पुलिस पर दुर्भावना से काम करने का आरोप, पटना हाईकोर्ट ने दिया एफआइआर का आदेश जानिए क्या है पूरा मामला….

बिहार के बाहुबली नेता अनंत सिंह का गढ़ मोकामा एक बार फिर चर्चा में है। यहां हाल में विधानसभा सीट के लिए उप चुनाव कराए गए और इसमें अनंत सिंह की पत्‍नी नीलम सिंह ने भाजपा की सोनम देवी को हरा दिया। अनंत सिंह की सदस्‍यता रद होने के बाद यहां उप चुनाव की नौबत आई थी। इसी उप चुनाव के दौरान हुए एक वाकये को लेकर पुलिस के रवैये पर सवाल खड़े हो गए हैं।

पुलिसवालों पर दर्ज होगी प्राथमिकी…

इस मामले में पटना हाईकोर्ट ने जातिगत दुर्भावना से ग्रसित होकर काम करने वाले आरोपी पुलिसकर्मियों पर तत्काल प्राथमिकी दर्ज कर पटना के एसएसपी को उनका स्थानांतरण करने का निर्देश दिया। न्यायाधीश राजीव रंजन प्रसाद की एकलपीठ ने संतोष सिंह की याचिका पर सुनवाई करते हुए उक्त आदेश दिया।

पुलिस पर दुर्भावना से काम करने का आरोप…

याचिकाकर्ता की ओर से कोर्ट को बताया गया कि यह मामला पटना जिले के सम्यागढ़ ओपी क्षेत्र का है। कोर्ट को बताया गया कि मोकामा टाल के घोसवरी प्रखंड के सम्यागढ़ ओपी में पुलिस द्वारा जातिगत दुर्भावना से ग्रसित होकर ग्रामीणों पर कार्रवाई किया जा रहा है।

उप चुनाव के पहले हुई थी कहासुनी…

यह घटना 28 अक्टूबर की है। 3 नवंबर 2022 को मोकामा विधानसभा के लिए संपन्‍न हुए उपचुनाव के पूर्व सम्यागढ़ ओपी के अंतर्गत आने वाले कई नागरिकों को 107 का नोटिस तामील कराने के दौरान पुलिस और स्थानीय लोगों में बहस हुई। कोलकाता से गांव में छठ मनाने आए इंजीनियर दीपक सिंह और एएसआई प्रमोद बिहार सिंह में मामूली बहस हुई।

150 पुलिस वाले घर में घुसे थे…

इससे सम्यागढ़ ओपी की पुलिस ने गांव के एक जाति विशेष के लोगों को निशाना बनाया। घटना के बाद 28 अक्टूबर की रात करीब 150 पुलिसवालों ने दीपक के घर में जबरन प्रवेश किया। पुलिस ने दीपक को छत से नीचे फेंक दिया। फिर दीपक सहित दो अन्य लोगों को गिरफ्तार कर थाने ले आई। साथ ही कई ग्रामीणों के साथ मारपीट की। परिवार के भारी विरोध के बाद दीपक को पुलिस ने उपचार के लिए ले जाने दिया।

जाति का जिक्र करने से फंसा मामला…

इसके बाद दीपक को पटना के पीएमसीएच लाया गया। वहीं एएसआई ने अपने आवेदन में 10 लोगों को नामजद और 30-35 अज्ञात को अभियुक्त बनाया, लेकिन अज्ञात के साथ यह भी लिखा कि सभी एक ही जाति भूमिहार से हैं। इससे पुलिस की मंशा पर सवाल उठे कि आखिर जब अभियुक्त अज्ञात हैं, तो उनकी जाति पुलिस को कैसे पता चली।