कोरोना महामारी के बीच इस बार नवरात्रि के रंग कुछ फीके हैं… लेकिन बावजूद इसके श्रद्धालुओं और भक्तों में मां दुर्गा के प्रति अगाध प्रेम तनिक भी कम नहीं हुआ है…. जहां भव्य पंडाल सजते थे… जिसमें विराजमान होती थी शक्ति स्वरूपा की मनोहर मूर्तियां… वहां आज सन्नाटा है… प्रशासन के आदेश के बाद कलश स्थापित कर हीं पूजा-अर्चना की जा रही है…आज नवरात्रि की अष्टमी तिथि और इस तिथि को मां महागौरी की पूजा का विधान है. पुराणों और ग्रंथों में कहा गया है कि …भगवान शिव की प्राप्ति के लिए मां महागौरी ने कठोर पूजा की थी जिससे इनका शरीर काला पड़ गया था. जब भगवान शिव ने इनको दर्शन दिया तब उनकी कृपा से इनका शरीर अत्यंत गौर हो गया और इनका नाम गौरी हो गया. माना जाता है कि माता सीता ने श्री राम की प्राप्ति के लिए इन्ही की पूजा की थी.
मां गौरी श्वेत वर्ण की हैं और श्वेत रंग मैं इनका ध्यान करना अत्यंत लाभकारी होता है. विवाह सम्बन्धी तमाम बाधाओं के निवारण में इनकी पूजा अचूक होती है. ज्योतिष में इनका सम्बन्ध शुक्र नामक ग्रह से माना जाता है.
अष्टमी में मां महागौरी की पूजा करना बहुत फलदायी माना गया है. कहा जाता है कि मां महागौरी माता की पूजा करने से पापों से मुक्ति मिलती है और मन में विचारों की शुद्धता आती है. मां महागौरी हर प्रकार की नकारात्मकता को दूर करती हैं.
वहीं मां महागौरी को प्रसन्न करने के बारे में बात करें तो इस मौके पर पीले वस्त्र धारण करके पूजा आरम्भ करें. मां के समक्ष दीपक जलाएं और उनका ध्यान करें. पूजा में मां को श्वेत या पीले फूल अर्पित करें. उसके बाद इनके मन्त्रों का जाप करें।
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