आकाशीय बिजली, जिसे हम वज्रपात या ठनका के नाम से भी जानते हैं। ठनके से बिहार में अब तक सौ से अधिक लोगों की जान जा चुकी है। हांलाकि सरकारी आंकड़े इसे 83 हीं बता रही है। मौसम विभाग ने 28 जून तक वज्रपात के खतरे को लेकर अलर्ट जारी किया है। ऐसे में हमें ये जरूर जानना चाहिए कि आखिर ठनका या वज्रपात के वक्त हम अपने और अपने परिवार को सुरक्षित कैसे रखें।
वज्रपात के समय अपने आप को सुरक्षित रखने के लिए बारिश के दौरान लोगों के लिए घर से बाहर निकलने से परहेज करना चाहिए। प्रयास किया जाना चाहिए कि पक्के घर में सुरक्षित रहें। बारिश के दौरान प्रायः लोग खुले में पेड़ों के नीचे छिपने की कोशिश करते हैं। हरे पेड़ बिजली के लिए अत्यंत सुचालक होते हैं। ये बिजली को अपनी ओर तेजी से आकर्षित करते हैं। इसलिए अक्सर देखा जाता है कि पेड़ों पर बिजली गिरती है। ऊंचे पेड़ पहले उसके शिकार होते हैं।
वज्रपात से बचने को क्या करें और क्या न करें…
- मौसम विभाग के विशेषज्ञों का कहना है कि बिजली कड़कने के दौरान खुले में मोबाइल का उपयोग बिल्कुल न करे।
- बिजली कड़कने या बारिश के समय लंबे पेड़ों की ओट बिल्कुल नहीं लेनी चाहिए।
- खुले आसमान के नीचे अकेले फंस गये हों तो गड्ढों या नीची चट्टानों की ओट लें।
- उसी छतरी का इस्तेमाल करें, जिसमें धातु की बजाय लकड़ी का हैंडल लगाया गया हो।
- आसपास कोई भी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण, जैसे कंप्यूटर, मोबाइल फोन आदि चालू हालत में न रखें।
- बिजली के खंभों और टॉवरों से दूरी बरतें।
- वाहनों के अंदर न बैठे रहें बल्कि निकल कर तुरंत सुरक्षित स्थानों की ओर रुख करें।
- बादल गर्जन के समय धातु के तारों, खिड़की, ग्रिल से दूरी बनाए रखें।
- वज्रपात के समय बिजली का हर उपकरण बंद रखा जाये।
- वज्रपात की आशंका हो तो खुली जमीन पर लेटने से परहेज करें।
- विशाल मैदान हो, तो झुंड में न खड़ा नहीं होना चाहिए।
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