पारदर्शी कराधान, ईमानदार का सम्मान, पारदर्शी तरीके से कर भुगतान कर राष्ट्र निर्माण में करें योगदान

पारदर्शी कराधान एवं ईमानदार का सम्मान विषय की गहराइयों में जाने का प्रयास करें तो सबसे पहले हमें यह समझना होगा कि पारदर्शिता पहले की अपेक्षा कैसे बढ़ी है, इसका व्यापक प्रभाव कैसे ईमानदार करदाताओं को सम्मानित करेगा एवं उनके आगे आकर कर भुगतान से प्रत्यक्ष रूप से राष्ट्र निर्माण में उनकी भागीदारी बढ़ेगी। भारत में करदाता का आधार सिर्फ 1.5 करोड़ है, जो कि बहुत ही कम है। पारदर्शी कराधान की प्रक्रिया करों का भुगतान करने वाले हैं लोगों से आग्रह करता है कि वे आगे आएं और पारदर्शी तरीके से कर भुगतान कर राष्ट्र निर्माण में योगदान करें। कर सुधार को आसान बनाने और ईमानदार करदाताओं को पुरस्कृत करने के उद्देश्य से इस प्रक्रिया के अगले चरण हैं-

फेसलेस मूल्यांकन

करदाताओं का चार्टर

क्या है चेहराविहीन (फेसलेस) मूल्यांकन

फेसलेस मूल्यांकन के दौरान, करदाता को किसी भी जगह पर जाने या किसी अधिकारी से मिलने की आवश्यकता नहीं है। फेसलेस आकलन और अपील से संबंधित पहलू यह सुनिश्चित करेगा कि व्यक्तिगत पूर्वाग्रह और आकलन का कोई अवसर नहीं हो।अपील निष्पक्ष और पारदर्शी तरीके से हो, ताकि करदाताओं के लिए हतोत्साहित करने वाली अनावश्यक विवाद और लंबी खींची गई मुकदमेबाजी से बचा जा सके।

इस योजना का परिणाम यह है कि करदाता अब आकलन के लिए किसी विशिष्ट क्षेत्र या अधिकार क्षेत्र या कार्यालय से संलग्न नहीं होंगे। क्योंकि केंद्रीय प्रत्यक्ष कर बोर्ड ने इसके बजाय एक फेसलेस, यादृच्छिक (त्ंदकवउ) और पूरी तरह से इलेक्ट्रॉनिक मूल्यांकन योजना शुरू की है। राष्ट्रीय ई-आकलन केंद्र (नेक) को करदाताओं और कर अधिकारियों के बीच संचार के मुख्य द्वार के रूप में सशक्त किया गया है। राष्ट्रीय ई-आकलन केंद्र (नेक) की स्थापना की गई है जिसका मुख्यालय नई दिल्ली में होगा। इसके अलावा, दिल्ली, मुंबई, कोलकाता और चेन्नई सहित 20 शहरों में फेसलेस मूल्यांकन योजना के तहत क्षेत्रीय ई-आकलन केंद्र 13 अगस्त 2020 को अधिसूचित किए गए।
नई प्रणाली के तहत करदाताओं को आयकर जांच या मूल्यांकन नोटिस प्राप्त करने पर क्षेत्रीय न्यायिक कर अधिकारियों या आयकर विभाग का दौरा नहीं करना होगा। मूल्यांकन के लिए अपने मामले के चयन के लिए मुद्दों को निर्दिष्ट करते हुए, राष्ट्रीय ई-आकलन केंद्र धारा 143 की उप-धारा (2) के तहत करदाता को एक नोटिस प्रदान करेगा। क्लॉज (प) में निर्दिष्ट नोटिस की प्राप्ति की तारीख से पंद्रह दिनों के भीतर राष्ट्रीय ई-आकलन केंद्र को करदाता अपनी प्रतिक्रिया/जवाब भेज सकता है। अधिसूचना संख्या 60/2020 दिनांक 13 अगस्त 2020 में इन प्रक्रियाओं को विस्तृत रूप में बताया गया है।

