क्या होगा कोरोना वायरस पर नियंत्रण के बाद ?

डॉ. रश्मि अखौरी, पटना के कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस में अर्थ शास्त्र के प्रोफेसर हैं। उनके अनुसार कोरोना वायरस पर नियंत्रण के बाद मानवता के आने वाले दिनों में संभावित आयाम क्या हैं ? पढ़िये ये आलेख…

हमारे सामने यह प्रश्न है कि किस प्रकार अर्थव्यवस्था के विभिन्न आयाम प्रभावित होंगे। अभी कुछ तीन महीने पहले दिसम्बर 2019 तक हमारा जीवन एक सेट पैटर्न पर चल रहा था। सब कुछ हमारे नियंत्रण में था। हर प्रकार की दवाईयॉ उपलब्ध थीं। कभी हमने ऐसा नहीं सोचा कि हम एक प्रकार के वायरस से ग्रसित होने वाले हैं। उसके लिए दवा बनाने में 10 से 15 साल भी लग सकते हैं। बहुत जल्दी भी कोशिश की जाए तो 2-3 साल लग जायेंगें। पूरी दुनिया इन्टरकन्नेक्टेडनेस के कारण एक परिवार बन गया था। बहुत आसानी से लोग एक देश से दूसरे देश ट्रेवल कर लेते थे। भूमण्डलीकरण के कारण यह संभव हो पाया था। लेकिन अब सब कुछ बदलने वाला है। इस वायरस के कारण तुरन्त क्या परिवर्तन हुए, दीर्घकालीन परिवर्तन क्या होने वाला है। सामान्य स्थिति कब आयेगी, और उस सामान्य वातावरण का सृजन जो मानवता के लिए होगा, उसमें क्या परिवर्तन आयेंगे ?

170 देशों में यह वायरस आसानी से फैल गया जो ग्लोबलाईजशन का प्रभाव है। हम हमेशा यही सोचते थे कि वेल्थ जेनरेशन हम किसी तरह कर लेंगे। असमानता बढ़ रही है। मौसम परिवर्तित हो रहा है, लेकिन इनका नियंत्रण करने की शक्ति हमारे पास है, हम यही सोचते रहे।
अब सोचना यह है कि इन्टरकनेक्टेडनेस, ग्लोबल वैल्यू चेन, सोशल कॉन्टैक्ट, लिमिटलेस ट्रैवेल, कनसेप्ट ऑफ वेल्थ जेनरेशन, लाइवलीहुड, इस वायरस के कारण कैसे प्रभावित हो रहा है ?

स्वास्थ्य संबंधित आयाम बहुत मुख्य है। भविष्य में हेल्थ केयर एक मुख्य मुद्दा होगा, क्योंकि कोई भी बीमारी कमजोर और मजबूत लोगों को एक ही जैसा प्रभावित करता है। आज ग्लोबलाईजशन मॉडल को चुनौती है। जो कि लो कॉस्ट थ्योरी पर आधारित है। लेकिन अब हम अपने देश के अन्दर ही सप्लाई चैनेल का विकास करने की कोशिश करेंगे, क्योंकि ग्लोबलाईजेशन का ढांचा फेल होता नजर आ रहा है। अभी के अनुभव पर हम गवर्निंग मॉडल कैसा होना चाहिए इस पर विचार करने लगेंगे।

दीर्घकालीन परिवर्तन को अगर देखा जाए तो इसके बाद हम एक ऐसा वातावरण देखेंगे, जहॉ टेक्नोलॉजी ड्राइवर-वीडियो कॉन्फ्रेन्सिंग का प्रयोग होने लगेगा। सभी को ऑफिस जाने की आवश्यकता नहीं है। टी.टी.एच, जो ट्रैवल टूरिज्म एण्ड हॉस्पीटेब्लीटी से संबंधित है, उसका आयाम ही बदल जायेगा। और धीरे-धीरे हम सब डीजिटल बाई डिफॉल्ट हो जायेंगे, और ऐसी दुनिया में प्रवेश करेंगे, जहां पहले जैसा कुछ भी नहीं होगा। भारतवर्ष में स्ट्रक्चरल और इन्स्टीच्यूशनल बदलाव आ जायेंगे। हमें अब अपने जान का खतरा महसूस होने लगा है। वातावरण प्रदूषण कुछ हद तक नियंत्रित हो जायेगा।

