सदन से पास कृषि के तीनों विधेयकों के खिलाफ किसान आक्रोशित हैं। भारतीय किसान यूनियन बुधवार को ग्रेटर नोएडा से होते हुए दिल्ली की आजादपुर मंडी में प्रदर्शन करने निकले हैं जिन्हें नोएडा दिल्ली-बॉर्डर पर ही रोक दिया गया। किसानों का आरोप है कि मोदी सरकार फसलों पर न्यूनतम समर्थन मूल्य की व्यवस्था खत्म करना चाहती है और इसी लिए यह बिल लेकर आई है। उनका ये भी आरोप है कि सरकार बड़े व्यापारियों के साथ मिलकर आढ़तियों का वजूद खत्म करना चाहती है.
बिल को वापस लेने की मांग
पश्चिमी यूपी से लेकर हरियाणा और पंजाब में किसान सड़क पर हैं और बिल को वापस लेने की मांग कर रहे हैं. हरियाणा के पानीपत में दिल्ली कूच कर रहे किसानों पर हरियाणा पुलिस ने आंसू गैस के गोले दागे हैं और पानी की बौछार की गई है. इसके साथ ही किसानों को हिरासत में ले लिया गया. किसानों का कहना है कि अध्यादेश किसानों का डेथ वारंट है और इसे किसी कीमत पर बर्दाश्त नहीं करेंगे. जो पहले से उन्हें मिल रहा है, वह उसको लेकर खुश हैं. सरकार और ज्यादा देने का प्रयास ना करें.
किसान नेताओं का कहना है कि सरकार लोगों के साथ धोखा कर रही है, क्योंकि तीनों अध्यादेश पूंजीपतियों के लिए है और पूंजीपति किसान की फसल का मनचाहा एमएससी लगाएंगे, जिससे किसान की हालत और भी ज्यादा खराब होगी. आज पूरे देश का किसान रोड पर उतर कर इसका विरोध कर रहा है.
25 सितंबर को भारत बंद का ऐलान
भारतीय किसान यूनियन और अखिल भारतीय किसान संघर्ष समन्वय समिति ने 25 सितंबर को भारत बंद का ऐलान किया है. भाकियू के प्रवक्ता राकेश टिकैत ने बताया कि देशभर के किसान 25 सितंबर को कृषि सुधार विधेयक 2020 के विरोध में धरना प्रदर्शन और चक्का जाम करेंगे. यूपी के किसान अपने-अपने गांव, कस्बे और हाईवे का चक्का जाम करने का काम करेंगे. किसानों के आंदोलन को कई विपक्षी पार्टियों ने समर्थन किया है. यहीं नहीं संसद परिसर में भी बिल को लेकर प्रदर्शन किया जा रहा है.
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