राष्ट्रीय ई-मूल्यांकन केंद्र और करदाता या उसके अधिकृत प्रतिनिधि या किसी अन्य व्यक्ति के बीच सभी संचारों को बिना किसी भौतिक हस्तक्षेप के इलेक्ट्रॉनिक मोड द्वारा विशेष रूप से विनियमित किया जाएगा। राष्ट्रीय ई-मूल्यांकन केंद्र, क्षेत्रीय ई-मूल्यांकन केंद्र और विभिन्न इकाइयों के बीच और अधिकारियों की टीम के बीच सभी विभागीय आंतरिक संचार और विमर्श विशेष रूप से इलेक्ट्रॉनिक मोड द्वारा किया जाएगा। एनईएसी द्वारा नोटिस के मुद्दों में एक दस्तावेज पहचान संख्या (डॉक्यूमेंट आईडेंटिफिकेटोइन नंबर) होगा। प्रक्रिया इस तरह से डिज़ाइन की गई है कि यह हमेशा कर प्राधिकरण और टीम की पहचान छिपाएगी।
इस योजना का उद्देश्य फेसलेस स्क्रूटनी की ओर बढ़ना और मूल्यांकन कार्यवाहियों में मानवीय पूर्वाग्रहों को समाप्त करना है।

करदाताओं के चार्टर

करदाताओं का चार्टर यह सुनिश्चित करता कि करदाताओं के कुछ अधिकार हैं और इन अधिकारों को सुरक्षित रखने के लिए कर प्रशासन जवाबदेह है। सरकार ने 2020 के केंद्रीय बजट में करदाताओं के चार्टर का वादा किया था, जो करदाताओं के अधिकारों को परिभाषित करने और उनकी रक्षा करने के लिए प्रस्तावित किया गया था। करदाता का चार्टर जिसे हाल ही में घोषित किया गया है, करदाताओं के अधिकारों और दायित्वों को सुनिश्चित करता है और कर विभाग से करदाता के लिए प्रतिबद्धताओं को भी पूरा करता है। संयुक्त राज्य अमेरिका और कई यूरोपीय देशों में भी करदाता का चार्टर है।
पीएमओ के ट्विटर हैंडल के अनुसार, करदाताओं का चार्टर 13 अगस्त, 2020 से प्रभावी हो गया है। करदाता इस चार्टर के अनुपालन के लिए प्रत्येक क्षेत्र में प्रधान आयकर आयुक्त के तहत करदाताओं के चार्टर सेल से संपर्क कर सकते हैं। चार्टर में करदाता को ईमानदार मानने और उनके साथ उचित व्यवहार करने के लिए विभाग की प्रतिबद्धता है। करदाता द्वारा प्रतिनिधित्व और अपील के लिए कानून में निर्धारित अन्य बातों के अलावा, विभाग करदाता को पूरी जानकारी प्रदान करता है। विभाग प्रत्येक करदाता को अपनी पसंद का प्रतिनिधि चुनने और शिकायत निवारण के लिए एक तंत्र प्रदान करने की अनुमति देगा। करदाता किसी भी समस्या या अनुपालन में स्पष्टीकरण के लिए विभाग से संपर्क कर सकते हैं। चार्टर भी करदाताओं से अपेक्षा करता है कि वे रिपोर्टिंग की आवश्यकताओं का पालन करें, रिकॉर्ड बनाए रखें और नियत तारीखों के भीतर करों का भुगतान करें। करदाताओं को अपने कर दायित्वों को समझना चाहिए और समयबद्ध तरीके से नोटिस का जवाब भी देना चाहिए।

फेसलेस मूल्यांकन योजना की विशेषताएँ

  1. डेटा एनालिटिक्स और आर्टिफिशियल इंटेलीजेंस (।प्, कृत्रिम बौद्धिकता) का उपयोग करके सिस्टम के माध्यम से केवल एक करदाता का चयन
  2. प्रादेशिक क्षेत्राधिकार का उन्मूलन
  3. मामलों का स्वचालित यादृच्छिक आवंटन
  4. दस्तावेज पहचान संख्या (क्छप्) के साथ नोटिस जारी करना
  5. कोई भौतिक इंटरफ़ेस और आयकर कार्यालय का दौरा करने की आवश्यकता नहीं है
  6. टीम आधारित आकलन और टीम आधारित समीक्षा
  7. एक शहर में ड्राफ्ट मूल्यांकन आदेश, दूसरे शहर में समीक्षा और तीसरे शहर में अंतिम रूप देना।