वैचारिक आन्दोलन की संभावना है, क्योंकि ऐसे करोड़ों लोग हैं, जिनके जीविका का साधन छिन गया है। वर्क फोर्स का 90 प्रतिशत असंगठित सेक्टर में लगे हैं। उपभोग का तरीका भी बदल जायेगा। यह सोचने पर मजबूर हो जायेंगे, कि हम अपनी आय का कितना प्रतिशत उपभोग करेंगे और सारी वस्तुओं का उत्पादन अपने देश में करने के लिए बाध्य हो जायेंगे। भारतवर्ष में उपभोग का तरीका ही बदल जायेगा। मेडिसीन और हेल्थ केयर को सरकार अपने खर्च में प्राथमिकता देगी। हम सब एक नई दुनिया की ओर जा रहे हैं। जहॉ दिसम्बर 2019 तक का सेट पैर्टन नहीं होगा। हर सेन्सीबल आदमी सोशल डिसटैन्सी में रहेगा। सामाजिक ढांचा भी बदल जायेगा। लोग भीड़ में नहीं जायेंगे, सिनेमा हॉल, रेस्टोरेन्ट इत्यादि जगह पर लोग नहीं होंगे। कॉन्सेप्ट ऑफ वर्क में परिर्वतन होगा। मानव संसाधन से संबंधित कम्पनियों में परिवर्तन होंगे और व्यय को न्यूनतम किया जाएगा, इसके लिए कुछ लोगों को घर से काम करने की अनुमति प्रदान की जायेगी, जिसका प्रभाव रियल सेक्टर पर पड़ेगा।

शिक्षा में हाइब्रीड मॉडल ऑफ एजुकेशन डेवलप होगा, जिसमें ऑफलाईन और ऑनलाईन टीचिंग दोनों का व्यवधान होगा। लोग टैक्स देने के पहले उसके उपयोग के बारे में सजग होंगे। यह पैसा किस प्रकार खर्च किया जायेगा ? यूनिवर्सल बेसलाइन इंकम का कॉन्सेप्ट तो आएगा ही, लेजर और इनज्वायमेन्ट का कॉनसेप्ट भी बदल जाएगा। एक यूनिवर्सल वैक्सिन का अवष्किर होगा।

तब एक नया सामान्य वातारण मानवता के लिए क्या होगा ?

चीन से कोई रिश्ता नहीं होगा। मल्टीलेटरल इन्स्टीच्यूशन का अस्तित्व खत्म हो जायेगा। क्योंकि सभी देशों का एक दूसरे के प्रति जो दृष्टिकोण है वह बदल जायेगा। आधी जनसंख्या पर मनोवैज्ञानिक प्रभाव पड़ेगा, जिसके लिए सरकार को अलग से सुविधाएॅ देनी हांगी। मनोवैज्ञानिक प्रभाव को मापना मुश्किल हो जायेगा। इस पैनडेमिक क बहुत सारे फॉलआउट होंगे। डण्ैण्डण्म्ै जो जी.डी.पी. में 50 प्रतिषत का योगदान देते हैं। वैसे उद्योगों के लोग बेरोजगार होंगे। चीन एक दम कमजोर हो जाएगा, मैन्यूफैक्चरिंग भी रूक जायेगी और सब का ध्यान सेफ्टी बफर की ओर जायेगा। जैसे – Food, Medicine और Cash बफर।

 

( ये लेखिका के अपने विचार हैं।)