ताज़ा मामला बिहार से जुड़ा है जहाँ कोरोना से सम्बंधित सरकार के आदेश सत्य है या नहीं, इस बात पर आप आंख मूंद कर विश्वास न करें और हम नीचे इससे सम्बंधित फेक लेटर को पहचानने के लिए जो भी ‘लिटमस टेस्ट’ दे रहे हैं उनमें से हर ख़बर को और हर कथन को (इन्क्लुडिंग ऊपर वाला कथन) गुज़ारें, और जो न्यूज़ बेदाग निकले वही सच वरना सब फेक.
लेकिन अब सवाल ये उठता है कि आप इतने स्टेप्स उठाएंगे ही क्यूं
आप तो अंततः एक पाठक, एक एंड यूज़र हैं और जो परोसा जा रहा है उसमें आपकी तो कोई गलती है नहीं. आखिर हम इसकी चिंता क्यूँ करें हमें तो बस फॉरवर्ड करना है ?
तो उत्तर यही है कि –
अंततः आपको ही तय करना है कि आप एक पाठक होना चाहते हैं या एक जागरूक पाठक और यहाँ सवाल आपके समाज, परिवार, स्वास्थ और जीवन से जुड़ा है .
और दूसरी बात – जैसे पर्यावरण प्रदूषण हमारी सेहत को ख़राब कर रहा है वैसे ही ख़बरों और जानकारियों का प्रदूषण हमको मानसिक और बौद्धिक रूप से बीमार, बहुत बीमार कर रहा है.
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