पटना: बिहार थैलेसेमिया पेरेंट्स एसोसिएशन एवं बिहार एसोसिएशन ऑफ़ पर्सन्स विथ डिसेबलिटिज़ के संयुक्त तत्वाधान में विश्व थैलेसीमिया जागरूकता दिवस के अवसर पर कल दिनांक 8 मई 2022 को अपराहण 3 बजे से गूगल मीट प्लेटफॉर्म के माध्यम से ऑनलाइन थैलेसीमिया जन जागरूकता वेबिनार का आयोजन किया गया। कल के वेबिनार के मुख्य अतिथि डॉ० शिवाजी कुमार, पूर्व राज्य आयुक्त नि:शक्तता (दिव्यांगजन) बिहार सरकार सह प्रसिद्ध दिव्यांगजन विशेषज्ञ थे। विशिष्ट अतिथि सह मुख्य वक्ता प्रसिद्द हेमेटोलॉजिस्ट डॉ. अविनाश सिंह, एस.एच.एस.बी. के एचडी डॉ एन. के. गुप्ता भी उपस्थित रहे।
इसके साथ ही प्रियंका मिश्रा (सचिव, बिहार थैलेसीमिया पेरेंट्स एसोसिएशन), बिहार एसोसिएशन के उपाध्यक्ष ह्रिदय यादव, सचिव सुगन्ध नारायण प्रसाद, संयुक्त सचिव संजीव कुमार, महिला प्रकोष्ठ सदस्य शिव कुमारी, प्रोग्राम मैनेजर संतोष कुमार सिन्हा, कौशिक मिश्रा, मंटु कुमार, भागेश्वर कुमार, उमेश कुमार सिंह, प्रदीप यादव, जुली कुमारी, जहांगीर अली, दिपीका वर्मा, सुमंत मंडल, धीरज कुमार, अभिषेक कुमार, राहुल सोनी,राम प्रकाश यादव, अमलेष, बंटी कुमार, विद्या माला, मुकेश कुमार, गया जिला डी.पी.जी. की अध्यक्ष रीता रानी, अंजु भारती, बिहार एसोसिएशन ऑफ पर्सन्स विथ डिसएबिलिटिज के सदस्यगण, समाजसेवी, विशेषज्ञ आदि लोगो ने थैलेसीमिया के लक्षण, उसके प्रसार, बचाव एवं सुरक्षा के उपायों के बारे में सभा में मौजूद आम जनों को जागरूक कराया। कल के वेबिनार में सैंकड़ो लोग ऑनलाइन उपस्थित थे।
एसोसिएशन में जुड़े हुए बच्चे भी मौजूद थे उन्होंने अपनी समस्याओं को बताया और उनका समाधान करने हेतु विशेषज्ञों से निवेदन किया उस बच्चे में कौशिक मिश्रा, मन्टु कुमार, जुली कुमारी, उतम कुमार एवं अन्य लोग मौजूद थे। कल के कार्यक्रम को कराने का मुख्य उद्देश्य थैलेसीमिया के प्रति जागरूकता फैलाना है।
क्या है थैलेसीमिया?
थैलेसीमिया यह एक अनुवांशिक रक्त रोग हैं। इस रोग के कारण रक्त हीमोग्लोबिन निर्माण के कार्य में गड़बड़ी होने के कारण रोगी व्यक्ति को बार-बार रक्त चढ़ाना पड़ता हैं। आम भाषा में अगर आपको समझाए तो थैलेसीमिया एक पीढ़ी से दूसरी पीढ़ी तक चलते रहने वाला रक्त(खून) का एक ऐसा रोग है जिससे शरीर में खून बनना बंद हो जाता है। भारत में हर वर्ष 7 से 10 हजार बच्चे थैलेसीमिया से पीड़ित पैदा होते हैं। यह रोग न केवल रोगी के लिए कष्टदायक होता है बल्कि सम्पूर्ण परिवार के लिए कष्टों का सिलसिला लिए रहता हैं। यह रोग अनुवांशिक होने के कारण पीढ़ी दर पीढ़ी परिवार में चलती रहता हैं। इस रोग में शरीर में लाल रक्त कण रेड ब्लड सेल(आर.बी.सी.) नहीं बन पाता है और जो थोड़े बन पाते है वह केवल अल्प काल तक ही रहते हैं। थैलेसीमिया से पीड़ित बच्चों को बार-बार खून चढाने की आवश्यकता पड़ती है और ऐसा न करने पर बच्चा जीवित नहीं रह सकता हैं। इस बीमारी की सम्पूर्ण जानकारी और विवाह के पहले विशेष एहतियात बरतने पर हम इसे आनेवाले पीढ़ी को होने से कुछ प्रमाण में रोक सकते हैं।
आज के ऑनलाइन वेबिनार में विशेषज्ञों द्वारा थैलेसीमिया से ग्रसित लोगों के लिए हर जिले में डे केयर की स्थापना, मुफ्त रक्त उपलब्धता, थैलेसीमिया पहचान पत्र एवं सर्टिफिकेशन जैसे विषयों पर चर्चा की गई और इस क्षेत्र में ग्रसित बच्चो और युवाओं के मदद के लिए बिहार सरकार से नम्र निवेदन किया गया। इस सभा में आए सभी प्रतिष्ठित व्यक्तियों ने कहा कि हमे बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार पर पूरा विश्वास है कि वह हमारी मांगों को ध्यान से सुनेगे और राज्य के लोगो के मदद के लिए आगे आएंगे।
