झारखंड: चिरकुंडा में हुआ बड़ा हादसा, कोयला खनन के लिए किए गए विस्फोट में धंसी 60 फीट लंबी सड़क, 50 से अधिक लोगो के अंदर फसें होने का आशंका।

धनबाद जिले के चिरकुंडा थाना एवं पंचेत ओपी की सीमा पर स्थित डुमरीजोड़ में गुरुवार की सुबह करीब 8:30 बजे अवैध कोयला खनन के लिए किये गये विस्फोट से चांच-बाबूडंगाल गांव की सड़क धंस गयी। इस घटना में अवैध मुहानों से खदान के अंदर गये 50 से भी अधिक लोगों के दबे होने की आशंका है। ग्रामीणों के अनुसार, सुबह की शिफ्ट में करीब 70 लोग खदान में गये थे। सड़क धंसने से अवैध माइंस का मुहाना बंद हो गया और खदान के अंदर गए लोग अंदर ही फंस गये। सड़क करीब 60 फीट लंबाई में धंसी, जो पांच फीट नीचे तक चली गयी है।

पश्चिम बंगाल के बताए जा रहे हैं मजदूर।

अंदर फंसे सभी लोग पश्चिम बंगाल के रघुनाथपुर और कुल्टी क्षेत्र के निवासी बताये जाते हैं। घटना के बाद एक दर्जन गांवों का आवागमन बाधित हो गया। बताया जाता है कि 1974-75 से पूर्व यहां पर बंगाल कोल कंपनी कोयला उत्पादन करती थी। उत्पादन करने के बाद कंपनी ने उस क्षेत्र को भरवा दिया था। कोयला उद्योग के राष्ट्रीयकरण के बाद भी बीसीसीएल ने इसे नहीं खुलवाया।

दर्जन भर गांवों की बिजली पर आया संकट।

भूमि धंसने के कारण आसपास के इलाको के कई बिजली के पोल भी क्षतिग्रस्त हो गये। इससे पंचेत क्षेत्र के एक दर्जन गांवों में करीब नाै घंटे बिजली आपूर्ति बाधित रही। सूचना पाकर धनबाद एसडीएम प्रेम कुमार तिवारी, निरसा एसडीपीओ पीतांबर सिंह खरवार, बीसीसीएल सीवी एरिया के जीएम अपूर्व कुमार दत्ता समेत अन्य आला अधिकारी घटनास्थल पर पहुंचे। शाम करीब 4.30 बजे बीसीसीएल के धनबाद एवं दहीबाड़ी से कुल 11 सदस्यीय रेस्क्यू टीम सुपरिंटेंडेंट पीआर मुखोपाध्याय के नेतृत्व में मौके पर पहुंची। एक अवैध मुहाने से रेस्क्यू टीम को अंदर भेजा गया। इसके बाद आधे घंटे में ही टीम बाहर आ गई और बताया कि अंदर कुछ नहीं है। जहां घटना हुई, वहां आसपास एक दर्जन से अधिक अवैध मुहाने हैं, जिससे खनन के लिए लोग अंदर जाते हैं।

संगठित गिरोह कोयले के अवैध उत्पादन को देता था अंजाम।

इस घटना का स्थानीय लोगों ने जम कर विरोध किया। लोगों ने उपस्थित पुलिस अधिकारियों से कहा कि संगठित गिरोह प्रतिदिन यहां से 150-200 टन कोयला अवैध रूप से उत्पादन करवाता था। यह कोयला ट्रैक्टर के माध्यम से जेके नामक फैक्ट्री में भेजा जाता था। इस काम में समीप के जितेंद्र, अजय, मनीष, रिंकू, चिंटू, दीनानाथ अन्य सक्रिय हैं। इसके अलावा अवैध कोयला चिरकुंडा, कुमारधुबी, पंचेत क्षेत्र के अलावा नदी घाट के माध्यम से पश्चिम बंगाल भी भेजा जाता था। बताया जाता है कि कोलियरी की तर्ज पर संगठित गिरोह बकायदा माइनिंग सरदार की तैनाती से लेकर सेफ्टी शूज, सेफ्टी जैकेट तक उपलब्ध करवाता है। रात में हेडलैंप का उपयोग भी अवैध खननकर्ता करते हैं।

