हॉन्गकॉन्ग के वैज्ञानिकों के आगे कोरोना वायरस से दोबारा संक्रमित हुए व्यक्ति का मामला सामने आया है। 30 साल से अधिक आयु का यह व्यक्ति पहली बार साढ़े चार महीने पहले कोरोना वायरस से संक्रमित हुआ था।
वैज्ञानिकों का कहना है कि वायरस के जीनोम में दो चीज़ें ‘बिलकुल अलग’हैं, यह दोबारा संक्रमण होने का दुनिया का पहला मामला है। हालांकि, विश्व स्वास्थ्य संगठन ने कहा है कि एक मरीज़ के मामले से सीधा निष्कर्ष पर नहीं पहुंचना चाहिए। वहीं, विशेषज्ञों का कहना है कि दोबारा संक्रमण होना बेहद दुर्लभ है और यह अधिक गंभीर हो ऐसा भी नहीं है।
हॉन्गकॉन्ग विश्वविद्यालय की इस रिपोर्ट में कहा गया है कि संक्रमण से ठीक होने से पहले यह व्यक्ति 14 दिनों तक अस्पताल में रहा था लेकिन एयरपोर्ट पर स्क्रीनिंग के दौरान वो दोबारा कोरोना वायरस संक्रमित पाया गया है। हालांकि, उसमें इसके कोई लक्षण नहीं थे।
शोधकर्ताओं की टीम के सदस्य डॉक्टर काई-वांग तो ने रॉयटर्स को बताया, “इन नतीजों का यह मतलब नहीं है कि टीका लगवाना व्यर्थ होगा। टीका लगवाने से जो इम्युनिटी मिलती है वो प्राकृतिक संक्रमण से मिली इम्युनिटी से अलग हो सकती है. टीके कितने असरदार हैं ये देखने के लिए हमें टीकों के ट्रायल के नतीजों का इंतजार करना होगा।”
वहीं इंडियन काउंसिल ऑफ मेडिकल रिसर्च (ICMR) ने कहा है कि उन्होंने इस मामले को देखा है और वो इस पर नजर बनाए हुए हैं। ICMR ने कहा कि ये मरीज के इम्युन स्टेटस से संबंधित हो सकता है या शायद वायरस म्युटेट कर गया है।
बता दें, इम्युनिटी को लेकर वैज्ञानिकों का मानना है कि कोरोना से ठीक होने के बाद 3 से 4 महीने में दोबारा संक्रमण का खतरा हो सकता है. इसलिए कोरोना से ठीक होने वाले सभी मरीजों को हर तरह क एहतियात बरतनी चाहिए। हालांकि हर किसी के शरीर और खान पान के अनुसार उनकी इम्युनिटी 3-4 महीने से कम या ज्यादा भी हो सकती है। एंटीबॉडीज कितने दिन काम करती हैं, इस पर वैज्ञानिक अभी शोध कर ही रहे हैं।
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