केन्द्र के विरोध को SC ने किया खारिज, महिला अधिकारियों को सेना में स्थायी कमीशन

सुप्रीम कोर्ट ने सेना में स्थायी कमीशन पाने से छूट गयी महिला अधिकारियों की याचिका पर फैसला सुनाया है। सुप्रीम कोर्ट ने इसको लेकर केन्द्र सरकार को फटकार भी लगायी है। दिल्ली हाईकोर्ट के फैसले को बरकरार रखते हुए सुप्रीम कोर्ट ने यह फैसला सुनाया है। आपको बता दें कि साल 2010 में दिल्ली की लड़ाई जीतने के बावजूद महिला अधिकारियों को केन्द्र सरकार ने अब तक उनका हक नहीं दिया था।

महिला अधिकारियों की नियुक्ति विकासवाद

जस्टिस डीवाई चंद्रचूड और जस्टिस अजय रस्तोगी की बेंच ने फैसला सुनाते हुए कहा कि सेना में महिला अधिकारियों की नियुक्ति विकासवादी प्रक्रिया है। सुप्रीम कोर्ट ने केंद्र सरकार को फटकार लगाते हुए कहा कि सुप्रीम कोर्ट ने हाई कोर्ट के फैसले पर रोक नहीं लगाई गई।

सुप्रीम कोर्ट ने फैसला सुनाते हुए कहा कि जब रोक नहीं लगाई गई, फिर भी केंद्र ने हाईकोर्ट के फैसले को लागू नहीं किया। हाईकोर्ट के फैसले पर कार्रवाई करने का कोई कारण या औचित्य नहीं है। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि हाई कोर्ट के 9 साल के फैसले के बाद केंद्र 10 धाराओं के लिए नई नीति लेकर आया।

मानसिकता में बदलाव करे केन्द्र

सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि सभी नागरिकों को अवसर की समानता, लैंगिक न्याय सेना में महिलाओं की भागीदारी का मार्गदर्शन करेगा. महिलाओं की शारीरिक विशेषताओं पर केंद्र के विचारों को कोर्ट ने खारिज किया। सुप्रीम कोर्ट ने कहा कि केंद्र दृष्टिकोण और मानसिकता में बदलाव करे. सेना में सच्ची समानता लानी होगी. कोर्ट ने कहा कि 30 फीसदी महिलाएं इस क्षेत्र में तैनात हैं, और सेवा दे रही हैं।