ब्रह्मकुमारी ईश्वरीय विश्वविद्यालय ने कोविड-19 के खराब समय से कैसे उबरें“ विषय पर आनलाईन सेशन का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम की शुरुआत ब्रह्माकुमारी बहन ज्योति ने सभी प्रतिभागियों के स्वागत के साथ की और बिहार इंटरफेथ फोरम फॉर चिल्ड्रेन के सहयोग के लिए धन्यवाद दिया। इसके बाद उन्होंने बच्चों को अपने प्रश्न करने के लिए आमंत्रित किया। इस सेशन में बच्चों के भावनात्मक प्रतिरक्षा और व्यवहारिक समस्याओं पर चर्चा हुई. इस दौरान शहर के अलग-अलग स्कूल बिशॉप स्कॉट स्कूल (ब्यॉज और गर्ल्स विंग), नोट्रेडेम एकेडमी, विद्या निकेतन, माउंट कार्मेल, इदारे शरिया के बच्चों ने अपने सवाल पूछे। बच्चों ने पढ़ाई, करियर, धर्म और विज्ञान, मानसिक तनाव, शिक्षकों का बच्चों के प्रति व्यवहार आदि पर सवाल किए।
स्कूल की भूमिका और राजयोग मेडिटेशन पर चर्चा हुई
ऑनलाइन सेशन के दौरान बच्चों के सवालों के जवाब देने के लिए ब्रह्माकुमारी बहन संगीता, बहन ज्योति, बहन डॉक्टर कीर्ति तथा यूनिसेफ की संचार विशेषज्ञ निपुण गुप्ता, माउंट कार्मेल स्कूल की अर्चना सिन्हा, जमात इस्लाम ए हिन्द के मोहम्मद शहज़ाद, बहन पूनम मौजूद थी। कार्यक्रम के दौरान बच्चों को भावनात्मक रूप से मजबूत कैसे बनाया जाए तथा इसमें स्कूल की भूमिका और राजयोग मेडिटेशन पर चर्चा हुई।
पढ़ाई के लिए एकाग्र मन बहुत जरूरी
एक छात्रा सृष्टि ने सवाल किया कि वो पढ़ाई के दौरान ज्यादा समय तक एकाग्रता नहीं बना पाती। इसे बढ़ाने के लिए क्या कर सकते हैं ? इसका जवाब देते हुए बहन संगीता ने कहा कि पढ़ाई के लिए एकाग्र मन बहुत जरूरी है। एकाग्रता बढ़ाने के लिए अपने पढ़ाई के विषय के बारे में सकारात्मक सोच बनाएं. सभी बच्चों को प्रतिदिन ध्यान करना चाहिए। इससे मन को ऊर्जा मिलती है। वहीं छात्रा शांभवी पांडे ने पूछा कि दसवीं के बाद मेडिकल और इंजीनियरिंग की प्रवेश परीक्षा के लिए बहुत सारे छात्र स्कूल में नॉन-अटेंडेंट चुनते हैं और प्रवेश परीक्षा की तैयारी में लग जाते हैं जिस कारण 12वीं बोर्ड में कम अंक आते हैं। इससे मन पर बुरा प्रभाव पड़ता है। इसे कैसे दूर किया जा सकता है? इसका जवाब देते हुए माउंट कार्मेल स्कूल की शिक्षिका अर्चना सिन्हा ने कहा कि हम शरीर के ऊर्जा के लिए भोजन करते हैं लेकिन मन के लिए कुछ नहीं करते। मन की ऊर्जा के लिए ध्यान आवश्यक है। इससे आपको हर परिस्थिति से लड़ने में मदद मिलेगी और आपका मन स्वस्थ रहेगा।
करियर से जुड़ा निर्णय लेना काफी मुश्किल
वहीं एक छात्र आकाश ने सवाल किया कि वो अपने करियर के चुनाव को लेकर द्वंद में है ? इस पर यूनिसेफ की संचार विशेषज्ञ निपुण गुप्ता ने कहा कि करियर से जुड़ा निर्णय लेना काफी मुश्किल होता है। इसके लिए आपको आत्ममंथन करना चाहिए और सोचना चाहिए कि आपको क्या करने में मन लगता है। जो करना आपको पसंद है उसी में अपना करियर बनाएं तथा अपने माता-पिता और बड़ों से जरूर सलाह लें। यूनिसेफ के सहयोग द्वारा एक ऑनलाइन करियर पोर्टल लांच किया गया है। इसमें सभी करियर से जुड़ी जानकारियां उपलब्ध है। आप इसकी मदद ले सकते हैं।
शिक्षक से बिना किसी संकोच के करें बात
सातवीं कक्षा के छात्र सौरभ दिवाकर ने पूछा कि, शिक्षक कमजोर बच्चों पर ध्यान नहीं देते हैं। वे टॉपर्स पर ज्यादा ध्यान देते हैं। अगर शिक्षक कमजोर बच्चों पर ध्यान दें तो कमजोर बच्चे भी क्लास में टॉप कर सकते हैं। इसके जवाब में बहन डॉ कीर्ति ने कहा कि आप कमजोर और तेज के बारे में सोचना छोड़ दीजिए। शिक्षक के लिए सभी बच्चे बराबर होते हैं। अगर आपको कभी कोई समस्या हो तो अपने शिक्षक से बिना किसी संकोच के बात करें।
बुरे परिणाम की चिंता अपने दिमाग से निकाल दें
दसवीं के छात्र प्रणव प्रकाश ने सवाल किया कि धर्म और विज्ञान के बीच क्या संबंध है? इसका जवाब देते हुए मो. शहज़ाद ने कहा कि धर्म और विज्ञान के बीच ज्यादा अंतर नहीं है। हमें धर्म को अच्छी तरह से समझना होगा। धर्म भी वैज्ञानिक दृष्टिकोण पर आधारित होता है। छात्र करीम ने पूछा कि परीक्षा के परिणाम से 4-5 दिन पहले बहुत चिंता होती है। इसे कैसे दूर कर सकते हैं? इसके जवाब में बहन पूनम ने कहा कि, आप अपने परिणाम के बारे में अच्छा-अच्छा सोचिए। बुरे परिणाम की चिंता अपने दिमाग से निकाल दीजिए। जब आप इस ओर ज्यादा ध्यान नहीं देंगे तो सब कुछ ठीक हो जाएगा। श्रेयांस राठौड़ ने पूछा कि पढ़ाई ज्ञान और खुशी के स्त्रोत की जगह अब एक बोझ बन गया है? बहन पूनम ने इसके जवाब में कहा कि पढ़ाई को बोझ की तरह न लें। इसका भरपूर आनंद उठाएं। शिक्षा का उद्देश्य हमें एक अच्छा इंसान बनाना होता है।
आनलाईन सेशन में 40 से अधिक लोगों ने लिया भाग
इस आनलाईन सेशन में छात्रों, शिक्षकों, धर्म और आध्यात्मिक गुरु समेत 40 से अधिक लोगों ने हिस्सा लिया। जमात इस्लाम ए हिन्द, मोहम्मद शहजाद ने ब्रह्माकुमारी और बिहार इंटरफेथ फोरम फॉर चिल्ड्रेन का शुक्रिया अदा किया और कहा कि उनके जरिया को बच्चे सामने आए और उनके समस्या को समझ सके। ब्रह्माकुमारी कंकड़बाग की मुख्य बहन संगीता ने समापन वक्तव्य दिया।
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