प्रधान मंत्री शाम चार बजे राष्ट्र को संबोधित करेंगे

देश में जारी कोरोना संकट (Coronavirus) के बीच प्रधान मंत्री नरेंद्र मोदी 30, जून मंगलवार शाम 4 बजे राष्ट्र को संबोधित करेंगे। प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) ने ट्वीट कर इसकी जानकारी दी है।

प्रधानमंत्री का यह संबोधन वैसे वक्त में हो रहा है जब देश भर में एक तरफ जहां कोरोना वायरस के आंकड़े तेजी से बढ़ रहे हैं, वहीं दूसरी तरफ गलवाना घाटी में हुई हिंसक झड़प के बाद चीन के साथ तनाव भी चल रहा है। ऐसे में पीएम मोदी का यह राष्ट्र के नाम संबोधन काफी अहम माना जा रहा है। बता दें कि 15-16 जून की दरमियानी रात को लद्दाख के गलवान घाटी में चीनी सैनिकों के साथ हुए हिंसक झड़प में कर्नल समेत भारत के 20 जवानों की जान चली गई थी और 70 से अधिक सैनिक घायल हो गए थे। इसके बाद से ही दोनों देशों के बीच सीमा पर तनातनी जारी है।

बता दें कि बीते रविवार को ‘मन की बात’ कार्यक्रम में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत-चीन तनाव पर कहा, लद्याख में हमारे वीर जवानों ने दुश्मनों को करारा जवाब दिया है। आज पूरा देश उनके शौर्य को नमन कर रहा है। वीर सपूतों के माता-पिता धन्य हैं। भारत दोस्ती निभाना जानता है, तो आंख उठानेवालों को जवाब देना भी जानता है। अपने वीर-सपूतों के बलिदान पर, उनके परिजनों में गर्व की जो भावना है, देश के लिए जो ज़ज्बा है – यही तो देश की ताकत है। आपने देखा होगा, जिनके बेटे शहीद हुए, वो माता-पिता, अपने दूसरे बेटों को भी, घर के दूसरे बच्चों को भी, सेना में भेजने की बात कर रहे हैं।”

प्रधानमंत्री ने कहा कि भारत ने जिस तरह मुश्किल समय में दुनिया की मदद की, उसने आज, शांति और विकास में भारत की भूमिका को और मज़बूत किया है। दुनिया ने भारत की विश्व बंधुत्व की भावना को भी महसूस किया है। अपनी संप्रभुता और सीमाओं की रक्षा करने के लिए भारत की ताकत और भारत की प्रतिबद्धता को भी देखा है। हमारा हर प्रयास इसी दिशा में होना चाहिए, जिससे, सीमाओं की रक्षा के लिए देश की ताकत बढ़े, देश और अधिक सक्षम बने, देश आत्मनिर्भर बने – यही हमारे शहीदों को सच्ची श्रद्धांजलि भी होगी।

लोग पूछ रहे हैं कि यह साल कब खत्म होगा ? लेकिन हमें चुनौतियों की संख्या देखकर किसी साल को खराब नहीं मानना चाहिए। भारत का इतिहास हीं चुनौतियों से भरा रहा है। भारत में बाधाएं दूर हुई, सृजन भी हुए।

आजादी से पहले हमारा देश रक्षा मामलों में कहीं आगे था, लेकिन आजादी के बाद जो हमसे पीछे थे, वो आगे हो गये हैं। लेकिन भारत फिर से आत्मनिर्भरता की ओर बढ़ रहा है। लोकल के लिए वोकल बनना भी एक तरह की देश की सेवा है।