बिहार के कई शहर इस ठंड में वायु प्रदूषण के बन गए हॉटस्पॉट… सर्दी बढ़ने के साथ गंगा के मैदानी भाग में बसे उत्तर बिहार के शहरों में वायु प्रदूषण का स्तर काफी बढ़ गया….

ये बात एनसीएपी द्वारा जारी ताजा आंकड़ों से सामने आई है। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम (NCAP) लागू होने के बाद से ही दिल्ली का वायु प्रदूषण सबसे अधिक रहा है। लेकिन 2022 में लचर औद्योगिक विकास और पिछड़ी अर्थव्यवस्था वाले राज्य बिहार के कई शहरों ने प्रदूषित हवा के मामले में दिल्ली को भी बहुत पीछे छोड़ दिया है।

स्वस्थ लोग भी हो सकते है बीमार…

गंगा के मैदानी भाग में बसे उत्तर बिहार के शहरों पर वायु प्रदूषण हावी रहा है। बिहार के इन शहरों की वायु गुणवत्ता लगातार गंभीर श्रेणी में (AQI 400 या उससे ऊपर) में बनी हुई है। इतना अधिक एक्यूआई लोगों को गंभीर रूप से बीमार करने के लिए काफी है। सर्दी की शुरुआत से ही गंगा के मैदानी इलाकों के शहर में वायु प्रदूषण की गंभीर स्थिति एक पहेली जैसी है। पहेली इसलिए भी कि बिहार के मैदानी इलाकों में दिल्ली की तुलना में बहुत कम फैक्ट्री और इंडस्ट्री हैं और इसकी अर्थव्यवस्था केवल परम्परागत कृषि पर टिकी हुई है।

10 सबसे ज्यादा प्रदूषित शहरों में शामिल बिहार के तीन शहर….

National Clean Air Programme की चौथी एनिवर्सरी पर NCAP ट्रैकर द्वारा जारी डेटा के अनुसार बिहार के तीन शहर पटना, मुज्जफरपुर और गया 10 सबसे खराब वायु गुणवत्ता वाले शहरों की लिस्ट में शामिल हैं। जारी हुई इंडेक्स के हिसाब से पहले स्थान पर दिल्ली, दूसरे स्थान पर फरीदाबाद, तीसरे स्थान पर गाजियाबाद, चौथे स्थान पर पटना, पांचवें स्थान पर मुजफ्फरपुर, छठे स्थान पर नोएडा, सातवें स्थान पर मेरठ, आठवें स्थान पर गोबिंदगढ़, नौवें स्थान पर गया और दसवें स्थान पर जोधपुर शामिल हैं।

प्रदूषण कम करने के लिए उठाये जाये ठोस कदम….

हवा में फैलती जहर को कम करने हेतु ठोस कदम उठाने की जरुरत है। इसके लिए प्रदूषण स्रोतों जैसे शहरों के आंतरिक ट्रैफिक को दुरुस्त किया जाना चाहिए, म्युनिसिपल कचरे पर सरकार उसके निष्पादन के तरीके ढूंढ सकती है। उद्योगविहीन बिहार के शहरों में आई वायु प्रदूषण की सुनामी इस बात की ओर स्पष्ट इशारा करती है कि प्रकृति के मूल तत्वों का प्रदूषण को सोखने या निस्तारित करने की क्षमता में गुणात्मक रूप से कमी आ रही है, चाहे वो वायुमंडल हो या नदियां या फिर तालाब।