लाइब्रेरियन बहाली मामले को पटना हाई कोर्ट ने किया निष्पादित, 60 दिनों के अन्दर उचित फैसला ले बिहार सरकार

पटना हाई कोर्ट ने लाइब्रेरियन की बहाली मामले में दायर याचिका को निष्पादित करते हुए याचिकाकर्ता को उचित प्राधिकारी के समक्ष अभ्यावेदन दाखिल करने की छूट दी। पटना हाईकोर्ट ने राज्य सरकार को 60 दिनों के अन्दर उचित फ़ैसला लेने का आदेश दिया है। कोर्ट ने कहा है कि प्रतिवादियों को आदेश की प्रति प्राप्त होने या पेश करने के 60 दिनों के भीतर याचिकाकर्ता के शिकायत पर विचार करके कानून के मुताबिक उचित आदेश पारित करें।

न्यायमूर्ति अनिल कुमार उपाध्याय की एकल पीठ ने आल बिहार ट्रैंड लाइब्रेरियन एसोसिएशन द्वारा इसके सचिव राहुल कुमार सिंह के जरिये दायर याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश को पारित किया। दायर याचिका में वर्ष 2008 के पैनल से लाइब्रेरियन के पद पर चयन बंद करने, नए सिरे से वेकैंसी का विज्ञापन निकालने, स्वीकृत पद की घोषणा करने, राज्य के विभिन्न स्कूलों, संस्थाओं व विभागों में लाइब्रेरियन की नियुक्ति हेतु आग्रह किया गया था।

कोर्ट का कहना था कि याचिकाकर्ता को उक्त शिकायत के निवारण के लिए वर्तमान कार्यवाही में रखने के बजाय संबंधित प्रतिवादियों के समक्ष रखना चाहिए। याचिका में राज्य सरकार को राज्य के शिक्षा विभाग के प्रधान सचिव, राज्य के मुख्य सचिव, राज्य के सेकंडरी एजुकेशन के डायरेक्टर व राज्य के लाइब्रेरी साइंस विभाग के डायरेक्टर को प्रतिवादी बनाया गया था। याचिकाकर्ता के अधिवक्ता डॉ अंजनी प्रसाद सिंह की दलील थी कि वर्ष 2008 से वर्ष 2020 तक हजारों रिक्तियां होने के बावजूद आज तक कोई रिक्ति नहीं निकाली गई।

वहीं, ऑल बिहार लाइब्रेरी ट्रेंड एसोसिएशन ने बताया कि सितंबर 2020 में पटना हाईकोर्ट में बिहार के हाई स्कूलों में पुस्तकालय अध्यक्ष के रिक्त पड़े 10 हजार पदों पर बहाली से संबंधित एक रिट दायर की थी, जिसका परिणाम पटना उच्च न्यायालय के द्वारा अब जुलाई 2021 में आया है।