डॉ शिवाजी कुमार ने कहा की थैलेसीमिया रोग एक आनुवांशिक एवं रक्त विकार है। इसमें बच्चे के शरीर में लाल रक्त कोशिकाओं का उत्पादन सही तरीके से नहीं हो पाता है और इन कोशिकाओं की आयु भी बहुत कम हो जाती है।इस कारण इन बच्चों को हर 21 दिन बाद कम से कम एक यूनिट खून की जरूरत होती है।
उन्होंने यह भी बताया कि थैलेसीमिया से पीड़ीत लोगों के समस्याओं के समाधान के लिए हमेशा तत्पर हैं। थैलेसीमिया एक अनुवांशिक बीमारी है ऐसे में आप लोगों को हर संभव बिहार एसोसिएशन पर्सन विद डिसेबिलिटी एवं सरकार मदद करेगी अगर कहीं भी ऐसे लोगो को हमारी जरूरत हो तो हमें फोन या व्हाट्सएप करें उनको हम जरूर सहयोग करेंगे। साथ ही थैलेसीमिया पर प्रकाश डालते हुए उन्होंने अनेकों उपाय बताएं जैसे शादी के पूर्व खून जांच प्रसव के बाद जांच सभी प्रकार के जांच करवाने का सजेशन दिया एवं जांच से ही इसे पता लगाया जा सकता है और रोका जा सकता है।
डॉ. एन के गुप्ता ने थैलेसीमिया के बारे में विस्तृत जानकारी, एवं सरकार द्वारा थैलेसीमिया के लिए चलाये जा रहे योजनाओं के बारे में बताया तथा बिहार में थैलेसीमिया से पीड़ित के उपचार के लिए चलाये जा रहे डे केयर सेंटर के बारे में लोगों को जानकारी दिया। उन्होंने आश्वासन दिया की थैलेसीमिया पीड़ित बच्चों को किसी भी स्थिति में ब्लड की कमी नहीं होने दिया जाएगा बशर्ते कि वह अपना निबंधन अवश्य कराएं थेलीसेमियां के रोकथाम उसे फैलने से रोकने के लिए अनेकों उपाय बताएं। उन्होने बताया कि राज्य में अभी मात्र 1291 थैलेसीमिया से ग्रसीत लोग ही ऑलाईन रजिस्टर्ड हैं। अभी उन्हें जागरूकता की बहुत आवश्यकता है।
डॉ० अविनाश सिंह ने बताया कि थैलेसीमिया आनुवंशिक रोग होने के कारण इसकी रोकथाम बहुत मुश्किल है, बच्चों के जन्म से पहले एवं जन्म के बाद ब्लड टेस्ट के द्वारा इस रोग का पता लगाया जा सकता है। थैलेसीमिया से पीड़ित व्यक्ति को विकास में परेशानी का सामना करना पड़ सकता है, थैलेसीमिया के मरीज़ को काफी अधिक थकान भी महसूस होती है। थैलेसीमिया का खतरा उन लोगों को काफी अधिक होता है जिनके परिवार में पहले से किसी को थैलेसीमिया हो। बिना डॉक्टर के सलाह के दवाई नहीं लेनी चाहिए। उन्होंने भी कहा कि थैलेसीमिया बीमारी से लड़ाई में मैं हर कदम पर आपके साथ हूं और आपके बेहतरी के लिए मैं आपका हर संभव मदद करता रहूंगा।
बिहार थैलीसिमिया पैरंट एसोसिएशन के सेक्रेटरी प्रियंका मिश्रा ने बताया कि थैलीसिमिया में बच्चों को क्या-क्या परेशानियां आती हैं साथ ही यह भी बताया कि हम सब कैसे आगे बढ़कर अपने अधिकारों और सरकार द्वारा चलाई जा रही योजनाओं का लाभ उठा सकते हैं।
कल के जागरूकता वेबिनार में कौशिक मिश्रा, मंटु कुमार, भागेश्वर कुमार, उमेश कुमार सिंह, प्रदीप यादव, जुली कुमारी, जहांगीर अली, दिपीका वर्मा, सुमंत मंडल, धीरज कुमार, अभिषेक कुमार, राहुल सोनी,राम प्रकाश यादव, अमलेष जी, बंटी कुमार, विद्या माला, मुकेश कुमार, राकेश कुमार, जोशी राज के साथ सैंकड़ो दिव्यांगजन उपस्थित थे।
कल के वेबिनार का संचालन प्रियंका मिश्रा के द्वारा किया गया एवं धन्यवाद ज्ञापन संतोष कुमार सिन्हा के द्वारा किया गया।
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