जगदानंद सिंह का इस्तीफा, राजद को बड़ा झटका लगा, तेज प्रताप हैं इसकी वजह!

राष्‍ट्रीय जनता दल और उसके राष्‍ट्रीय अध्‍यक्ष लालू प्रसाद यादव को बड़ा झटका लगा है। राजद से खबर है कि पार्टी के प्रदेश अध्‍यक्ष जगदानंद सिंह ने अपने पद से इस्‍तीफा दे दिया है। सूत्रों से मिली जानकारी के मुताबिक, जगदानंद सिंह ने अपने इस्‍तीफे की वजह बढ़ती उम्र और स्‍वास्‍थ्‍य कारणों को बताया है। हालांकि पार्टी ने, जगदांनद सिंह के इस्‍तीफे की खबरों को महज़ अफवाह बताते हुए खारिज कर दिया है। मालूम हो कि राजद प्रवक्‍ता चितरंजन गगन ने जगदानंद सिंह का इस्तीफा ना होने की बात कही है।

गौरतलब है कि दो साल पहले राजद सुप्रीमो लालू यादव ने पार्टी के कई नेताओं के विरोध के बावजूद जगदानंद सिंह को राजद की कमान सौंपी थी। वहीं, जगदानंद सिंह को काफी ईमानदार और कर्मठ नेता की छवि के साथ लालू परिवार का करीबी माना जाता है। वह रामगढ़ से एमएलए और बक्सर से सांसद रह चुके हैं। लालू सरकार में वह जल संसाधन मंत्री भी रहे।

जगदानंद सिंह तेजप्रताप यादव के बीच तनातनी

हालांकि, पिछले कुछ अरसे से जगदानंद सिंह और लालू यादव के बड़े बेटे तेजप्रताप यादव के बीच तनातनी की खबरें आती रहती थीं। अभी चार दिन पहले राजद के स्थापना दिवस समारोह में भी तेजप्रताप ने जगदानंद सिंह पर निशाना साधा था। उन्होंने अपने संबोधन के दौरान मंच से ही कहा था, ‘लगता है जगदानंद अंकल हमसे नाराज चल रहे हैं, इसलिए मेरी बातों पर हाथ उठाकर समर्थन नहीं करते।’ तेजप्रताप, पहले भी जगदानंद सिंह का विरोध कर चुके थे। तब जगदानंद सिंह ने इसे परिवार का मामला बताया था।

तेज प्रताप ने कहा था जगदानंद से पहले कभी ऐसा अनुभव नही हुआ

इसी साल फरवरी में तेजप्रताप ने जगदानंद पर सवाल खड़ा करते हुए कहा था, ‘‘मुझे बताया गया है कि पार्टी के कार्यकर्ताओं को समय लेकर उनसे मिलने को कहा जाता है। क्या यह एक लोकतांत्रिक पार्टी का कार्य है।’’ सिंह उस समय वहां मौजूद नहीं थे। गुस्से से तमतमाए तेज प्रताप यादव ने आरोप लगाया कि ‘‘जगदानंद जैसे लोगों’’ के कारण ही उनके पिता बीमार हुए।

उन्होंने कहा कि ऐसे लोग पार्टी को कमजोर कर रहे हैं। कार में अपनी सीट पर बैठने से पहले उन्होंने कहा था कि, ‘‘मैं हसनपुर सीट से माननीय विधायक हूं और पार्टी कार्यालय पहुंचा तो मेरा स्वागत तो छोड़िए, प्रदेश अध्यक्ष मुझसे मिलने तक नहीं आते हैं।’’

एक सवाल के जवाब में यादव ने कहा कि उन्हें पूर्व प्रदेश अध्यक्ष रामचन्द्र पूर्वे के समय में कभी भी इस तरह के अनुभव का सामना नहीं करना पड़ा। हालांकि, बाद में सिंह ने कहा, ‘‘कोई समस्या नहीं है। मैं उनसे (तेजप्रताप यादव) बात करूंगा।’’

इस पर जद (यू) विधान परिषद सदस्य और प्रवक्ता नीरज कुमार ने कहा था, ‘‘मैं जगदानंद सिंह से पूछना चाहता हूं कि वह साष्टांग दंडवत क्यों कर रहे हैं। आप उस एक पार्टी में अपनी उम्र और अनुभव के लिए सम्मान की उम्मीद नहीं कर सकते जो एक राजनीतिक परिवार की जागीर बन गई है।’’

राजद ने किया खंडन

प्रदेश अध्‍यक्ष जगदानंद सिंह के इस्‍तीफे की खबरों का राजद ने खंडन किया है। पार्टी प्रवक्‍ता चितरंजन गगन ने कहा कि जगदानंद सिंह ही पार्टी के प्रदेश अध्‍यक्ष हैं। उनके इस्‍तीफा देने का सवाल ही नहीं उठता है। राजद प्रवक्ता मृत्युंजय तिवारी ने भी जगदानंद सिंह के इस्‍तीफे की बात का खंडन किया है। उन्‍होंने कहा कि हमारे प्रदेश अध्यक्ष ने अपने पद से इस्तीफा नहीं दिया है। उनके इस्तीफा देने का कोई सवाल नहीं है। जो भी इस्तीफे की खबर चला रही है, वो सही नहीं है। उन्होंने कहा कि इस्तीफे की खबर का सच्चाई से दूर-दूर तक कोई वास्ता नहीं है। प्रदेश अध्यक्ष जी रोज की तरह अपने दफ्तर में काम कर रहे हैं। वह सुबह 10 बजे दफ्तर आते हैं और शाम छह बजे वापस जाते हैं।

लालू ने मंजूर नहीं किया इस्‍तीफा

सूत्रों का कहना है कि प्रदेश अध्‍यक्ष जगदानंद सिंह का इस्‍तीफा अभी पार्टी अध्‍यक्ष लालू यादव ने मंजूर नहीं किया है। उन्‍होंने जगदानंद को पद पर बने रहने को कहा है। दरअसल, जगदानंद इधर तेजप्रताप यादव द्वारा खुद को टारगेट किए जाने से नाराज चल रहे थे। इस्तीफे के लिए उन्होंने भले स्वास्थ्य कारणों का हवाला दिया है, लेकिन इससे संदेश यही गया है कि नाराजगी में उन्‍होंने यह कदम उठाया है। सूत्रों का कहना है कि लालू यादव इस पूरे मसले को बातचीत के जरिए सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं। उन्‍होंने अपने पुरानी साथी जगदानंद सिंह से फिलहाल पद पर बने रहने को कहा है।

जगदानंद सिंह को कमान सौंपकर लालू ने खेला था स्वर्ण दांव 

जानकर बताते हैं कि जगदानंद सिंह को पार्टी की प्रदेश इकाई की कमान सौंपकर लालू यादव ने स्वर्ण दाव चला था। मालूम हो कि जिस वक्‍त जगदानंद सिंह प्रदेश अध्‍यक्ष बनाए गए थे उससे कुछ समय पहले ही सवर्ण आरक्षण बिल का विरोध करने के चलते एक बड़े वर्ग में राजद को लेकर काफी नाराजगी देखने को मिल रही थी। 2019 के लोकसभा चुनाव में राजद एक भी सीट नहीं जीत सकी। रघुवंश प्रसाद सिंह समेत पार्टी के कई वरिष्ठ नेता चुनाव हार गए थे। ऐसे में जगदानंद सिंह को पार्टी की कमान सौंपकर लालू यादव ने बड़ा दांव चला था। पार्टी सवर्णों में यह संदेश नहीं देना चाहती थी कि राजद अगड़ी जाति के खिलाफ है।