वैज्ञानिक स्वभाव वास्तव में अंधविश्वास का पूर्ण इनकार करना है, विज्ञान दिवस के अवसर पर बोले प्रो नरेंद्र कुमार पांडेय

राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर पटना के कॉलेज ऑफ कॉमर्स आर्ट्स एन्ड साइंस में आयोजित राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह को प्रोफेसर नरेंद्र कुमार पांडेय ऑनलाइन जुड़ कर ।संबोधित कर रहे थे। उन्होंने  ने वैज्ञानिक स्वभाव के बारे में चर्चा करते हुए कहा कि यह वास्तव में अंधविश्वास का पूर्ण इनकार करना है। इसके साथ साथ किसी भी निष्कर्ष तक पहुंचने और निर्णय लेने के लिए सबूतों, कारणों और तर्कों का सहारा लेना है। भारतीय समाज में अंधविश्वास और आस्थाओं में अधिक प्रचलन के कारण वैज्ञानिक स्वभाव की कमी देखने को मिलती है। अब सवाल यह है कि इसके लिए कौन ज़िम्मेदार है? क्या आम जनता इसके लिए ज़िम्मेदार है या हमारे देश के वैज्ञानिक या कुछ धर्मगुरु जो अपने वर्चस्व के लिए लोगों को डराकर रखना चाहते हैं। इसमें वैज्ञानिकों की कितनी भूमिका है और अन्य आम जनता कि कितनी इसपर चर्चा करने के साथ साथ मौजूदा परिस्थिति को समझना भी ज़रूरी है।

आज विद्यालयों और शैक्षिणिक संस्थानों में हम विज्ञान को केवल ज्ञान के एक भंडार के रूप में प्रस्तुत करते हैं। वास्तव में विज्ञान क्या है इसको पहले समझ लेना ज़रूरी है।

बिरला ज्ञान निटेटन नई दिल्ली से प्रज्ञा नोपानी इस सत्र में बताया कि अवलोकन करना और परिकल्पना बनाना वैज्ञानिक प्रक्रिया का अभिन्न अंग है। … सामान्य गतिविधियों से नमूनों का अवलोकन और फिर उनका विश्लेषण विज्ञान की आवश्यकता है और यह भी आवश्यक है कि किसी एक ही वस्तु या स्थान का प्रेक्षण पर्याप्त नहीं होता, पुष्टि के लिए वैज्ञानिक जाँच भी आवश्यक है।इसके बाद प्रज्ञा नोपानी इस सत्र में बताया कि अवलोकन करना और परिकल्पना बनाना वैज्ञानिक प्रक्रिया का अभिन्न अंग है। … सामान्य गतिविधियों से नमूनों का अवलोकन और फिर उनका विश्लेषण विज्ञान की आवश्यकता है और यह भी आवश्यक है कि किसी एक ही वस्तु या स्थान का प्रेक्षण पर्याप्त नहीं होता, पुष्टि के लिए वैज्ञानिक जाँच भी आवश्यक है।

रमन प्रभाव सामान्य तौर पर ‘चेंजिंग ऑफ कलर ड्यू टू स्कैट्रिंग’ है। स्कैट्रिंग एक साधारण शब्द है। आसमान का रंग नीला और समुद्र का रंग नीला होने की वजह स्कैट्रिंग ही हैं। प्रर्कीणण के कारण हीं रंगों में बदलाव होता है। भारत के महान वैज्ञानिक चंद्रशेखर वेंकट रमन को इसी प्रभाव की खोज के कारण वर्ष 1930 में नोबेल पुरस्कार मिला था। ये बातें राष्ट्रीय विज्ञान दिवस के अवसर पर ये बातें एलएनएमयू दरभंगा के पूर्व वीसी राजमणि प्रसाद सिंहा ने कही। श्री सिंहा पटना के कॉलेज ऑफ कॉमर्स आर्ट्स एन्ड साइंस में आयोजित राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह को संबोधित कर रहे थे

काफी संघर्ष के बाद मिली सफलता

मूल रूप से भारत में रहकर खोज करने वाले सीवी रमन के बाद किन्हीं भारतीय वैज्ञानिक को यह पुरस्कार अब तक नहीं मिल पाया है। इसे लेकर उन्होंने बताया कि रमन साहब का कार्य और सघर्ष काफी चुनौतीपूर्ण रहा। दुनियांभर में बढ़ते औद्योगिकी प्रौद्योगिकी का दायरा के साथ हमारे यहां पर्याप्त संसाधन की कमी के कारण अब इस उपलब्धि को दोबारा हासिल नहीं कर पाये हैं।
वहीं उन्होंने देश के युवाओं के लिए संदेश देते हुए कहा आज के नौजवानों को रमन जी के आदर्शों पर चलने की जरूरत है।

स्मृति के लिए मनाते हैं यह दिवस

कॉलेज ऑफ कॉमर्स आर्ट्स एंड साइंस के प्रिंसिपल प्रो. तपन कुमार शांडिल्य ने इस मौके पर कहा कि इस क्षेत्र में किसी भी पहले एशियायी व्यक्ति को नोबेल पुरस्कार दिया गया था। राष्ट्रीय विज्ञान दिवस मनाने को लेकर उन्होंने कहा कि हम रमन जी के जन्मदिन के अवसर पर यह दिवस नहीं मनाते हैं, बल्कि उन्हें याद इस अवसर पर याद करने के लिए यह दिवस मनाते हैं।

सर सीवी रमन के नाम से प्रख्यात है उनकी खोज

वहीं कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस में भौतिकी के एसोशिएट प्रोफेसर संतोष कुमार ने इस अवसर पर बोलते हुए कहा कि यह दिवस हम भारतवर्ष के महान वैज्ञानिक सर सीवी रमन को याद करने के लिए मनाते हैं।

उन्होंने बताया कि सर सीवी रमन को उनके महत्वाकांक्षी खोज ‘रमन प्रभाव’ के लिए नोबेल पुरस्कार मिला था। आज उनकी थ्योरी रमन प्रभाव के नाम से जाता है।

कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस में हुआ आयोजन

आपको बता दें कि राजधानी पटना के कॉलेज ऑफ कॉमर्स में राष्ट्रीय विज्ञान दिवस समारोह का आयोजन किया गया था। इस मौके पर वक्ता के रूप में डिपार्टमेंट ऑफ फिजिक्स, लखनऊ यूनिवर्सिटी के नरेंद्र कुमार पांडेय, बिरला शिक्षा निकेतन, नाइ दिल्ली से प्रज्ञा नोपनी,  एलएनएमयू दरभंगा के पूर्व कुलपति प्रो. राजमणि प्रसाद सिंहा, कॉलेज ऑफ कॉमर्स के प्राचार्य प्रों. तपन कुमार शांडिल्य के साथ-साथ कॉलेज के प्रोफेसर, विद्यार्थी और कई गणमान्य लोग मौजूद रहे।