कोरोना से मौत के ठीक पहले पत्रकार के किये इस मैसेज से आपके दावें झूठे हो रहे ‘सरकार’

इस मैसेज को ध्यान से पढ़िये,

ICU अच्छा नहीं है। प्लीज किसी प्राइवेट अस्पताल में चलते हैं। यहां कोई ध्यान नहीं दे रहा है।

ये हैदराबाद के टीवी पत्रकार मनोज कुमार के आखिरी मैसेज में से एक खास मैसेज था।मनोज की मौत पिछले हफ्ते कोरोना वायरस हो गई थी। बताया जा रहा कि उन्हें सरकारी गांधी अस्पताल में भर्ती कराया गया था और यहीं उनका इलाज चल रहा था।

भाई को भेजा था मैसेज

वायरल हुए इस मैसेज को उन्होने

6 जून को दोपहर 3:46 पर अपने भाई साईनाथ को भेजा था। इसके बाद 24 घंटे के अंदर मनोज की मौत हो गई। वो 33 साल के बताये जाते हैं।

कहा जा रहा है कि जब मनोज ने ऑक्सीजन सपोर्ट के लिए पूछा तो उन्हें अस्पताल की ओर से कोई ठीक जवाब नहीं मिला, इसके साथ ही अस्पताल की हालत उन्हें बेहद खराब लगी। इसके बाद उन्होंने अपने भाई को टेक्स्ट किया, “प्लीज यहां से चलते हैं।”

इधर अस्पताल प्रशासन कुव्यवस्था के आरोपों से इनकार किया है।अस्पताल के सुपरिंटेंडेंट ने बयान में कहा है किव “मनोज पहले से ही Myasthenia Gravi से पीड़ित थे, इस बीमारी में मांसपेशी कमजोर हो जाती हैं. इसमें रेस्पिरेटरी मसल भी शामिल हैं। इसके लिए उनकी सर्जरी भी हुई थी उनका थाइमस ग्लैंड हटाया गया था और वो अपनी स्थिति की वजह से स्टेरॉयड पर थे। इन कोमोर्बिडिटी के साथ वो COVID-19 पॉजिटिव हुए थे और उन्हें बाइलेटरल न्यूमोनिया के साथ टाइप-1 रेस्पिरेटरी फेलियर और एक्यूट रेस्पिरेटरी डिस्ट्रेस सिंड्रोम हो गया था। हमने पूरी कोशिश की लेकिन उन्हें बचा नहीं पाए।”

इस पत्रकार के द्वारा किये गए मैसेज के वायरल होने के बाद

चीफ मिनिस्टर ऑफिस के एक प्रेस नोट में कहा, “कुछ लोग झूठ फैला रहे हैं कि गांधी अस्पताल कोरोना वायरस मरीजों से भर गया है. कुछ न्यूजपेपर और टीवी चैनल ये फेक न्यूज रिपोर्ट कर रहे हैं. लेकिन ये एक झूठ है. गांधी अस्पताल में 2,150 मरीजों के इलाज की सुविधा है. ऑक्सीजन सप्लाई फैसिलिटी के साथ 1000 बेड हैं. अभी तक वहां सिर्फ 247 कोरोना मरीज ही हैं।”