बिहार में दो विधानसभा सीटों में हो रहे उपचुनाव को लेकर राष्ट्रीय जनता दल (राजद) के कार्यकर्ताओं को पार्टी अध्यक्ष लालू प्रसाद के पटना आने की उम्मीद थी, लेकिन इस बीच गुरुवार को राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी ने स्पष्ट कर दिया कि लालू प्रसाद अभी बीमार हैं। वे अभी पटना बिहार नहीं आएंगे।
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वहीं, तेजस्वी यादव एवं तेज प्रताप यादव के शीतयुद्ध के सतह पर आए कई दिन बीत चुके हैं। दोनों को मनाने में मां राबड़ी देवी विफल रहीं हैं। अब पिता लालू प्रसाद यादव से हीं अंतिम उम्मीद बची है लेकिन फिलहाल वे बिहार नहीं आ रहे हैं। दरअसल, तेज प्रताप राष्ट्रीय जनता दल (RJD) के अंकुश और परिवार के बंधन को मानने को तैयार नहीं हैं। माना जा रहा था कि 20 अक्टूबर को लालू प्रसाद यादव (Lalu Prasad Yadav) पटना आएंग तो वे हीं इस विवाद को सुलझाने का कोई फार्मूला निकलेंगे, लेकिन पटना से दिल्ली रवाना होने के पूर्व पटना हवाई अड्डे पर राजद प्रमुख लालू प्रसाद की पत्नी पूर्व मुख्यमंत्री राबड़ी देवी से जब लालू प्रसाद के पटना लौटने के संबंध में पूछा गया तब उन्होंने कहा, अभी वे बीमार हैं। उनका अभी इलाज चल रहा है। वे अभी बिहार नहीं आएंगें।
पूर्व मुख्यमंत्री ने हालांकि बिहार में कुशेश्वरस्थान तारापुर सीटों पर हो रहे उपचुनाव में राजद के प्रत्याशी का जीत का दावा किया।
उल्लेखनीय है कि उपचुनाव में राजद प्रमुख लालू प्रसाद के पटना आने उनके चुनाव प्रचार करने के कयास लगाए जा रहे थे। कई नेता तो उनके चुनाव के दौरान प्रचार करने का दावा तक कर रहे थे, लेकिन इस बीच ऐस किसी भी कयासों पर राबड़ी देवी ने विराम लगा दिया।
बिहार में हो रहे उपचुनाव में कांग्रेस राजद ने अपने-अपने प्रत्याशी उतार दिए हैं जबकि राजग एकजुट बना हुआ है।
गौरतलब है कि बिहार विधानसभा उपचुनाव के लिए राजद ने 20 लोगों को अपना स्टार प्रचारक बनाया है। इस सूची में पहला नाम पार्टी प्रमुख लालू प्रसाद का है, जिससे राजद नेताओं की ओर से कहा जाने लगा कि लालू प्रसाद बिहार आएंगे तारापुर कुशेश्वरस्थान में पार्टी प्रत्याशियों के लिए चुनाव प्रचार करेंगे।
लालू के सामने पार्टी व परिवार की हिफाजत की चुनौती
चारा घोटाला में जमानत मिलने के बाद लालू प्रसाद अब तक पटना नहीं आए हैं। फिलहाल वे अपने पुत्री सांसद मीसा भारती के पास दिल्ली में मीसा भारती (Misa Bharti) के सरकारी आवास पर रहकर 16 तरह की बीमारियों से लड़ रहे लालू के सामने पार्टी और परिवार की हिफाजत की बड़ी चुनौती है। जनता दल से अलग होकर करीब 24 वर्ष पहले 1997 में बनाई गई पार्टी (आरजेडी) को बचाने के लिए योग्य उत्तराधिकारी की तलाश में उन्होंने 2015 के विधानसभा चुनाव (Bihar Assembly Election) के पहले छोटे पुत्र तेजस्वी यादव (Tejashwi Yadav) को आगे किया। लालू का यह फैसला उनके बड़े पुत्र तेज प्रताप को रास नहीं आ रहा है। प्रारंभ के चार-पांच वर्ष तो वह चुप रहे, लेकिन अब स्वयं को दूसरा लालू (Second Lalu) बताकर विरासत पर कब्जे की कोशिश में हैं।
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