फेडरेशन ऑफ रेसिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने (एफओआरडीए) ने योग गुरु बाबा रामदेव के खिलाफ कोरोना के इलाज के संबंध में उनकी कथित टिप्पणी को लेकर सख्त कार्रवाई करवाई करने की मांग की है। एसोसिएशन ने रविवार को एक प्रेस रिलीज जारी करके योग गुरु पर डॉक्टरों के खिलाफ ‘आधारहीन आरोप’ लगाने का आरोप लगाया है और चेतावनी दी है कि इस वजह से ‘स्वास्थ्य सेवाओं पर असर पड़ सकता है और मॉर्टिलिटी और मॉर्बिडिटी भी बढ़ सकती है।’ एसोसिएशन ने अपनी प्रेस रिलीज को प्रधानमंत्री, गृहमंत्री, आयुष मंत्रालय, गृह मंत्रालय, केंद्रीय स्वास्थ्य मंत्री समेत कुछ चुनिंदा मीडिया हाउस को भी टैग करके ट्वीट किया है।
रामदेव से डॉक्टरों का संगठन नाराज
फेडरेशन ऑफ रेसिडेंट डॉक्टर एसोसिएशन ने प्रेस रिलीज में कहा है कि ‘इस समय कोरोना वायरस के खिलाफ मेडिकल फ्रैटर्निटी मिलकर काम कर रही है। करीब एक साल की लड़ाई में हमने इस जानलेवा वायरस से लड़ते हुए अपने कई साथियों को खो दिया है। लेकिन, फिर भी हमपर गलत इलाज करने और लगातार बिना किसी सटीक जानकारे के मरीजों को नुकसान पहुंचाने के आरोप लगाए जाते हैं।’
निहित स्वार्थ का लगाया आरोप
इसके बाद एसोसिएशन ने सीधे रामदेव के खिलाफ मोर्चा खोलते हुए लिखा है, ‘बाबा रामदेव ने स्टेरॉयड और रेमडेसिविर जैसी परखी हुई दवाओं के इस्तेमाल पर सवाल उठाए हैं और यह बताने की कोशिश की है कि इससे मरीजों की जान पर खतरा है। उन्होंने ना सिर्फ इलाज के मौजूदा तरीके पर प्रश्न उठाए हैं, बल्कि डॉक्टरों के इरादों पर भी सवाल खड़े किए हैं। उनके निहित स्वार्थ की वजह से पूरे मेडिकल जगत को निशाना बनाया जा रहा है, जो कि शायद उनकी कंपनी की ओर से हाल ही में लॉन्च की गई एंटी-कोविड ट्रीटमेंट को लेकर है। डॉक्टरों के खिलाफ ऐसे आधारहीन आरोप लोगों के स्वास्थ्य और स्वास्थ्य सेवाओं पर इस महामारी के दौर में असर डाल सकता है, जिससे मृत्युदर और रोग की गंभीरता बढ़ सकती है।’
योग गुरु के खिलाफ कार्रवाई की मांग
फेडरेशन ने मांग की है कि ‘बाबा रामदेव के खिलाफ एपिडमिक डिजीज ऐक्ट के तहत गलत जानकारी फैलाने के लिए कार्रवाई हो, जिससे कि स्वास्थ्य सेवाओं और स्वास्थ्य कर्मियों के लिए खतरा पैदा होने की आशंका है।’ प्रेस रिलीज पर संगठन के अध्यक्ष और दो महासचिवों के हस्ताक्षर हैं।
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