फेसलेस मूल्यांकन के अपवाद ( वैसे विषय जो फेसलेस मूल्यांकन में शामिल नहीं किये जायेंगे )

१. कोई भी मूल्यांकन जिसमें गंभीर धोखाधड़ी, प्रमुख कर चोरी, संवेदनशील और खोज एवं जब्ती संबंधी मामले शामिल हैं, वे फेसलेस मूल्यांकन के अपवाद होंगे
२. यह प्रणाली अंतर्राष्ट्रीय कराधान और काले धन अधिनियम और बेनामी को भी बाहर करती है.

सर्वेक्षण संबंधी मामलों में बड़ा प्रशासनिक परिवर्तन

पहले की व्यवस्था में सर्वेक्षण का अधिकार क्षेत्रीय आयकर अधिकारी संयुक्त आयकर निदेशक के अनुमति या अनुमोदन से कर सकता था। अब नए नियमों के हिसाब से चूंकि प्रादेशिक क्षेत्राधिकार को खत्म कर दिया गया है, इसलिए अब आयकर महानिदेशक (जांच,इन्वेस्टीगेशन) के अनुमोदन पर आयकर जांच प्रभाग के अधिकारी ही सर्वेक्षण कर सकेंगे।
केवल  सर्वेक्षण का अधिकार प्रधान मुख्य आयकर आयुक्त के पास होगा।
एक सवाल यह भी करदाताओं के मन में होगा कि जब प्रादेशिक क्षेत्राधिकार खत्म कर दिया गया है तो करदाताओं की अन्य समस्याएं जैसे-शुद्धिकरण ,गलत मांगइत्यादि समस्याओं का निराकरण कैसे होगा ? इन समस्याओं के निवारण के लिए हर एक आयकर आयुक्त के स्तर पर एक रेसिडुअल ( त्मेपकनंस) आयकर अधिकारी की व्यवस्था की गयी है , जो इस तरह के मामले का निराकरण करेंगे।

ईमानदार का सम्मान एवं पारदर्शी कराधान के प्रभाव

यह बदलाव तर्कसंगतता, सरलीकरण, अधिक पारदर्शिता, कर मुद्दों के प्रबंधन में आसानी और मूल रूप से सभी करदाताओं के अनुकूल वातावरण बनाने की ओर महत्वपूर्ण कदम हैं। । आयकर के लिए फेसलेस ई-मूल्यांकन प्रणाली को लागू करने वाला पहला देश भारत है। ऐसे कुछ मामले होंगे जहां मुख्य ई-आयुक्त या महानिदेशक अपनी राय के आधार पर प्रभारी क्षेत्रीय ई-मूल्यांकन केंद्र स्थिति के लिए एक उपयुक्त मामले की व्यक्तिगत सुनवाई के अनुरोध को मंजूरी दे सकते हैं। तब ऐसी सुनवाई विशेष रूप से वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के माध्यम से आयोजित की जाएगी। ईसमें सीबीडीटी द्वारा निर्धारित प्रक्रिया के अनुसार किसी भी दूरसंचार एप्लिकेशन सॉफ़्टवेयर का उपयोग करना शामिल है.
पूर्व की व्यवस्था में ऐसा संभव था कि हो सकता है करदाता किसी तरह अधिकारियों को प्रभावित या उपकृत करके अपनी इच्छा अनुसार कर निर्धारण में सफल होते रहे होंगे। दूसरी ओर अधिकारियों के द्वारा भी प्रशासनिक विवेकाधिकार एवं नियमों का दुरूपयोग संभव था। लेकिन अब करदाताओं के लाभ के लिए सरकार का यह चेहराहीन आयकर आकलन की प्रक्रिया बहुत मददगार एवं सम्मानजनक होगी। यह कदम कर-प्रशासन के संदेहास्पद क्षेत्रों को हटा सकता है। फलतः यह कर मुकदमों के तनाव को काफी कम कर देगा और स्वैच्छिक कर अनुपालन को प्रोत्साहित करेगा।

 

रितेश आनंद (चार्टर्ड अकाउंटेंट)