बिजली कटने के बाद लोगों को मिली इसकी जानकारी

सबसे पहले सड़क धंसने की घटना घटी। इससे सड़क किनारे के कई बिजली पोल क्षतिग्रस्त हो गये। डुमरीजोड़, चांच, पतलाबाड़ी, लुचीबाद, बेलडांगा, नेपुरा, खैरकियारी सहित आसपास के गांवों की बिजली अचानक चली गयी। बिजली जाने एवं भू-धंसान के दौरान जोरदार आवाज से लोगों को घटना की जानकारी हुई। घटना के समय वहां से कई स्कूली बच्चे पैदल गुजर रहे थे, जो बाल-बाल सुरक्षित बच गए।

500 फीट पर है गांव, विद्यालय व पंचायत भवन

घटनास्थल से महज 500 फीट की दूरी पर डुमरीजोड़ गांव है। गांव में करीब 300-400 की आबादी है। ठीक इससे सटा हुआ प्राथमिक विद्यालय डुमरीजोड़ है. इस विद्यालय में भी आस-पास के करीब सौ से डेढ़ सौ की संख्या में बच्चे पढ़ते हैं। पंचायत सचिवालय भी इससे सटा हुआ है। घटना के बाद से ग्रामीणों में दहशत व्याप्त है। ग्रामीणों के अनुसार, लगातार इसकी शिकायत आला अधिकारियों से की गयी है, लेकिन उनके द्वारा अपराधियों पर कोई कार्रवाई नहीं की जाती है।

घटनास्थल पर पड़ी दरारें चीख चीख के कह रही हैं हादसे की कहानी।

पांच-छह माह पहले डुमरीजोड़ में कोयला माफियाओं के संगठित गिरोह ने वर्षों से बंद पड़ी खदान को खुलवा दिया था। बंगाल के रघुनाथपुर क्षेत्र के चालधुआ, महेशनदी, पुआपुर एवं कुल्टी थाना क्षेत्र से प्रतिदिन 200 से अधिक लोग यहां अवैध खनन करने पहुंचते हैं। यह काम तीन शिफ्ट में किया जाता है। प्रतिदिन की तरह गुरुवार को भी सुबह करीब 8:30 बजे पहली शिफ्ट के लोग अवैध खनन के लिए खदान के अंदर प्रवेश किये थे। स्थानीय लोगों का कहना है कि कई टेंपो से 70-80 लोग यहां पहुंचे थे। केवल एक टेंपो के लोग अंदर नहीं गये। इसी दौरान अवैध खनन करने वाले लोगों ने नीचे विस्फोट कर दिया।

पुलिस पूरे धंसान क्षेत्र का सर्वे तथा जांच करने में जुटी हुई है। लोगों के फंसे होने या दुर्घटना अथवा हताहत होने का कोई संकेत प्राप्त नहीं हुआ है। संदीप सिंह, उपायुक्त के द्वारा
रेस्क्यू टीम को निर्देश दिया गया है कि माइनिंग सेफ्टी संबंधी एसओपी का अनुपालन करते हुए सघन जांच करे व सुनिश्चित करे कि उक्त धंसान की घटना में कोई व्यक्ति फंसा हुआ या घायल तो नहीं है। अगर झारखंड या बंगाल का रहनेवाला कोई भी हताहत होता, तो कम से कम एक भी व्यक्ति का परिजन यहां पहुंचता। केवल सड़क धंसी है। इस तरह का कोई मामला नहीं है। अफवाह फैलायी जा रही है। लगातार बीसीसीएल प्रबंधन क्षेत्र की अवैध खदानों की भराई करवा रहा है।