बिहार चुनाव से पहले तेवर में कांग्रेस, 15 सालों के नीतीश कार्यकाल का दिखाया आयना, पढ़िये वो 10 प्वाइंट्स

बिहार चुनाव के मद्देनजर तैयार हो रहे कांग्रेस के घोषणा पत्र पर एक प्रेसवार्ता का आयोजन किया गया। इस आयोजन में अखिल भारतीय कांग्रेस कमिटी घोषणा पत्र के संयोजक राजीव गौड़ा पूर्व राज्यसभा सदस्य, सदानन्द सिंह, नेता, बिहार विधानमंडल दल, रोहण गुप्ता राष्ट्रीय अध्यक्ष, सोशल मीडिया, प्रणव मछरजानी, राष्ट्रीय समन्वयक, सोशल मीडिया, आनन्द माधव, अध्यक्ष रिसर्च विभाग एवं मैनिफेस्टो कमिटी तथा राजेश राठौड़, प्रदेश प्रवक्ता, कांग्रेस नेत्री जया मिश्रा, रिसर्च विभाग के प्रदेश सचिव सौरभ कुमार सिन्हा, प्रमोद कुमार सिंह पूर्व विधायक, स्नेहाशीष वर्धन शामिल हुए। इस प्रेस सम्मेलन में यह बताया गया कि बिहार की वर्तमान दिशा और दशा कैसी है तथा इस दुर्दशा से अगर कांग्रेस की सरकार की आती है तो कैसे उबारने का प्रयास करेगी।

कांग्रेस पार्टी के पास अपने वादों को पूरा करने का इतिहास है और हमारा घोषणापत्र हमारे लिए बहुत ही पवित्र दस्तावेज है। सम्मेलन में बोलते हुए राजीव गौड़ा ने कहा कि बिहार कांग्रेस लगातार घोषणा पत्र पर काम कर रही है तथा हमारा घोषणा पत्र लोगों का घोषणा पत्र होगा जिसे बिहार की बात के नाम से जाना जाएगा। आगे बोलते हुए उन्होंने बताया कि कांग्रेस पार्टी अपने घोषणापत्र में बिहार के लोगों के सुझावों को शामिल करेगी। हमने हमेशा लोगों की सुनी है और यह तरीका उसी के लिए है, वे लोगों पर अपनी मन की बात थोपते हैं और हम लोगों के मन की बात सुनते हैं। सभी व्यक्ति ईमेल, व्हाट्सएप, वेबसाइट और सोशल मीडिया माध्यमों पर अपने सुझाव भेज सकते हैं- इससे समाज के सभी तबके के लोगों के सुझाव आ पाएंगे। आगे जाकर हमारे नेता लोगों के साथ घोषणापत्र के बारे में ऑनलाइन परामर्श करेंगे, जहाँ लोग अपने प्रश्न और सुझावों को लाइव पोस्ट कर सकते हैं।

कांग्रेस विधानमण्डल दल के नेता सदानन्द सिंह ने बिहार के मूल समस्याओं के बारे विस्तार से चर्चा करते हुए कहा कि यह राज्य गरीबी, भूखमरी, बेरोजगारी से त्रस्त हैं, किसान मर रहे हैं, युवा भटक रहे हैं, शिक्षक, शिक्षक में भेद किया जा रहा है। ऐसे में इस सरकार को बदलना जरूरी है। हम सब मिलकर घोषणा पत्र में उन चीजों को शामिल कर रहे हैं जिससे इस राज्य में चहुमुखी विकास हो। सोशल मीडिया सेल के अध्यक्ष रोहण गुप्ता ने लोगों को कैसे इस घोषणा पत्र में जोड़ा जाएगा इसपर विस्तार से चर्चा की।

बिहार मेनिफेस्टो कमिटी के अध्यक्ष आनन्द माधव ने बताया कि अब वह समय चला गया जब लोग मेनिफेस्टो एअरकंडिशन कमरे में बैठ के बनाया करते थे। कांग्रेस पार्टी लगातार समाज के विभिन्न वर्गों से संवाद स्थापित कर परामर्श ले रही है। अब उसका विस्तार करते हुए सोशल मीडिया के माध्यम से लोगों के विचारों को अपने घोषणा पत्र में स्थान दिया जायेगा अर्थात् यह घोषणा पत्र समाज का दर्पण होगा।

