रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के आरोप में दिल्ली से एक डॉक्टर और प्रयोगशाला तकनीशियन हुआ गिरफ्तार

कोरोना महामारी के बीच कालाबाजारी सांसों की सौदेबाजी से बाज नहीं आ रहे। कोरोना संक्रमण में संजीवनी की तरह उपयोग में लिए जा रहे रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी चौंकाने वाली है। सौदेबाज संक्रमितों को लगाए गए रेमडेसिविर इंजेक्शन की खाली शीशीयों में दूसरी दवा भरकर उन्हें मजबूर लोगों को बेच दे रहें है। जिसमें चिकित्साकर्मियों की लिप्तता बताई जा रही है लेकिन उन पर कार्रवाई नहीं हो पाई। इस बीच पुलिस ने रेमडेसिविर इंजेक्शन की कालाबाजारी के आरोप में बृहस्पतिवार को दिल्ली से एक डॉक्टर और प्रयोगशाला तकनीशियन को गिरफ्तार किया गया।

पुलिस के अधिकारी ने बताया कि सूचना के आधार पर पुलिस के नारकॉटिक्स प्रकोष्ठ ने दो संदिग्धों 32 वर्षीय डॉक्टर विष्णु अग्रवाल और प्रयोगशाला तकनीशियन निखिल गर्ग (22) को गिरफ्तार कर लिया और उनके कब्जे से आठ इंजेक्शन बरामद किये गये हैं।

पुलिस ने बताया कि वे 45,000 रुपये में इंजेक्शन बेच रहे थे।

इस दौरान चंडीगढ़ में हरियाणा पुलिस ने बताया कि उसने इंजेक्शन की कालाबाजारी के आरोप में पानीपत जिले से दो लोगों को गिरफ्तार किया है।

पुलिस ने बताया कि एक आरोपी प्रमुख नैदानिक प्रयोगशाला का प्रबंधक है जबकि दूसरा एक अस्पताल में दवा की दुकान चलाता है।

उन्होंने बताया कि आरोपी रेमडेसिवीर की एक शीशी 20,000 रुपये में बेच रहे थे और शुरुआती जांच में पता चला है कि वे अबतक 12 इंजेक्शन बेच चुके हैं।