कोरोना वायरस की वजह से देशभर में 22 मार्च से लागू लॉकडाउन के बीच प्रवासी मजदूरों अपने प्रदेश से बाहर फंस गए है। इनकी आवाजाही का मामला उच्चतम न्यायालय पहुंच चुका है। सोमवार को न्यायालय ने एक जनहित याचिका पर सुनवाई की। जिसमें केंद्र सरकार को मामले की जांच करने और दो राज्यों के बीच मजदूरों की आवाजाही के मामले में कार्रवाई करने का आदेश दिया।
सुनवाई के दौरान कोर्ट ने पूछा कि इस जानकारी को कैसे सत्यापित किया जाएगा कि प्रवासी मजदूरों की आवाजाही बंद नहीं हुई है। इसपर याचिकाकर्ता ने अदालत को बताया कि वे लोगों को उनके मूल गांवों में वापस भेजा जाएगा। हालांकि गृह मंत्रालय की तरफ से किसी भी तरह की आवाजाही की इजाजत नहीं है।
गृह मंत्रालय ने मजदूरों को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए
इस मामले में सॉलिसिटर जनरल तुषार मेहता ने कोर्ट से कहा कि गृह मंत्रालय ने मजदूरों को लेकर दिशा-निर्देश जारी किए हैं। बता दें कि पिछले दिनों मंत्रालय ने मजदूरों की आवाजाही के लिए स्टैंडर्ड ऑपरेटिंग सिस्टम जारी किया था। जिसमें मजदूरों को किसी भी तरह की अंतर-राज्य आवाजाही की अनुमति नहीं है।
उनके काम के स्थानों पर जाने की अनुमति दी जायेगी
गृह सचिव अजय भल्ला ने कहा था कि लॉकडाउन की वजह से देश के विभिन्न हिस्सों में फंसे हुए मजदूरों को कुछ शर्तों के साथ राज्य के अंदर उनके काम के स्थानों पर जाने की अनुमति दी जाएगी। हालांकि तीन मई तक बढ़ाए गए लॉकडाउन के दौरान मजदूरों को किसी भी तरह की अंतर-राज्य आवाजाही की इजाजत नहीं होगी।
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