डॉ. सुखदेव थोराट से आसान भाषा में समझें कोविड-19 के परिणाम और अपेक्षित नीतियां

‘कोविड-19 इसके परिणाम और अपेक्षित नितियां’ विषय पर पटना के कॉलेज ऑफ कॉमर्स आर्ट्स एंड साइंस में लॉकडाउन व्याख्यान श्रृंखला 6 का आयोजन किया गया। इस व्याख्यान का आयोजन कॉलेज के अर्थशास्त्र विभाग और आ०इक्यू०ए०सी० ने किया। यूनिवर्सिटी ग्रांट कमिशन, नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष और इंडियन काउंसिल ऑफ सोशल साइंस रिसर्च, नई दिल्ली के पूर्व अध्यक्ष डॉ. सुखदेव थोराट ने अपने व्याख्यान में भारतीय अर्थव्यवस्था में कोविड-19 के प्रभाव के मांग पक्ष पर प्रकाश डाला।

अनौपचारिक और स्वनियोजित श्रमिक सबसे ज्यादा प्रभावित

उन्होंने कहा कि उनका व्याख्यान एक सर्वेक्षण पर आधारित था। उनके अनुसार 38 प्रतिशत अनौपचारिक श्रमिक और 10 प्रतिशत स्वनियोजित श्रमिक सबसे अधिक प्रभावित हुए हैं। उन्होंने पांच सूचकों की सहायता से उनके संतोषजनक स्थिति पर प्रकाश डाला जिसमें आय, बेरोजगार, उपयोग, गरीबी और कुपोषण उल्लेखनीय है। उन्होंने सरकार के आर्थिक सुधार के उपायों के बारे में चर्चा की और कहा हमें मांग का सृजन करना होगा तभी लोग भूखे नहीं रहेंगे और डिमांड पुश सॉल्यूशन ही सही उपाय है।

प्रो. शाण्डिल्य ने बताया-आत्मनिर्भर कैसे बनें ?

कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस के प्रोफेसर डॉ० तपन कुमार शांडिल्य ने अपने अध्यक्षीय भाषण में कोविड महामारी की विभीषिका और उससे उत्पन्न स्थिति विशेष रूप से प्रवासी श्रमिकों और उद्योग जगत पर पड़ने वाले प्रभाव पर विस्तार से चर्चा की उन्होंने भारत को कैसे आत्मनिर्भर बनाया जाए उस पर प्रकाश डाला।

प्रोफेसर एस० नारायण, समन्वयक, इंडियन इकोनामिक एसोसिएशन और प्रोफेसर डी० जी० वैष्णव कॉलेज, चेन्नई ने अपने अवलोकन में डॉ० सुखदेव थोराट के विचारों से अपनी सहमति दिखाई और कहा कि लॉकडाउन के कारण संक्रमण के मामलों में कमी आई है और इससे स्वास्थ्य प्रणाली को संसाधन जुटाने और बुनियादी ढांचा मजबूत करने में मदद मिली है। अगर जन स्वास्थ्य उपायों के कवरेज को बढ़ाकर 80þ कर दिया जाए तो महामारी के प्रभाव में कमी लाई जा सकती है। उन्होंने भी डायरेक्ट कैश ट्रांसफर को महत्व दिया।

प्रोफेसर डॉ० रवींद्र ब्राह्मे, विभागाध्यक्ष, स्कूल ऑफ स्टडीज इन इकोनॉमिक्स, पंडित रविशंकर शुक्ला विश्वविद्यालय, रायपुर, छत्तीसगढ़ ने समन्वित टिप्पणी में कहा कि डॉ० सुखदेव थोराट का व्याख्यान बहुत ही ज्ञानप्रद था और कहा कि रोजगार सृजन अभी के समय में सराहनीय हैं। और मांग और पूर्ति आयामों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डॉ० सुखदेव थोराट ने दलित और पिछड़े लोगों के लिए बहुत काम किया है।

प्रोफेसर बी० पी० चंद्रमोहन, जनरल सेक्रेटरी, इंडियन इकोनामिक एसोसिएशन ने डॉ० सुखदेव थोराट के व्याख्यान की सराहना की और कहा कि उनका व्याख्यान नीति निर्माण में सहायक होगा।

प्रोफेसर अनिल कुमार ठाकुर, सचिव, इकोनामिक एसोसिएशन ऑफ बिहार और पूर्व सचिव, इंडियन इकोनामिक एसोसिएशन ने अपने व्याख्यान में भारत में कोविड-19 के कारण अर्थव्यवस्था पर पड़ने वाले प्रभाव और उससे उबरने के उपायों पर प्रकाश डाला। उन्होंने कहा कि डॉ० सुखदेव थोराट ने इंडियन इकोनामिक एसोसिएशन के संगठनात्मक संरचना को सुदृढ़ बनाने में अपना योगदान दिया।

विषय के प्रवेश में प्रोफेसर रश्मि अखौरी, अध्यक्ष, अर्थशास्त्र विभाग ने अर्थव्यवस्था के स्वास्थ्य को सुदृढ़ बनाने के लिए लघु अवधि और दीर्घ काल अवधि के उपायों की चर्चा की और कहा कि रोजगार सृजन ही एक तरीका है जिसके द्वारा साधनों को संगठित करते हुए अर्थव्यवस्था को प्रोत्साहित किया जा सकता है। क्योंकि उपभोग कुल घरेलू उत्पाद का एक मुख्य संघटक है। हमें जीवन और जीविकोपार्जन के बीच सामंजस्य लाने की आवश्यकता है।

इस व्याख्यान श्रृंखला का संचालन कॉलेज ऑफ कॉमर्स, आर्ट्स एंड साइंस के प्रोफेसर संजय कुमार पांडे ने किया। विभिन्न विभाग के शिक्षकों और विभिन्न अतिथियों की सहभागिता ने इस व्याख्यान श्रृंखला को सफल बनाया।