जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में तैनात एक प्रोफेसर और कंपनियों के कर्मचारियों को 1 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में किया गया गिरफ्तार।

केंद्रीय जांच ब्यूरो ने जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय के सिविल इंजीनियरिंग विभाग में तैनात एक प्रोफेसर और कंपनियों के कर्मचारियों को 1 लाख रुपये की रिश्वत लेने के आरोप में गिरफ्तार किया है। ये कार्रवाई रिश्वत लेकर बन रही इमारत के ढांचे को फर्जी प्रमाण पत्र देने के मामले में हुई है।

गिरफ्तारी के बाद आरोपियों के ठिकानों पर सीबीआई की छापेमारी की। इन आरोपियों को सीबीआई की विशेष अदालत के सामने पेश किया जाएगा। सीबीआई प्रवक्ता आरसी जोशी के मुताबिक, जिन लोगों को गिरफ्तार किया गया है। उनमें जामिया मिलिया इस्लामिया विश्वविद्यालय सिविल इंजीनियरिंग विभाग में तैनात प्रोफेसर खालिद मोइन व्योम, आर्किटेक्ट के प्रखर पवार और इसी कंपनी के कर्मचारी आबिद खान शामिल हैं।

यह कंपनी दिल्ली के ओखला फेस 3 में बताई गई है। आरोप है कि यह प्रोफेसर विभिन्न प्राइवेट बिल्डरों आर्किटेक्ट मध्यस्थों आदि के माध्यम से इमारतों के लिए ढांचा स्थिर प्रमाण पत्र जारी करता था। यह भी आरोप है कि प्रमाण पत्र जारी करने के बदले प्रोफेसर अपना सुविधा शुल्क वसूलता था। आरोप के मुताबिक प्रमाण पत्र मिलने के बाद बिल्डर द्वारा जो इमारत खड़ी की जाती थी उस पर ढांचे को लेकर सरकारी एजेंसियां सवाल खड़े नहीं कर सकती थी।

सीबीआई के मुताबिक, सूचना के आधार पर इस मामले की आरंभिक जांच की गई और इस जांच के दौरान महत्वपूर्ण तथ्य मिलने के बाद आरोपियों के खिलाफ विभिन्न आपराधिक धाराओं के तहत एफआईआर दर्ज की गई। इसके बाद जालबिछाकर सीबीआई ने एक लाख रुपये की रिश्वत ले रहे प्रोफ़ेसर और उसके सहयोगियों को गिरफ्तार कर लिया।

गिरफ्तारी के बाद आरोपियों के ठिकानों पर सीबीआई ने छापेमारी की। सीबीआई के मुताबिक, गिरफ्तार आरोपियों को सीबीआई की विशेष अदालत के सामने पेश किया जाएगा।

सीबीआई जानना चाहती है कि इन लोगों ने अब तक ऐसी कितनी इमारतों को प्रमाण पत्र जारी किए हैं।

सूत्रों का कहना है कि गुड़गांव के सेक्टर 109 में जो इमारत का 1 फ्लोर पिछले दिनों गिरा था उस इमारत के लिए भी प्रमाण पत्र इसी प्रोफेसर द्वारा जारी किया गया था। सीबीआई इस बाबत भी जांच कर रही है।