अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी के बयान के बाद अमेरिका और तालिबान के बीच हुए शांति समझौते को झटका लग सकता है. इंट्रा-अफगान बातचीत शुरू करने के लिए काबुल 5000 तालिबान कैदियों को रिहा करने का वादा नहीं कर सकता. राष्ट्रपति अशरफ गनी के इस बयान के बाद अमेरिका-तालिबान के बीच लंबे समय से शांति समझौते के प्रयासों पर पानी फिर सकता है.
कतर में हुई थी शांति समझौते पर हस्ताक्षर
अमेरिका और तालिबान ने कतर में शांति समझौते पर हस्ताक्षर किए हैं. इसे 10 मार्च को होने वाली बातचीत की शुरुआत मानी जा रही है. हालांकि इस बातचीत के लिए 5000 कैदियों को रिहा करने की बात कही गई थी. इसके बदले में अमेरिका ने अगले 14 महीनों में अपनी सेनाओं के अफगानिस्तान छोड़ने की बात कही थी. दोनों देशों ने इस बारे में संयुक्त बयान जारी किया था.
कैदियों की रिहाई की कोई शर्त नहीं
अफगानिस्तान की राजधानी काबूल में राष्ट्रपति ने कहा कि किसी भी कैदी की रिहाई उनकी सरकार द्वारा लिये जाने वाला एक निर्णय है और वह बातचीत शुरू होने से पहले कैदियों को रिहा करने के लिए तैयार नहीं थे. गनी ने कहा, ’कैदियों की रिहाई के लिए अमेरिका ने अनुरोध किया था और यह वार्ता का हिस्सा हो सकता है लेकिन यह पहले की शर्त नहीं हो सकती है.’ कैदियों की रिहाई का फैसला अमेरिका के अधिकार क्षेत्र में नहीं हैं. इस बारे में कोई भी फैसला करने का हक अफगानिस्तान का है.’
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