कांग्रेस नेता राहुल गांधी ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह पर जमकर हमला बोला, राहुल गांधी ने कहा कि भीमा-कोरेगांव प्रतिरोध का प्रतीक है. राहुल ने कहा कि जो कोई भी मोदी-शाह के नफरत भरे एजेंडे का विरोध करता है उसे ’अरबन नक्सल’ करार दे दिया जाता है. राहुल गांधी ने अपने ट्वीट में दोनों नेताओं के लिए मोश (मोदी-शाह) का इस्तेमाल किया.
राहुल ने ट्वीट कर कहा कि एमओएसएच के नफरत भरे एजेंडे का जो भी विरोध करता है उसे अरबन नक्सल करार दे दिया जाता है, भीमा-कोरेगांव प्रतिरोध का प्रतीक है जिसे सरकार के एनआई के पिट्ठू कभी खत्म नहीं कर सकते हैं.“
Anyone who opposes the MOSH agenda of hate is an “Urban Naxal”.
Bhima-Koregaon is a symbol of resistance that the Government’s NIA stooges can never erase. https://t.co/vIMUSs2pjL
— Rahul Gandhi (@RahulGandhi) January 25, 2020
राहुल गांधी का यह बयान तब आया जब सरकार ने शुक्रवार को 2018 में हुई भीमा-कोरेगांव की हिंसक घटना की जांच के लिए नेशनल इंवेस्टीगेशन एजेंसी को सौंप दी. इससे एक दिन पहले, महाराष्ट्र सरकार ने पुणे पुलिस अधिकारियों के साथ इस मुद्दे को लेकर समीक्षा बैठक की थी.
राज्य सरकार ने केंद्र के फैसले पर जताई नाराजगी
केंद्र सरकार के इस फैसले को लेकर राज्य सरकार ने नाराजगी प्रकट की। राज्य के गृह मंत्री अनिल देशमुख ने कहा कि केंद्र ने राज्य सरकार की अनुमति के बिना मामले की जांच एनआईए को सौंप दी, यह संविधान के खिलाफ है। पिछले दो साल से भीमा कोरेगांव से जुड़े सभी मामलों की जांच महाराष्ट्र पुलिस कर रही थी।
1 जनवरी 2018 में भीमा कोरेगांव में हुई थी हिंसा
31 दिसंबर 2017 को यलगार परिषद सम्मेलन का आयोजन किया गया था। इसमें दिए गए भड़काऊ भाषणों के कारण अगले दिन 1 जनवरी 2018 को पुणे जिले के भीमा कोरेगांव युद्ध स्मारक के निकट हिंसा हुई थी. जिसमें एक युवक की जान चली गई थी और करोड़ों की सार्वजनिक संपत्ति को नुकसान हुआ था.
भीमा कोरेगांव में 19 आरोपी
भीमा कोरेगांव हिंसा मामले में अरुण थॉमस फेरेरिया, रोना जैकब विल्सन, सुधीर प्रल्हाद धवले समेत 19 आरोपी हैं. पुलिस द्वारा अदालत में कुछ महीने पहले पेश की गई ड्राफ्ट चार्जशीट के मुताबिक, आरोपी पूर्व पीएम राजीव गांधी की हत्या की तरह ही रोड शो के दौरान प्रधानमंत्री मोदी की हत्या की साजिश रच रहे थे. आरोपियों में मानवाधिकार वकील, शिक्षाविद और लेखक शामिल हैं जिनका संबंध प्रतिबंधित सीपीआई (माओवादी), कबीर कला मंच (केकेएम) से बताया जा रहा है.
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