राजधानी में आयोजित एक कार्यक्रम से लौटने के क्रम मे पत्रकारों ने जब उनसे पूछा कि गठबंधन बदलने की बात कही जा रही है तो उन्होंने कहा कि ऐसी कोई बात नहीं है। उन्होंने उल्टे सवाल करते हुए कहा कि कहां से सुन लेते हैं इस तरह की बात? चिंता मत कीजिए।
विपक्ष के नौ दलों द्वारा केंद्रीय एजेंसी के दुरुपयोग के बारे में प्रधानमंत्री को पत्र लिखे जाने के मामले में जदयू के अलग रहने के सवाल पर मुख्यमंत्री ने कहा कि हम तो रात-दिन काम करते रहते हैं। अलग-अलग पार्टियां अलग-अलग काम करती रहती हैं। हम तो काम में सक्रिय रहते हैं। व्यस्त रहते हैं। हमारी इच्छा यह है कि ज्यादा से ज्यादा दल एकजुट हो जाएं। एक राउंड हमने बात कर ली है। यदा-कदा बात होती रहती है। जब होगा तो जाएंगे। छोटे-मोटे चीज के लिए कहां जाने की जरूरत है।
मुख्यमंत्री ने कहा कि जिस पार्टी को जैसा लगता है, वह काम करती रहती हैं। मेरा अभी वहां जाना कोई आवश्यक नहीं है। जब सब कुछ हो जाएगा तो हमारे जाने की जरूरत होगी तो जाएंगे। बिहार में तो सात दल मिलकर काम कर रहे हैं। यहां कोई दिक्कत नहीं है।
बिहार मे शराबबंदी मॉडल के अध्ययन के लिए छत्तीसगढ़ से आई टीम के बारे में मुख्यमंत्री ने कहा कि टीम से बहुत अच्छे ढंग से बात हुई है। हमने उन्हें 2018 के सर्वे के बारे में बताया कि शराबबंदी लागू होने के बाद 1.64 करोड़ लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है। इसके बाद जब हाल में सर्वे कराया तो यह बात सामने आई कि 1.82 करोड़ लोगों ने शराब पीना छोड़ दिया है। बिहार में 99 प्रतिशत महिलाएं शराबबंदी के पक्ष में हैं। वहीं, 92-93 प्रतिशत पुरुष शराबबंदी का समर्थन करते हैं।
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