सफलता की कहानी एपिसोड 4 : लॉकडाउन के बीच भी मुस्कुरा उठी ये जिंदगी…

कोरोना संक्रमण के खिलाफ जारी संघर्ष के बीच अनिश्चितता के माहौल और कामकाज में ठहराव के परिदृश्य में धीरे-धीरे बदलाव आने लगा है। परेशानियों में घिरे लोगों के चेहरे पर संतोष का भाव और मुस्कुराहट यूं ही नहीं आया है। यह संभव हुआ है केंद्र सरकार की ओर से परेशान लोगों के लिए राहत से जुड़े उठाए गए कदमों की वजह से । जब सरकार ने राशन और आर्थिक सहयोग किया तो उदास-मायूस लोगों में एक नई उम्मीद जगी और कुछ करने का फिर से जज्बा । इसकी झलक बिहार के विभिन्न जिलों के ग्रामीण क्षेत्रों में अब दिखने लगा है ।देश की बड़ी आबादी गांवों में रहती है और उसके बीच जागृत हुई यह आशा एवं विश्वास का संचार यह बताने और समझने को काफी है कि कोरोना हारेगा और देश जीतेगा । हमारे प्रधानमंत्री ने भी ऐसे ही सहयोग के बल पर यह विश्वास व्यक्त किया था जिसे केंद्र सरकार के सहयोग के बल पर लोग पूरा करने को संकल्पित दिख रहे हैं।

लॉक डाउन के बीच जिम्मेवारी निभाने का जज्बा

बिहार के गांव में खेतों में सूनापन का दौर अब खत्म हो चला है । कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए लॉक डाउन की वजह से सभी घरों में रहते थे । इस वजह से खेतों में सन्नाटा और मायूसी का परिदृश्य उत्पन्न हो गया था। कई कारणों से परेशान और मायूस किसान खेतों में नहीं जा रहे थे। धीरे-धीरे स्थिति बदली। केंद्र सरकार सहयोग को आगे आई तो अब तस्वीर भी बदलने लगी है। ऐसी ही तस्वीर दिखी मुंगेर जिले के हसनपुर सीताकुंड में। यहां खेतों में हरियाली मनमोहक है। खेत में कुछ किसान सामाजिक दूरी बनाकर कृषि कार्य कर रहे थे। एक किसान राजेश मास्क लगाकर काम करते हैं । वे कहते हैं कि सरकार के निर्देश का पूरी तरह से पालन करते हुए हम लोग अपना काम करते हैं। उनका कहना है कि काम नहीं करेंगे तो खाएंगे क्या ? लेकिन सुरक्षा भी जरूरी है , इसलिए हम लोग खेत में दूरी बनाकर काम करते हैं। आखिर सरकार का यह निर्देश हमारे बचाव के लिए ही तो है। फिर उसका पालन हम क्यों ना करें ।

राजेश के विचार इस बात की गवाही देते हैं कि गांव में भी लॉक डाउन के दौरान प्रधानमंत्री के निर्देश के पालन के प्रति लोग कितनी ईमानदारी से अपनी भूमिका निभा रहे हैं। इसी खेत में कैलाश राम पूरी लगन के साथ काम करते दिखे । लॉकडाउन के नियमों से बखूबी अवगत कैलाश कहते हैं कि खेत में दूरी बनाकर काम करने के उपरांत हम लोग घर चले जाते हैं और इधर-उधर नहीं घूमते हैं, क्योंकि हमें पता है कि कोरोना को हराना है तो घर में ही रहना होगा।

’अब परेशानी होगी दूर ’

प्रधानमंत्री किसान सम्मान योजना से रु 2000 के सहयोग ने बिहार के किसानों को मुश्किल के इस दौर में काफी राहत पहुंचाया है। यह राशि उनके घर की जरूरतों की पूर्ति के अलावा थोड़ी सी मदद उनके कृषि कार्य में भी पहुंचा रहा है । समस्तीपुर जिले के रहने वाले किसान लालबाबू के चेहरे की मुस्कुराहट इसी तथ्य की ओर स्पष्ट संकेत करती है। वे लॉकडाउन लागू होने के बाद से सरकार के निर्देश का पालन करते हुए घर में ही रह रहे थे । चूंकि इससे पहले इतने लंबे समय तक ऐसी स्थिति का सामना उन्हें नहीं करना पड़ा था , इसलिए कुछ दिनों बाद आर्थिक संकट की वजह से कई तरह की परेशानियों का सामना उन्हें करना पड़ा। वे मायूस हो गए । मन में बड़ा सवाल कि अब आगे कैसे अपनी जरूरतों की पूर्ति कर पाऊंगा। लेकिन जैसे ही उनके खाते में किसान योजना के रु 2000 जमा होने की सूचना उन्हें मिली तो उनकी मायूसी दूर हो गई। वे केंद्र सरकार के इस सहयोग को मुश्किल की घड़ी में बड़ी राहत मानते हैं तथा इसके लिए बार-बार प्रधानमंत्री के प्रति आभार प्रकट करते हैं ।

’थोड़ी परेशानी पर आसान हुई जिंदगानी ’

ऐसी बात नहीं है कि लॉकडाउन के दौरान किसानों को पहले जैसी सहूलियत या माहौल मिल गया हो। कोरोना संकट से उत्पन्न स्थिति की गंभीरता के मद्देनजर उन्हें मामूली छूट और थोड़ा सा ही सहयोग मिला है । लेकिन संकट के इस समय में हमारे किसान इसे ही बड़ा अवसर मानते हुए अपनी मेहनत और बुलंद हौसले के साथ अपनी महती जिम्मेवारी का निर्वहन कर रहे हैं जिसकी अपेक्षा पूरा देश उनसे करता रहा है। पटना जिले के पैमारघाट गांव के किसान संतोष कुमार इसके मिसाल हैं । वे खेती के अलावा इन दिनों मत्स्य पालन भी कर रहे हैं ताकि इसकी आवश्यकता की पूर्ति भी लोगों के लिए किया जा सके ।

मत्स्य पालन हेतु बनाए गए तालाब में जल भराव का कार्य करते हुए उनसे बातचीत होती है । लॉक डाउन की परेशानी के बाबत पूछे जाने पर वे बताते हैं कि हम लोगों को कोई परेशानी नहीं है । हां , बीज एवं दाना लाने के लिए गाड़ी लेकर जाते वक्त प्रशासन द्वारा पूछताछ की जाती है लेकिन परेशान नहीं किया जाता है। वह इसे जरूरी भी मानते हैं। उनका कहना है कि यह सब तो सरकार जनता की सुरक्षा के लिए ही कर रही है वे यह भी बताते हैं कि हम लोग सामाजिक दूरी बनाकर काम करते हैं तथा लॉक डाउन के नियमों का पूरी तरह से पालन करते हैं।