जननायक कर्पूरी ठाकुर : राजनेता मंचों पर सुनाया करते थे जिनके किस्से…

जननायक कर्पूरी ठाकुर की आज जयंती है। मुख्यमंत्री नीतीश कुमार, पूर्व मुख्यमंत्री लालू प्रसाद सहित अन्य बिहार के नेताओं ने उन्हें इस अवसर पर याद कर रहे हैं। होटवार जेल में बंद लालू यादव ने ट्वीट कर उन्हें श्रद्धांजलि दी है। उन्होंने लिखा…. महान स्वतंत्रता सेनानी, शिक्षक, ग़रीबों के मसीहा, गुदड़ी के लाल, हमारे मार्गदर्शक, सम्मानित नेता और पूर्व मुख्यमंत्री जननायक कर्पूरी ठाकुर जी को उनकी जयंती पर कोटिशः प्रणाम, शत्-शत् नमन, वंदन और विनम्र श्र्द्धांजलि।

लालू प्रसाद सुनाते थे जननायक के किस्से

1990 की बात है. बिहार में खगड़िया जिले में पड़ने वाले अलौली में लालू प्रसाद यादव का एक कार्यक्रम था. इस दौरान उन्होंने राज्य के पूर्व मुख्यमंत्री कर्पूरी ठाकुर का जिक्र किया. लालू यादव का कहना था, ‘जब कर्पूरी जी आरक्षण की बात करते थे, तो लोग उन्हें मां-बहन-बेटी की गाली देते थे. और, जब मैं रिजर्वेशन की बात करता हूं, तो लोग गाली देने के पहले अगल-बगल देख लेते हैं कि कहीं कोई पिछड़ा-दलित-आदिवासी सुन तो नहीं रहा है. लालू प्रसाद यादव ने आगे इसका श्रेय उस ताकत को दिया जो कर्पूरी ठाकुर ने हाशिये पर रह रहे समुदायों को दी थी।

फटे कोट में आस्ट्रिया का सफर

1952 में कर्पूरी ठाकुर पहली बार विधायक बने थे. उन्हीं दिनों उनका आस्ट्रिया जाने वाले एक प्रतिनिधिमंडल में चयन हुआ था. उनके पास कोट नहीं था. तो एक दोस्त से कोट मांगा गया. वह भी फटा हुआ था. खैर, कर्पूरी ठाकुर वही कोट पहनकर चले गए. वहां यूगोस्लाविया के मुखिया मार्शल टीटो ने देखा कि कर्पूरी जी का कोट फटा हुआ है, तो उन्हें नया कोट गिफ़्ट किया गया. आज जब राजनेता अपने महंगे कपड़ों और दिन में कई बार ड्रेस बदलने को लेकर चर्चा में आते रहते हों, ऐसे किस्से अविश्वसनीय ही लग सकते हैं।

लालू यादव के थे राजनीतिक गुरू

लालू प्रसाद यादव के वे राजनीतिक गुरू थे और हो सकता है कि जनता से संवाद की चतुराई का कुछ हिस्सा लालू यादव ने उनसे भी सीखा हो. इसका अंदाजा एक किस्से से भी लगाया जा सकता है. अपनी मौत से तीन महीने पहले कर्पूरी ठाकुर एक कार्यक्रम में शिरकत करने अलौली गए थे. वहां मंच से वे बोफोर्स पर बोलते हुए राजीव गांधी के स्विस बैंक के खाते का उल्लेख कर रहे थे. भाषण के दौरान ही उन्होंने धीरे से एक पर्ची पर लिखकर पूछा कि ‘कमल’ को अंग्रेज़ी में क्या कहते हैं. लोकदल के तत्कालीन ज़िला महासचिव हलधर प्रसाद ने उस स्लिप पर ‘लोटस’ लिख कर कर्पूरी जी की ओर बढ़ाया. इसके बाद उन्होंने कहा, ‘राजीव मने कमल, और कमल को अंग्रेजी में लोटस बोलते हैं. इसी नाम से स्विस बैंक में खाता है राजीव गांधी का।

सामान्य वर्ग ने कोसा तो पिछड़े साथ आये

1970 में 163 दिनों के कार्यकाल वाली कर्पूरी ठाकुर की पहली सरकार ने कई ऐतिहासिक फ़ैसले लिए. आठवीं तक की शिक्षा मुफ़्त कर दी गई. उर्दू को दूसरी राजकीय भाषा का दर्ज़ा दिया गया. सरकार ने पांच एकड़ तक की ज़मीन पर मालगुज़ारी खत्म कर दी. जब 1977 में वे दोबारा मुख्यमंत्री बने तो एस-एसटी के अलावा ओबीसी के लिए आरक्षण लागू करने वाला बिहार देश का पहला सूबा बना. 11 नवंबर 1978 को उन्होंने महिलाओं के लिए तीन (इसमें सभी जातियों की महिलाएं शामिल थीं), ग़रीब सवर्णों के लिए तीन और पिछडों के लिए 20 फीसदी यानी कुल 26 फीसदी आरक्षण की घोषणा की. इसके लिए ऊंचे तबकों ने एक बड़े वर्ग ने भले ही कर्पूरी ठाकुर को कोसा हो, लेकिन वंचितों ने उन्हें सर माथे बिठाया. इस हद तक कि 1984 के एक अपवाद को छोड़ दें तो वे कभी चुनाव नहीं हारे।