अशोक-औरंगजेब विवाद में जदयू के बाद भाजपा भी आई साथ, डा. संजय जायसवाल बोले अशोक और औरंगजेब दो विपरीत ध्रुव

आज दूसरे दिन भी  सम्राट अशोक की औरंगजेब से तुलना को लेकर राजनीतिक दलों सरगर्मी तेज रही। दरअसल जदयू के बाद अब भाजपा भी इस मामले में आगे आ गई है। जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष राजीव रंजन सिंह ऊर्फ ललन सिंह ने कहा कि देश की महान सभ्यता और संस्कृति की नई व्याख्या किसी हालत में स्वीकार्य नहीं है। बिहार भाजपा अध्यक्ष डा. संजय जायसवाल ने कहा कि जो सम्राट अशोक को नहीं मानते हैं वो भगवान राम के भी नहीं हैं। राज्य सरकार में भाजपा कोटे के मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा-सम्राट अशोक के बारे में दया प्रकाश सिन्हा की राय मनगढंत, काल्पनिक, असत्य एवं निन्दनीय है। यह अक्षम्य अपराध है।

गौरतलब है कि जदयू के राष्ट्रीय अध्यक्ष ललन सिंह ने कहा कि सम्राट अशोक के बारे में सिन्हा की टिप्पणी विकृत मानसिकता का उदाहरण है। हम राष्ट्रपति और प्रधानमंत्री से आग्रह करते हैं कि ऐसे व्यक्ति को दिया गया पद्म और अन्य पुरस्कार वापस लें। प्रियदर्शी सम्राट अशोक मौर्य बृहत और अखंड भारत के निर्माता थे।

अशोक और औरंगजेब दो विपरीत ध्रुव – डा. संजय जायसवाल

डा. संजय जायसवाल ने कहा कि जो सम्राट अशोक को नहीं मानते वो राम के भी नहीं हैं। सम्राट अशोक और औरंगजेब दो विपरीत ध्रुव हैं, जिनकी तुलना ही नहीं की जा सकती। सम्राट अशोक का जीवन हमें मानवीय भावनाओं पर सत्य और शांति की जीत की शिक्षा देता है। वहीं औरंगजेब का पूरा इतिहास ही लूट, हत्या और मंदिरों को तोड़ने जैसे कुकृत्यों से भरा हुआ है। डा. जायसवाल ने कहा कि याद करें कुछ नेता योग का खुलेआम मजाक उड़ाते हैं और श्रीराम का जयकारा लगाने को बड़ी भूल मानते हुए सार्वजनिक रूप से माफी मांगने का ड्रामा करते हैं। ऐसे लोगों को तब न तो संस्कृति की याद आती है और न ही भारतीयता की। इससे स्पष्ट है कि न तो ये भगवान राम के हैं और न ही सम्राट अशोक के।

अशोक से औरंगजेब की कोई तुलना ही नहींः सम्राट चौधरी

मंत्री सम्राट चौधरी ने कहा कि चक्रवती सम्राट से औरंगजेब की कोई तुलना नहीं है। बौद्ध ग्रंथों के हवाले से उन्हें कुरूप और पत्नी को जलाने वाला बताया गया है। यह गलत है। उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक अगर औरंगजेब की तरह होते तो उनके द्वारा स्थापित चक्र को राष्ट्रीय प्रतीक नहीं बनाया जाता। उसे राष्ट्रीय ध्वज में नहीं पिरोया जाता। उन्होंने कहा कि सम्राट अशोक का हर काल में सम्मान हुआ है। राष्ट्रपति भवन में उनके नाम से हाल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने सम्राट अशोक के नाम से डाक टिकट जारी किया। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने गांधी मैदान के निकट उनके नाम पर कन्वेंशन हाल बनवाया। वह खुद जब राज्य में नगर विकास मंत्री थे, सभी नगरों में सम्राट अशोक के नाम पर भवन बनाने का निर्णय किया। अब पंचायतों में सम्राट अशोक के नाम से भवन बनाने की तैयारी चल रही है। उन्होंने कहा कि सिन्हा की राय से भाजपा का कोई लेना देना नहीं है।

सम्राट अशोक के बारे में क्या था कहा

अवकाश प्राप्त आइएएस अधिकारी दया प्रकाश सिन्हा ने सम्राट अशोक पर नाटक लिखा है। इसमें कहा गया है कि सम्राट अशोक मुगल औरंगजेब की तरह क्रूर शासक थे। उन्होंने भी अपनी खामियों को छिपाने के लिए धन का उपयोग धार्मिक कार्यों में किया। दोनों ने अपने भाइयों की हत्या की थी। पिता को कारावास में डाल दिया था। सम्राट अशोक बेहद बदसूरत था। कामुक था। दूसरों को शोक में देख कर खुश होता था। इसलिए सम्राट अशोक को चंडाशोक एवं कामाशोक भी कहा जाता था।

कौन हैं दया प्रकाश सिन्हा

कासगंज, उत्तर प्रदेश में दो मई 1935 को जन्में दया प्रकाश सिन्हा एक अवकाशप्राप्त आई०ए०एस० अधिकारी होने के साथ-साथ हिन्दी भाषा के प्रतिष्ठित लेखक, नाटककार, नाट्यकर्मी, निर्देशक व चर्चित इतिहासकार हैं। प्राच्य इतिहास, पुरातत्व व संस्कृति में एम० ए० की डिग्री तथा लोक प्रशासन में मास्टर्स डिप्लोमा प्राप्त सिन्हा जी विभिन्न राज्यों की प्रशासनिक सेवाओं में रहे। साहित्य कला परिषद, दिल्ली प्रशासन के सचिव, भारतीय उच्चायुक्त, फिजी के प्रथम सांस्कृतिक सचिव, उत्तर प्रदेश संगीत नाटक अकादमी व ललित कला अकादमी के अध्यक्ष, उत्तर प्रदेश हिन्दी संस्थान, लखनऊ के निदेशक जैसे अनेकानेक उच्च पदों पर रहने के पश्चात सन् 1993 में भारत भवन, भोपाल के निदेशक पद से सेवानिवृत्त हुए। नाट्य-लेखन के साथ-साथ रंगमंच पर अभिनय एवं नाट्य-निर्देशन के क्षेत्र में लगभग 50 वर्षों तक सक्रिय रहे सिन्हा जी की नाट्य कृतियाँ निरन्तर प्रकाशित, प्रसारित व मंचित होती रही हैं। अनेक देशों में भारत के सांस्कृतिक प्रतिनिधि के रूप में भ्रमण कर चुके श्री सिन्हा को कई पुरस्कार व सम्मान भी मिल चुके हैं।उन्हें पद्मश्री के अलावा कई पुरस्कार मिले हैं। सम्राट अशोक नाटक के लिए इन्हें साहित्य अकादमी अकादमी पुरस्कार भी मिला है।