बॉलीवुड अभिनेता अनुपम खेर इन दिनों अपनी फिल्म द कश्मीर फाइल्स को लेकर काफी चर्चा में बने हुए हैं। फिल्म को लेकर सोशल मीडिया पर अनुपम खेर खुलकर अपनी राय रख रहे हैं तथा कश्मीरी पंडितों से जुड़े इस मुद्दे पर काफी बेबाकी के साथ सामने आए हैं।
अरविंद केजरीवाल जो कश्मीरी फाइल्स का खुलकर तो विरोध नही कर रहे हैं हां पर उनका इन दिनो एक वीडियो सोशल मीडिया पर जरूर वायरल हो रहा है। जहां अरविंद केजरीवाल बचते बचाते इस फिल्म का विरोध करते नजर आ रहे हैं। इस वीडियो में अरविंद केजरीवाल इस फिल्म पर तंज कसते हुए कहते नजर आते हैं कि राजनीतिक पार्टियों को फिल्म का प्रचार नहीं करना चाहिए। सरकार द्वारा इस फिल्म से टैक्स हटाने को भी लेकर केजरीवाल ने कहा था कि टैक्स फ्री करने से अच्छा है कि इस फिल्म को ही फ्री कर दिया जाए। पर अपने अतीत की गलतियों के कारण अरविंद केजरीवाल को सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म पर लोगो के द्वारा ट्रोल भी होना पड़ा। कई लोगो ने तो इस वीडियो के साथ एक फोटो भी डाला जिसमे अरविंद केजरीवाल खुद कई फिल्मों के प्रचार करते नजर आ रहे हैं।
अरविंद केजरीवाल के पलटवार में क्या बोले अनुपम खेर।
अनुपम खेर ने मीडिया से बातचीत करते हुए अनुपम खेर ने फिल्म पर हो रही राजनीति और कश्मीर पंडितों के दर्द पर लगातार किए जा रहे कटाक्ष पर अपनी बेबाकी से बात रखी।
अनुपम खेर ने सबसे पहले बात दिल्ली के मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल के उस बयान पर की, जो उन्होंने फिल्म को टैक्स फ्री करने को लेकर विपक्ष पर हमला बोला। केजरीवाल ने कहा था कि अगर सबको मूवी दिखानी है तो डायरेक्टर को बोलो कि वो इसे यूट्यूब पर डाल दे, सब फ्री में देख लेंगे। कश्मीरी पंडितों के नाम पर करोड़ों कमाया जा रहा है। इस बयान के बाद केजरीवाल सुर्खियों में आ गए थे। ‘द कश्मीर फाइल्स’ में अहम भूमिका निभाने वाले अनुपम खेर ने उनके बयान को निंदनीय और अशोभनीय बताया है।
अनुपम खेर ने कहा कि द कश्मीर फाइल्स में कोई गाने नहीं है कोई लोकेशन नहीं हैं.. ये एक दर्दभरी रियल कहानी है। इस कहानी को जनता तक पहुंचाने में 32 साल लग गए। मुझे नहीं लगता है इस पर मुख्यमंत्री अरविंद केजरीवाल को इस तरह की बयानबाजी असंवेदनशील है। ये देश की जनता के साथ हुई एक त्रादसी थी जिसमें कई कश्मीरी पंडितों को किन हालातों से गुजरना पड़ा, आप सोच भी नहीं सकते हैं। आज तक वो न्याय के लिए भटक रहे हैं और इसपर उनका ऐसा बयान जख्मों पर नमक छिड़कना है।
गौरतलब बात है की फिल्म संचार का एक प्रकार है और अगर फिल्म समाज को शिक्षित करता है, सूचना देता और सत्य का साथ देता है। तो सरकार की भी यह जिम्मेदारी बनती है कि वह फिल्म को प्रोत्साहन प्रदान करे न की उसका मनोबल को कम करे।
कश्मीर में बड़ी संख्या में 1990 के दशक में कश्मीरी पंडितो का कितना बड़ा नर संहार हुआ यह तो सच्चाई है। अब सच्चाई को प्रदर्शित करने वालो का मनोबल तोड़ना समाज और देश के जन प्रतिनिधियों को कहां तक शोभा देता है।
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