महाराष्ट्र को मिल सकता है नया मुख्यमंत्री, मुख्यमंत्री आवास को खाली कर पुश्तैनी मकान पर पहुंचे उद्धव ठाकरे, महाराष्ट्र की राजनीति में आज हो सकता है बड़ा बदलाव….

शिवसेना के दिग्गज नेता एकनाथ शिंदे कई अन्य बागी विधायकों के साथ असम की राजधानी गुवाहाटी में डेरा जमाए हुए हैं। विधायकों के बागी तेवर से मुख्यमंत्री उद्धव ठाकरे की चिंतायें बढ़ गई है। कल रात उन्होंने सीएम का सरकारी बंगला छोड़ दिया और अपने पुस्तैनी मकान मातोश्री शिफ्ट हो गए। राज्य की महा विकास अघाड़ी गठबंधन विधायकों को वापस लाने के लिए हर कोशिश कर रही है। कल अपने संबोधन के दौरान ठाकरे ने सीएम पद और शिवसेना प्रमुख की जिम्मेदारी छोड़ने की पेशकश की। उन्होंने शिंदे को सीएम बनाने तक का ऑफर दिया। पर इसका कोई फायदा शिवसेना को मिलता नजर नहीं आया। वहीं बीजेपी लगातार इन बागी विधायकों पर कड़ी नजर बनाए हुए है।

37 विधायकों के समर्थन के साथ गवर्नर से संपर्क साध सकते हैं एकनाथ शिंदे
एकनाथ शिंदे खेमे के शीर्ष सूत्रों ने कहा है कि वह यह दिखाने के लिए संख्या जुटाएंगे कि उन्हें शिवसेना में दो-तिहाई बहुमत (कम से कम 37 विधायक) का समर्थन प्राप्त है। शिंदे अपनी संख्या साबित करने के लिए राज्यपाल से संपर्क कर सकते हैं। इसके बाद राज्यपाल उद्धव ठाकरे को बहुमत साबित करने के लिए कह सकते हैं। ऐसी स्थिति में सरकार का गिरना तय माना जा रहा है। महाराष्ट्र में सरकार गिरने के बाद एकनाथ शिंदे भाजपा से हाथ मिला सकते हैं।

शरद पवार महाराष्ट्र के सियासी संकट को बताया शिवसेना का आंतरिक मामला महाराष्ट्र में सियासी संकट के बीच राकांपा प्रमुख शरद पवार ने पार्टी विधायकों की बैठक बुलाई है। इससे पहले उन्होंने कहा था कि शिवसेना विधायकों का विद्रोह पार्टी का आंतरिक मामला है और एमवीए में भागीदार राकांपा इसमें हस्तक्षेप नहीं करेगी।

कमजोर हो रहे उद्धव ठाकरे, एकनाथ शिंदे की बढ़ रही ताकत गुवाहाटी पहुंचे कुछ और विधायक असम की राजधानी गुवाहाटी स्थित रैडिसन ब्लू होटल के अंदर शिवसेना के और विधायकों के साथ दो कारों को जाते देखा गया है, जहां पार्टी के बागी विधायक अभी ठहरे हुए हैं। इससे पहले महाराष्ट्र के राज्यपाल को संबोधित एक पत्र में बागी विधायकों ने कहा है कि समूह ने एकनाथ शिंदे को शिवसेना विधायक दल के नेता के रूप में फिर से पुष्टि की है। कल शिवसेना ने इस पद से शिंदे को हटा दिया था। पत्र में विधायकों ने पार्टी कार्यकर्ताओं में असंतोष के लिए पार्टी के सिद्धांत से समझौता करने का हवाला दिया है।