खाद के दाम बढ़ने से पड़ सकते आम अमदी की जेब पर भारी असर, बढ़ेगी परेशानी

देश में अन्नदाता किसानों के लिए यह बुरी खबर है। केंद्र सरकार ने धान की खेती के लिए सबसे ज्यादा ज़रूरी खाद डीएपी और पोटाश की कीमतों में भारी बढ़ोतरी की है। इन दोनों खेती के लिए ज़रूरी खाद के लिए किसानों को अपनी जेब ढीली करनी पड़ेगी। आंकड़ों पर नजर डालें तो बीते वर्ष तक 1250 रूपये प्रति बोरी (50 किलोग्राम) मिलने वाला डीएपी अब 1900 रूपये तक में मिलेगा।

इसी तरह 50 किलोग्राम के पैकेट में 900 रूपये कीमत पर बिकने वाला पोटाश अब एक हजार रूपये में मिलेगा। किसानों के लिए थोड़ी राहत वाली बात ये कि नीम कोटेड यूरिया,सुपर फास्फेट पावडर व सुपर फास्फेट दानेदार और जिंक की कीमतों में इजाफा नहीं किया गया है।

बीते वर्ष की कीमत पर ही किसानों को यह खाद मिलेगा।

पोटोश व डीएपी की कीमत में बढ़ोतरी को लेकर प्रदेश में अब राजनीति भी शुरू हो गई है। कृषि मंत्री रविंद्र चौबे ने केंद्र सरकार को पत्र लिखकर कोरोना संक्रमण काल में खाद की कीमतों में की गई बढ़ोतरी का वापस लेने की मांग की है। कृषि मंत्री के पत्र राजनीति के बाद ऐसा माना जा रहा है कि सत्ताधारी दल जल्द ही इसे मुद्दा बनाकर किसानों के बीच पहुंचने की रणनीति बना रहा है। खाद की कीमतों में वृद्धि से किसानों पर दोहरा भार पड़ेगा।

इन किसानों को कीमत में मिलेगी राहत

समर्थन मूल्य पर धान बेचने वाले किसानों जिनका पंजीयन जिला सहकारी केंद्रीय बैंक की विभिन्न् समितियों में उनको राहत मिलेगी। राज्य शासन ने ऐसे किसानों को ऋणी किसान की श्रेणी में शामिल किया है। इनको खुले बाजार से कम कीमत पर खाद की आपूर्ति की जाएगी। छत्तीसगढ़ रज्य सहकारी विपणन संघ मर्यादित द्वारा समितियों के लिए खाद की कीमत इस तरह निर्धारित की गई है।

इन स्टाक पर नए नियम लागू नहीं होंगे

छग राज्य सहकार विपणन संघ मर्यादित मुख्यालय ने खाद की नई दरों की सूची जारी करते वक्त स्पष्ट किया है कि बीते वर्ष का बचा स्टाक का विक्रय पुरानी कीमत के अनुसार ही किया जाएगा। खाद के पुराने स्टाक पर नई दरें लागू नहीं होगी। राज्य शासन के इस निर्देश के बाद इस बात की आशंका भी जताई जा रही है कि इसे लेकर कालाबाजारी भी होगी।

निर्देश में यह कहीं नहीं बताया है कि नई और पुरानी स्टाक का निर्धारण किस हिसाब से किया जाएगा। यह भी स्पष्ट नहीं है कि स्टाकिस्टों से पुराने स्टाक की जानकारी मांगी गई है या नहीं। ऐसे में कालाबाजारी के साथ ही पुराने स्टाक को नया बताकर नई कीमत पर बेचने की कोशिश हो तो अचरज की बात नहीं होनी चाहिए।