प्रदेश प्रवक्ता राजेश राठौड़ ने बताया कि वर्तमान सरकार सिर्फ और सिर्फ दोरंगी नीति से काम लेती है। हम किसी भी दोहरी व्यवस्था को समाप्त करेंगे तथा जितने भी नियोजित पद हैं उनको मानदंड के आधार पर सरकार नौकरी में समावेश किया जाएगा। हालांकि यह राज्य समस्याओं से ग्रसित है, लेकिन कांग्रेस पार्टी निम्नांकित मुख्य समस्याओं को प्राथमिकता से लेगी और उनका निदान करेगी।

बिहार में पिछले पन्द्रह वर्षो में वर्तमान सरकार किसी भी क्षेत्र में कोई भी ऐसा उतकृष्ट कार्य नहीं कर पाई है, जिसे वह दिखाने के या बताने के लिए जनता के समक्ष जा पाए। इनमें से कुछ महत्वपूर्ण मुद्दे निम्नांकित हैं-

1. वर्तमान बिहार सरकार में हर दूसरा ब्यक्ति बेरोजगार है, बिहार की बेरोजगारी दर 46.6 प्रतिशत है जो कि राष्ट्रीय औसत से दुगुणे से भी ज्यादा है। प्रदेश में दो करोड़ से अधिक पढ़े लिखे नौजवान, बेरोजगार हैं, परंतु सरकार के पास इतने बड़े बेरोजगारों के लिए न तो किसी प्रकार का रोडमैप है और न हीं सरकार के पास किसी प्रकार की इच्छा शक्ति ही है।

हमारी सरकार इन पढ़े लिखे एवं अनपढ़ बेरोजगार युवकों के लिए अल्प कालिक एवं दीर्घकालिक योजना लेकर आयेगी, जिसके तहत सभी को रोजगार एवं स्वरोजगार कि ब्यवस्था की जायेगी एवं सभी सरकारी रिक्तियों को 18 माह के अंदर भरा जायेगा।

  1. बिहार राज्य में किसानों कि स्थिति और राज्यों के तुलना में काफी बुऱी है। सरकार ने 2006 में कृषि उत्पादन बाजार समिति को समाप्त कर दिया, इसके साथ हीं न्यूनतम निर्धारित मूल्य भी बिचैलियों के हाथ चला गया। जिस कारण वश यहां के किसान अपने फसलों एवं उत्पादों को औने पौने दाम पर बेचने को मजबूर हैं। जैसे कि गेहूं का न्यूनतम समर्थन मूल्य 1925 है, लेकिन किसान इसे 1200 से 1300 रूपये के बीच में बेचने को मजबूर है। धान का निधारित मूल्य रू0 1868 एवं 1888 है पर इसे भी किसान रू0 1200-1300 से अधिक पर नहीं बेच पाता है। मक्का का समर्थन मूल्य रू0 1850 है लेकिन यह भी रू0 1200-1300 में ही बिक पा रहा है। बाकी के पैसे बिचैलिए के पास जा रहा है। हमारी सरकार निर्धारित मूल्य को पूरे राज्य में सख्ती से लागू करेगी।

3. सामान कार्य के लिए सामान वेतन।

वर्तमान सरकार दोरंगी नीति अपनाते हुए एक ही तरह के कार्य के लिए अलग-2 वेतन देती है। हमारी सरकार सभी शिक्षकों एवं अन्य विभागों में सभी नियोजित कर्मचारी एवं शिक्षकों को मानदंड के अनुरूप उनका समावेश करके नियोजित पद को समाप्त कर दिया जाएगा।

  1. राज्य में 2 लाख से अधिक आँगनबाड़ी सेविकाओं को न तो सरकार वेतनमान देती है न राज्यकर्मी का दर्जा यही हाल राज्य के 90 हजार आशा बहुओं, 73 हजार सांख्यकी स्वयंसेवकों, एम्बुलेन्स कर्मियों, गोपाल मित्रों, विकास मित्रों एवं वार्ड सचिवों की भी है। एवं राष्ट्रीय पार्टी होने के नाते कांग्रेस पार्टी इनकी बेहतरी के लिए प्रयास करेगी।

