन नहीं हुआ है। वही राजद के इस कदम के बाद कांग्रेस भी अब सभी सीटों पर अपने उम्मीदवार उतारने की तैयारी में जुट गई है। जाहिर है कि एनडीए और राजद के बीच लड़ाई के साथ ही अब कांग्रेस और राजद के बीच भी दिलचस्प मुकाबला देखने को मिलने वाला है। राजद में जिन नेताओं को टिकट नहीं मिला है वे अपनी राजनीतिक जमीन तलाश रहे हैं। कांग्रेस की नजर भी ऐसे असंतुष्ट नेताओं पर है।

शुक्रवार 9 मार्च से बिहार विधान परिषद चुनाव के लिए नामांकन की प्रक्रिया शुरू हो जायेगी और 16 मार्च नामांकन की अंतिम तारीख है। वहीं 24 सीटों पर हो रहे एमएलसी चुनाव में धन-बल का खेल भी पर्दे के पीछे बड़े पैमाने पर चल रहा है। चुन-चुन कर धन-बल से मजबूत उम्मीदवारों को पार्टियां मैदान में उतार रही हैं। राजद ने अनंत सिंह के करीबी कार्तिकेय को पटना से टिकट दिया है। पार्टी के रीतलाल यादव भी अपने भाई को उम्मीदवार बनाना चाहते थे लेकिन उनके भाई को उम्मीदवार नहीं बनाया गया। जिसको लेकर रीतलाल यादव पार्टी से नाराज बताए जा रहे थे। सूत्रों के अनुसार रीतलाल यादव को तेजस्वी यादव ने मना लिया है। लेकिन ऐसी कई सीटें हैं जहां राजद अपने पार्टी के फैसलों से असंतुष्ट नेताओं को मना नहीं पा रही है। राजद के अंदर बड़े पैमाने पर पार्टी के साथ भीतरघात करने का खतरा लगातार बना हुआ है। इससे बचने के लिए पार्टी के आला कमान सख्त नजर आने लगे हैं। तेजस्वी यादव ने पूर्व विधायक गुलाब यादव और पूर्व विधायक महेश्वर सिंह को पार्टी विरोधी कार्रवाई के आरोप में छह साल के लिए निष्कासित कर पार्टी के असंतुष्टों को साफ संदेश दे दिया है कि पार्टी में अनुशासनहीनता बर्दाश्त नहीं की जाएगी।

गुलाब यादव ने अपनी पत्नी अंबिका गुलाब यादव को निर्दलीय प्रत्याशी बना दिया है और महेश्वर सिंह खुद चुनाव मैदान में उतर रहे हैं। नवादा से श्रवण कुशवाहा को उम्मीदवार बनाने के बाद वहां के जिला अध्यक्ष महेन्द्र यादव ने अध्यक्ष पद से पहले ही इस्तीफा दे दिया है। वे 8 साल से पार्टी के अध्यक्ष थे। राजद के प्रदेश प्रवक्ता चित्तरंजन गगन कहते हैं कि राष्ट्रीय अध्यक्ष लालू प्रसाद, नेता प्रतिपक्ष तेजस्वी यादव और प्रदेश अध्यक्ष जगदानंद सिंह का साफ निर्देश है कि विधान परिषद की सभी सीटें जीतनी है। इसलिए पार्टी का हर सदस्य अनुशासन में रहे। पार्टी विरोधी गतिविधियों में शामिल होने पर पार्टी निष्कासित करने में जरा भी समय नहीं लगाएगी। पार्टी ने जो भी उम्मीदवार दिया है काफी विचार-मंथन के बाद दिया है। क्षेत्र के वरिष्ठ नेताओं से बातचीत के बाद ही उम्मीदवार बनाए गए है।

राजद ने जो सबसे पहली सूची जारी की थी, उसमें पटना से कार्तिकेय कुमार, भोजपुर से अनिल सम्राट, गया से रिंकू यादव, नालंदा से बीरन यादव, रोहतास से कृष्ण सिंह, औरंगाबाद से अनुज सिंह, छपरा से सुधांशु रंजन पांडे, सिवान से विनोद जायसवाल, दरभंगा से उदय शंकर यादव, पूर्वी चंपारण से बबलू देव, पश्चिमी चंपारण से सौरव कुमार, मुजफ्फरपुर से शंभू सिंह, वैशाली से सुबोध राय, सीतामढ़ी से कब्बू खिरहर, मुंगेर से अजय सिंह, कटिहार से कुंदन कुमार, सहरसा मधेपुरा से अजय सिंह, मधुबनी से मेराज आलम, गोपालगंज से दिलीप सिंह और बेगूसराय से मनोहर यादव को उम्मीदवार बनाया। भागलपुर से सीपीआई के संजय यादव को उम्मीदवार बनाया है।