बिहार में समान नागरिक संहिता के मसले पर भाजपा और जदयू साथ नहीं बल्कि आमने-सामने खड़ी है। भाजपा बिहार में भी इसे लागू करने के पक्ष में है तो जदयू इसे पांच वर्ष पहले ही अस्वीकार कर चुका है। महागठबंधन की सरकार में रहते हुए ही मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनवरी 2017 में जदयू का स्टैंड साफ कर दिया था और कहा था कि यह बिहार में लागू नहीं होगा। अब भाजपा की दलील है कि नीतीश कुमार एनडीए के मुख्यमंत्री हैं ऐसे में निर्णय भी एनडीए सरकार का होगा। जाहिर है इस पर सियासत और परवान चढ़ने वाली है।
यह मुद्दा तब से और भी बड़ा होता दिख रहा है जब से हाल के दिनों में गृह मंत्री अमित शाह ने भोपाल में यह कहा कि भाजपा शासित राज्यों में वह समान नागरिक कानून संहिता लाएंगे। इसके बाद से ही बिहार की राजनीति में भी उबाल है क्योंकि बिहार में एनडीए की सरकार है और भाजपा नेता लगातार यह कह रहे हैं कि बिहार में भी कॉमन सिविल कोड लागू होकर रहेगा। अब भाजपा नेताओं के इस रुख पर राजनीति परवान चढ़ती जा रही है क्योंकि जदयू और राजद के एक सुर होते दिख रहे हैं।
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