5. राज्य में लगभग 44 हजार ग्राम रक्षा दल और पुलिस मित्रों को मानदेय, वेतनमान और दैनिक मजदूरी की बात तो छोड़ दें इन्हें डियूटी पर प्रयुक्त साजो सामान भी उपलब्ध नहीं करवाया जाता है। ज्यादातर ये दलित वर्ग से आते हैं और वर्तमान सरकार के कुरीतियों के कारण भूखमरी के कगार पर पहुँच चुके हैं। हमारी सरकार ग्रामरक्षा दल के सदस्यों और पुलिस मित्रों को उचित सम्मान देगी।

  1. राज्य में अपराध अपने चरम पर है। महिलाएं कहीं भी सुरक्षित नहीं हैं। चाहे वह राजधानी हो या मुजफ्फरपुर या सरकार का आश्रमगृह हो। दहेज प्रताड़ना, बलात्कार की घटनाएं राज्य में दिनों दिन बढ़ती जा रही है। महिलाओं के विरूद्ध 26.6 प्रतिशत अपराध में वृद्धि हुई है। हमारी सरकार महिलाओं को पूर्ण सुरक्षा देने का वादा करती है साथ ही राज्य की कानून व्यवस्था जा 9 प्रतिशत की दर से बढ़ रही है उसपर नकेल कसेगी।

7. कोरोना काल में कुप्रबंधन। पूरे विश्व ने भारत में मजदूरों के पलायन को देखा है। खासकर बिहार के विस्थापित मजदूरों की दूर्दशा। पहले तो बिहार सरकार ने उन्हें राज्य में आने से भी मना कर दिया और बाद में जब वे कांग्रेस की पहल पर आए तो उन्हें राज्य सरकार से किसी तरह की सहायता नहीं मिली। कोरेन्टाइन सेन्टर, गरीबों को अनाज एवं अन्य सुविधाएं मात्र भ्रष्टाचार का माध्यम बन कर रह गया। मनरेगा के अन्तर्गत भी इन्हें सरकार द्वारा घोषित कार्य भी नहीं मिल पाया। हमारी सरकार सभी मजदूररों का श्रेणीबद्ध नियोजन करते हुए हर राज्य में एक सूचना केन्द्र की भी स्थापना करेगी।

  1. केन्द्र सरकार के सभी मानक संस्थाओं जैसे एन0सी0आर0बी0 नीति आयोग, एम0सी0आई0 के अनुसार बिहार में कानून व्यवस्था शिक्षा एवं स्थास्थ्य की स्थिति बदतर है। बिहार में स्वास्थ्य सेवाओं के सारे मानक ध्वस्त हो चुके हैं। चिकित्सकों अग्रिम पंक्ति के स्वास्थ्य कर्मियों की बेहद कमी है। हमारी सरकार सभी रिक्त पदों को भरने के साथ-2 प्राथमिक चिकित्सा केन्द्रों की मजबूती के लिए कार्य करेगी। हमारी सरकार एक ऐसी निगरानी व्यवस्था कायम करेगी जिससे राज्य में स्वास्थ्य व्यवस्था सुचारू रूप से लागू कर सके।

9. बिहार एक उद्योग विहीन राज्य है। पिछले 15 सालों में एक भी उद्योग यहाँ नहीं आया। आजादी के बाद से कांग्रेस काल में शुरू किये गये उद्योग भी बंद हो गये। हमारी सरकार कृषि आधारित उद्योगों को बढ़ावा देगी सथ ही बंद पड़े चीनी, जूट मीलों को फिर से चालू करेगी। साथ ही हम नए लघु, मध्यम उद्योग, हथकरघा उद्योगों लिए नई नीति लाकर हर जिले एवं प्रखंड स्तर पर बढ़ाएंगे।

  1. बिहार में लगभग 4 करोड़ बच्चे है। इनमें आधे से अधिक कुपोषित है हमारी सरकार पोलियो उन्मूलन की तरह नई कुपोषण नीति लाकर प्रदेश के बच्चों को कुपोषण मुक्त करेगी। हमारी सरकार बच्चों के स्वास्थ एवं शिक्षा पर प्राथमिकता देगी ताकि बिहार का भविष्य सुदृढ़ हो सके।