गया इंटरनेशनल एयरपोर्ट के कोड ‘GAY’ पर आपत्ति, शहर के धार्मिक महत्व का हवाला देकर, पार्लियामेंट्री पैनल की कोड बदलने की मांग

गया इंटरनेशनल एयरपोर्ट की ओर से गया का कोड ‘GAY’ के रूप में सालों से इस्तेमाल किये जा रहे ‘गे’ शब्द पर लोगों ने आपत्ति जताई है।

मालूम हो कि पार्लियामेंट के गलियारे तक आवाज उठाने वालों का कहना है कि गया एक धार्मिक शहर है, जिसका कोड ‘गे’ नहीं होना चाहिए। इस पौराणिक शहर के लिए ऐसे शब्द के प्रयोग ठीक नहीं है। ऐसे शब्द या अक्षर के प्रयोग से शहर की ऐतिहासिकता, पौराणिकता और गौरवमयी इतिहास को ठेस पहुंचती है।

हालांकि इस मामले में इंटरनेशनल एयर ट्रांसपोर्ट एसोसिएशन का कहना है कि कोड तभी बदला जा सकता है, जब वाजिब तर्क प्रस्तुत किया जाएगा। साथ ही तब जब वह तर्क सुरक्षा के लिहाज से भी दुरुस्त होगा। बावजूद इसके संबंधित मामले को एविएशन मिनिस्टर ने एयर इंडिया के मार्फत इंटरनेशनल एयरपोर्ट एसोसिएशन को भेजा है।

कैसे हुई विवाद की शुरुआत

बीते शुक्रवार को पार्लियामेंट्री पैनल ने आपत्ति जताई थी कि यह कोड गया शहर की पौराणिकता की दृष्टि से ठीक नहीं है। उसकी धार्मिक व पवित्र छवि को ‘गे’ कोड से ठेस पहुंच रही है। पैनल ने कोड चेंज करते हुए नाम भी सुझाया है। उसने कोड के लिए ‘Yag’ का नाम सुझाया है। संबंधित मामले में पार्लियामेंट्री पैनल ने केंद्र सरकार से कोड चेंज करने की मांग की थी।

बता दें कि ‘गे’ अंग्रेजी का शब्द है। इसका अर्थ समलैंगिकता से जुड़ा है। समलैंगिकता को बेशक सुप्रीम कोर्ट ने अपनी अनुमति दे रखी है, पर इसे सामाजिक रूप से भारत में अब भी स्वीकारा नहीं गया है। इसे गलत दृष्टि से ही देखते हैं।

अथॉरिटी स्तर से कुछ नहीं कर सकते – डायरेक्टर

मामले में गया एयरपोर्ट अथॉरिटी के डायरेक्टर बंगजीत शाह ने बताया कि मामला संज्ञान में है। लेकिन इसमें अथॉरिटी स्तर से कुछ नहीं किया जा सकता है। यह तकनीकी मामला है। कोड नाम कई सालों से इस्तेमाल किया जा रहा है। इसे इंटरनेशनल एयरपोर्ट एसोसिएशन निर्धारित करता है। अब लोग इस पर आपत्ति जता रहे हैं तो भविष्य में इंटरनेशनल एयरपोर्ट एसोसिएशन को ही कोई निर्णय लेना होगा। वह भी तब जब वह तकनीक व सुरक्षा के दृष्टिकोण से जरूरी समझेगा। पूर्व में भी इस मामले को उठाया गया था, लेकिन वह बात आई गई हो गई थी।