दिल्ली हाईकोर्ट: डिजिटल मीडिया पोर्टल को नहींं दे सकते अंतरिम संरक्षण, झेलनी होगी दंडात्मक कार्रवाई, सरकार ने बताया 1700 डिजिटल मीडिया पहले ही दे चुके हैं जानकारी

दिल्ली हाईकोर्ट ने बुधवार को नए आईटी (सूचना प्रौद्योगिकी) नियमों को चुनौती देने वाली विभिन्न डिजिटल मीडिया पोर्टल की याचिकाओं पर सुनवाई स्थगित करते हुए इन डिजिटल मंचों को दंडात्मक कार्रवाई से संरक्षण प्रदान करने से  इनकार कर दिया। दरअसल अदालत को सूचित किया गया था केंद्र ने इस मामले को उच्चतम न्यायालय में स्थानांतरित करने संबंधी याचिका दायर की है।

मुख्य न्यायाधीश न्यायमूर्ति डी एन पटेल और न्यायमूर्ति ज्योति सिंह की पीठ ने अतिरिक्त सॉलिसीटर जनरल विक्रमजीत बनर्जी से पूछा, ‘स्थानांतरण याचिका डाली गई है?’ जिसके जवाब में उन्होंने कहा ‘हां’।इसके बाद अदालत ने द वायर, क्विंट डिजिटल मीडिया लिमिटेड और प्रवादा मीडिया फाउंडेशन की याचिकाओं पर सुनवाई 20 अगस्त तक के लिए स्थगित कर दी।
संशोधित सूचना प्रौद्योगिकी नियमों के मुताबिक सोशल मीडिया एवं प्रसारण कपंनियों को विवादित सामग्री को जल्द से जल्द हटाना होगा, शिकायत निवारण अधिकारी नियुक्त करने होंगे और जांच में सहयोग करना होगा।

इन पोर्टल की ओर से पेश वरिष्ठ अधिवक्ता नित्या रामकृष्णन ने अदालत से अंतरिम संरक्षण देने का अनुरोध किया। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार ने डिजिटल मीडिया पोर्टल के प्रतिवेदनों पर अभी तक जवाब नहीं दिया है। उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार का कदम उच्चतम न्यायालय के फैसले का विरोधाभासी है जिसमें कहा गया है कि मीडिया की सामग्री का नियमन अस्वीकार्य है।

इसके जवाब में अतिरिक्त सॉलिसीटर चेतन शर्मा ने कहा, 1700 डिजिटल मीडिया आईटी नियमों के अनुरूप जानकारी पहले ही दे चुके हैं। अदालत ने इस बारे में कोई भी आदेश देने से इनकार कर दिया और केंद्र से जवाबी हलफनामा दायर करने का निर्देश दिया।

इससे पहले उच्च न्यायालय ने फाउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म, द वायर, क्विंट डिजिटल मीडिया लिमिटेड और प्रवादा मीडिया फाउंडेशन की याचिकाओं पर नोटिस जारी कर केंद्र से जवाब मांगा था।अदालत ने अंतरिम आदेश जारी करने से इनकार करते हुए कहा कि इस पर बाद में विचार किया जाएगा।

‘फॉउंडेशन फॉर इंडिपेंडेंट जर्नलिज्म’, ‘द वायर’, क्विंट डिजिटल मीडिया लिमिटेड और ‘ऑल्ट न्यूज’ चलाने वाली कंपनी प्रावदा मीडिया फॉउंडेशन ने सूचना प्रौद्योगिकी (मध्यस्थ दिशा निर्देश और डिजिटल मीडिया आचार संहिता) नियमावली, 2021 पर रोक लगाने का अनुरोध किया था।