सीड्स ऑफ आवर फ्यूचर २०२०: इनोवेटिंग ग्लोबल फूड ’पर वेबिनार के दौरान बिहार सरकार के कृषि मंत्री प्रेम कुमार ने कहा बायो फोर्टिफिकेशन, कुपोषण से लड़ने का प्रमुख हथियार है। उन्होंने कहा कि विभाग बायो फोर्टिफिकेशन की दिशा में लगातार काम कर रहा है । हम छोटे किसानों के लिए सब्सिडी भी दे रहे हैं। उन्होंने इस पहल के लिए सीआईआई की सराहना करते हुए कहा कि हम इस तरह की पहल और सिफारिश के लिए हमेशा कार्य करने को तत्पर हैं।
कुपोषण को मिटाने की दिशा में पूसा कार्यरत-आरसी श्रीवास्तव
वेबिनार में बोलते हुए डॉ राजेंद्र प्रसाद केंद्रीय कृषि विश्वविद्यालय, पूसा के कुलपति डॉ आरसी श्रीवास्तव ने कहा कि हमारा देश अभी भी कुपोषण से पीड़ित है। और इस दिशा में हमारा विश्वविद्यालय अन्य संस्थानों के साथ दिन-रात काम कर रहा है ताकि सर्वोत्तम जैव फोर्टीफाइड बीज विकसित किए जा सकें जो ये और अधिक पौष्टिक होंगे इनसे निश्चित रूप से कुपोषण से लड़ने में मदद मिलेगी।
जैविक खेती की तरफ जरूर बदलेगा लोगों का नज़रिया
बायर क्रॉप साइंस लिमिटेड के सार्वजनिक मामलों और फसल विज्ञान प्रभाग के प्रमुख राजवी सिंह राठी ने इस पहल के लिए सीआईआई की सराहना की और कहा कि इस तरह की गतिविधियों से निश्चित रूप से जैविक खेती के प्रति नजरिया बदलेगा । उन्होंने कहा कि बायर क्रॉप साइंस किसानों के कल्याण के लिए प्रतिबद्ध है। और हम समय-समय पर किसानों के लिए जागरूकता सत्र चलाते हैं। उन्होंने कहा कि बिहार में प्राकृतिक संसाधन प्रचुर मात्रा में हैं और इसकी फसल, सब्जियों और फलों के सबसे बड़े उत्पादक में से एक है, इसके लिए विपणन पर ध्यान देने की आवश्यकता है। व्यापक और प्रभावी विपणन खरीदार को बाजार में लाएगा और किसानों को समृद्धि भी देगा।
वहीं भारतीय कृषि अनुसंधान परिषद (ICAR) के उप महानिदेशक ( फसल विज्ञान), डॉ० तिलक राज शर्मा, ने वेबिनार पर विचार-विमर्श करते हुए कहा कि भारत को बीज प्रौद्योगिकी में नवाचार की आवश्यकता है और ICAR इसके लिए काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि वर्तमान में आईसीएआर 85 फसलों के साथ काम कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह वह समय है जहां हमें अपनी फसल का उत्पादन बढ़ाने की जरूरत है और अगर हम जमीन की जोत नहीं बढ़ा सकते हैं तो केवल तकनीक ही हमारी मदद करेगी। उन्होंने कहा कि बिहार अवसर की भूमि है और केला, लीची आदि जैसे फलों के प्रसंस्करण में बड़ी संभावनाएं हैं।
बिनु चेरियन, ( राष्ट्रीय प्रबंधक, हार्वेस्टप्लस) और बीरेंद्र मेंडली, (वरिष्ठ परियोजना प्रबंधक
हार्वेस्टप्लस ) ने सत्र को संबोधित करते हुए बायोफोर्टिफिकेशन स्ट्रैटेजीज़ और महत्व पर विस्तृत प्रस्तुति दी। उन्होंने कहा यह भी कहा कि अब तक 40 देशों में 340+ किस्मों की बायोफोर्टिफाइड फ़सलें जारी की जा चुकी हैं।
कृषि और प्रसंस्कृत खाद्य उत्पाद निर्यात विकास प्राधिकरण (APEDA) के निदेशक ति नाटकीय रूप से के रूप में बदल जाएगी, जो अवसरों के द्वार खोलेगी, कृषि और किसान वास्तव में इसके अपवाद नहीं हैं। चर्चा बीज से शुरू करने और बाजार में समाप्त होने की जरूरत है तभी किसानों को उनका न्यायसंगत हक मिल पाएगा।
आपको बताते चलें की विनोद खेरिया, अध्यक्ष, सीआईआई बिहार ने सत्र का संचालन किया और लगभग 75 एफपीओ, फ्रैमर और अन्य हितधारक ने वेबिनार में हिस्सा लिया।
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