कोरोना की तीसरी लहर को लेकर बच्‍चों में बढ़ा खतरा, पटना एम्‍स में तीन दिन के अंदर दो बच्‍चों की मौत,

crop person touch palms with newborn baby on gray backdrop

शनिवार को पटना के एम्स में कोरोना संक्रमित बच्चों में मल्टी सिस्टम इनफ्लेट्री सिंड्रोम (एमआइएस-सी) से पीडि़त एक बच्चे की मौत हो गई। उसे कार्डियक अरेस्ट होने के बाद गुरुवार को अखिल भारतीय आयुर्विज्ञान संस्थान (एम्स) पटना में भर्ती किया गया था। स्थिति खराब होने के कारण तत्काल शिशु आइसीयू में भर्ती कराया गया। एम्स चिकित्सकों के अनुसार बच्चा ब्रेन डेड अवस्था में ही भर्ती किया गया था। तीन दिन पहले भी एम्स में एमआइएस-सी से पीड़‍ित एक बच्चे की मौत हो गई थी। एम्स शिशु विभागाध्यक्ष डा. लोकेश तिवारी ने बताया कि उसे दो दिन पहले कार्डियक अरेस्ट होने के बाद स्वजनों ने भर्ती कराया था। वह पहले से ही ब्रेन डेड अवस्था में था। एम्स में एमआइएस के दो और बच्चे भर्ती हैं।

कोरोना की तीसरी लहर को लेकर बच्‍चों में बढ़ा खतरा

मालूम हो कि एम्स में इस सप्ताह में इससे दूसरे बच्चे की मौत का मामला आया है। जानकारों के मुताबिक कोरोना की तीसरी लहर को लेकर बच्चों में खतरा भी बढ़ रहा है। यह कोरोना संक्रमण होने के 14 दिनों से डेढ़ महीने के बीच बच्चों को अपनी चपेट लेता है। विशेषज्ञों के अनुसार आरंभ में पहचान होने से जान बचाना आसान होता है। यह बच्चों के दिल को सबसे पहले खराब करता है। इसमें खून जमने की प्रक्रिया गड़बड़ा जाती है। हर्ट से ब्लड वेसेल्स में गड़बड़ी भी आने लगती है। डाक्टर इसे कावासाकी डिजिज जैसी बीमारी मानते हैं।

बच्चों में 20 गुना कम है रिस्क

एम्स चिकित्सकों के अनुसार अमेरिका में हुए शिशु शोध पर गौर करें तो बच्चों में एक व्यस्क की तुलना में 20 गुना कम संक्रमण का खतरा होता है। कोरोना संक्रमण की पहली लहर में एम्स में महज 52 संक्रमित व 54 संदिग्धों के डाटा मिले थे। दूसरी लहर में यह संख्या 650 को पार कर गई है। लगभग एक दर्जन को छोड़ कर सभी को टेलीमेडिसीन के माध्यम से ही घर से ही उपचार कराया गया। अब सभी स्वस्थ हैं। उन्होंने कहा कि यदि बच्चों को समय पर उपचार मिले तो 96 फीसद घर पर ही ठीक हो जाएंगे। ऐसे में तीसरी लहर से बच्चों को बचाने में अभिभावकों की अहम योगदान साबित होगा।

क्या है एमआइएस-सी की पहचान?

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