कोटा से गाजीपुर लौटी छात्रा रैपिड जांच में मिली कोरोना पाजिटिव, मचा हड़ंकप – क्या नीतीश को अंदेशा था खतरे का ?

उत्तर प्रदेश के गाजीपुर में  राजस्थान के  कोटा से आई एक छात्रा का कोरोना रैपिड जांच में पॉजिटिव पाई गई है। फ़िलहाल उसे आइसोलेशन वार्ड भेज दिया गया है। वहीँ बताया जा रहा है। छात्रा का सैंपल दूसरी जांच के लिए बीएचयू भेजा गया है। डीएम ने बताया कि दूसरी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आने पर ही छात्रा को कोरोना संक्रमित माना जाएगा। बता दे छात्रा जिस बस में सवार हो कर आई थी उसमे दो पुलिसकर्मी के साथ 25 छात्र सवार थे। मौजूदा तौर पर उस बस के चालक एवं अन्य को क्वारंटाइन कर दिया गया हैं।

बता दें उत्तर प्रदेश सरकार की पहल पर कोटा से रविवार को गाजीपुर लौटे 230 छात्र-छात्राओं की थर्मल स्क्रीनिंग की गई थी। जहां एक छात्रा को डॉक्टरों ने संदिग्ध कोरोना संक्रमित माना था, एवं  रैपिड टेस्ट में उसकी जांच रिपोर्ट पॉजिटिव आई इसके बाद उसका सेंपल लेकर कोरोना वायरस के पीसीआर जाँच के लिए बीएचयू भेज दिया गया। वहीँ बस में सवार सभी छात्र एवं छात्राओं को रेलवे जोन ट्रेनिंग सेंटर में क्वारंटाइन किया गया है। गाजीपुर में अभी कोरोना संक्रमित मरीजों की संख्या पांच हैं ये वाराणसी में भर्ती हैं।

कोरोना कोविड-19 के नोडल अधिकारी स्वतंत्र कुमार का कहना है कि कस्बे के निवासी एक छात्रा की जांच के दौरान तापमान अधिक पाया और लक्षण भी कोरोना जैसे दिखे। इसके बाद उन्होंने ब्लड सैंपल लेकर आरडीपी किट से छात्रा की जांच की तो रिजल्ट पॉजिटिव आया। जिलाधिकारी ओमप्रकाश आर्य ने बताया कि अभी किट के अनुसार मामला संदिग्ध है। बीएचयू से जांच रिपोर्ट आने के बाद ही संक्रमण की पुष्टि होगी।

कोटा में फंसे छात्रों की घर वापसी को लॉकडाउन नियमों के खिलाफ बताया था मुख्यमंत्री नीतीश ने

बता दें कि कोटा में फंसे छात्रों की घर वापसी को लेकर जब राजस्थान सरकार की ओर से इन छात्रों को अपने घर लौटने के लिए पास जारी किए जाने लगे। कुछ छात्र अपने गृह राज्य की सीमा पर पहुंचे तो उन्हें रोक दिया गया। इसकी सूचना बिहार सरकार ने केंद्र को तुरंत पत्र लिखकर दी थी। वही बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने योगी सरकार के कोटा बस भेजने के फैसले को लॉकडाउन का माखौल उड़ाना बताया है। उन्होंने राजस्थान सरकार से बसों का परमिट वापस लेने तथा कोटा में ही विद्यार्थियों को सुविधा व सुरक्षा देने की मांग की है, बढ़ते कोरोना संक्रमन के के बीच अगर देखा जाये तो बहुत हद तक ये सही भी है।  शायद यही कारण रहा है कि नीतीश कुमार कई बार यह कह चुके हैं कि इस तरह से सड़क मार्ग से लोगों के आने-जाने से लॉकडाउन के साथ खिलवाड़ होता है। उत्तर प्रदेश से आई खबर के आधार पर ये कहा जा सकता है कि बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश नहीं चाहते हैं कि बिहार कोई भी छात्र या छात्रा  कोटा से घर वापसी के दौरान किसी भी प्रकार से अनावश्यक  संक्रमण की चपेट में आये। ऐसे में लॉकडाउन के साथ खिलवाड़ उनके जीवन से खिलवाड़ बन जाता है।

नीतीश कहते हैं सोशल डिस्‍टेंसिंग ही कोरोना से बचने का एकमात्र उपाय

मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने जनता के नाम संदेश में कहा है कि कोरोना वायरस के संक्रमण के कारण पूरी मानव जाति संकट के दौर से गुजर रही है। देश में भी कोरोना संक्रमण के मामले बढ़ रहे हैं। इस महामारी की गंभीरता को देखते हुये प्रत्येक व्यक्ति का सचेत रहना नितांत आवश्क है। सोशल डिस्टेंसिंग ही इससे बचाव का एकमात्र प्रभावी उपाय है। इसी को देखते हुए समाज के व्यापक हित में लॉकडाउन को तीन मई तक बढ़ाया गया है।