बिहार की नीतीश सरकार लगातार शराबबंदी को लेकर बड़े-बड़े दावे भी करती है। लेकिन, बिहार में जिस तरह से आए दिन जहरीली शराब से मौत की खबर, खुलेआम शराब की तस्करी की तस्वीरें और शराबबंदी में पकड़े जाने के बाद भी जेल नहीं जाने के मामले आ रहे हैं, वह निश्चित तौर पर सरकार के दावों पर सवाल खड़े करती नजर आते हैं। बिहार में शराबबंदी कानून के जो आंकड़े हैं, वो हैरान करने वाले हैं। दरअसल बिहार में शराबबंदी कानून के तहत पकड़े गए लोगों में तीन प्रतिशत दोषी ही जेल गए हैं।
मद्य निषेध विभाग की रिपोर्ट के अनुसार, साल 2022 में एक लाख 55 हजार 867 लोगों को शराबबंदी कानून के तहत सजा सुनाई गई। इसमें 97 प्रतिशत यानी एक लाख 51 हजार 591लोगो ने जुर्माना दिया और जेल जाने से बच गये। जानकारी के अनुसार 3622 अभियुक्तों को एक माह कारावास की सजा सुनाई गई। इसमें दोबारा शराब पीने के अपराध में पकड़े गए लोग भी शामिल थे। वहीं शराब के धंधे में शामिल रहे 400 से अधिक धंधेबाजो को एक से दस साल के बीच की सजा सुनाई गई है।
पिछले साल यानी 2022 के अप्रैल में राज्य में शराबबंदी संशोधन कानून लागू हुआ। इसके बाद पहली बार शराब पीने वालों को दो से पांच हजार रुपये तक जुर्माना देकर रिहा करने का कानून लागू किया गया था। हालांकि, शराब के धंधेबाजों और तस्करों पर सख्ती पहले की तरह कायम रही। उनको ट्रायल के जरिए एक साल से लेकर आजीवन कारवास की सजा सुनाई जा रही है। शराबबंदी संशोधन कानून के बाद ट्रायल पूरा होने की संख्या बहुत बढ़ी है। सजा मिलने वालों की संख्या में भी कई गुणा बढ़ोतरी दर्ज हुई है। मद्य निषेध विभाग की माने तो शराबबंदी लागू होने के बाद अप्रैल, 2016 से 31 दिसंबर 2021 के बीच महज 1686 ट्रायल ही पूरा हो पाया था। इनमें 1062 आरोपियों को तीन महीने से लेकर आजीवन कारावास तक की सजा सुनाई गई थी।
1,55,867 अभियुक्तों को सुनाई गई सजा।
1,51,591 शराबियों ने 2 से 5 हजार तक दिया जुर्माना।
3622 अभियुक्तों को दी गई एक माह जेल की सजा।
113 को 3 माह या 50000 रुपये जुर्माना की सजा।
202 अभियुक्तों को एक साल की सजा सुनाई गई।
198 अभियुक्तों को 5 साल की सजा सुनाई गई।
9 अभियुक्तों को मिली 6 साल की सजा।
23 अभियुक्तों को मिली 7 साल की सजा।
6 अभियुक्तों को आठ साल की सजा सुनाई गई।
33 अभियुक्तों को सुनाई गई 10 साल की सजा।
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