कांग्रेस कार्यसमिति द्वारा पार्टी के नये अध्यक्ष पद चुनाव टलने के तुरंत बाद एक बड़ा गुट इस बात को लेकर हो गया सक्रिय, प्रियंका गांधी समेत इन नामों पर हो सकती है सहमती

कांग्रेस कार्यसमिति द्वारा पार्टी के नये अध्यक्ष और संघटनात्मक चुनावों को भले ही तीन महीने के लिए टाल दिया गया हो लेकिन कांग्रेस नेताओं का एक बड़ा गुट कार्यसमिति की बैठक के तुरंत बाद इस बात को लेकर सक्रिय हो गया है कि पार्टी का नया अध्यक्ष कौन हो। उच्च पदस्थ सूत्रों के अनुसार इन नेताओं की कोशिश है कि उत्तर भारत से पार्टी के किसी वरिष्ठ नेता को अब जिम्मेमदारी सौपने का समय आ गया है।

वहीं राहुल गांधी समर्थक गुट की बात कि जाए तो वह अभी भी इस कोशिश में जुटा है कि पार्टी की कमान उन्हें ही सौंपी जाए।

हालांकि  राहुल के निकट सूत्रों से संकेत मिल रहे हैं कि राहुल गांधी नए अध्यक्ष के चुनाव में उतरने के लिए तैयार नहीं हैं। इससे वे पहले भी साफ कर चुके हैं।

फिलहाल जिन नामों की चर्चा चल रही है उनमें अशोक गहलोत , सचिन पायलट, सुशील कुमार शिंदे और गुलाम नबी आज़ाद के नाम भी शामिल हैं। बावजूद इसके दोनों गुटों के नेता चाहते हैं कि गांधी परिवार से ही कोई नाम निकले जिस पर सहमति के आधार पर अध्यक्ष का नाम तय हो सके।

हालांकि गुलाम नबी आज़ाद कि पार्टी ने अभी बहुत बड़ी ज़िम्मेदारी दी है। पार्टी ने एक अहम कदम उठाते हुए जी-23 के नेता गुलाम नबी आजाद को पार्टी की कोविड राहत टास्क फोर्स का अध्यक्ष नियुक्त किया। वैसे देखा जाए तो जी-23 के ‘लेटर बम’ के बाद ये आजाद को पहली बड़ी जिम्मेदारी है। उम्मीद जताई जा रही है कि इससे बाकी वरिष्ठ नेताओं की नाराजगी कम होगी।

प्रियंका गांधी के नाम की भी है चर्चा

हालांकि बार बार कुछ नेताओं का इशारा प्रियंका गांधी की ओर रहता है लेकिन ये सब इस बात पर निर्भर करेगा कि वे खुद यह ज़िम्मेदारी लेने के लिए तैयार होती हैं या नहीं। पार्टी के कुछ वरिष्ठ नेता मसलन प्रमोद तिवारी, पी चिदंबरम, ग़ुलाम नबी आज़ाद, आनंद शर्मा चाहते हैं कि सोनिया गांधी ही पार्टी अध्यक्ष पद की जिम्मेदारी संभालती रहें लेकिन स्वास्थ कारणों से वे इसके लिए तैयार नहीं हैं।

कांग्रेस के अंदर शुरू हुई इस हलचल के साथ साथ समान विचारधारा वाले दलों में भी यह चर्चा शुरू हो गयी है कि राहुल के नेतृत्व में विपक्ष की एकता को मज़बूत नहीं किया जा सकता।

आरजेडी के सांसद मनोज झा का साफ़ मानना था कि पीएम नरेंद्र मोदी से लड़ने के लिए एक मज़बूत विपक्ष की ज़रुरत है और उसका नेतृत्व ऐसे हाथों में हो जो जिम्मेदारी और जवाबदेही के साथ अपनी भूमिका निभा सके।

कपिल सिब्बल-का छलका दर्द

कांग्रेस के अंदर कपिल सिब्बल पार्टी के आंतरिक हालातों से काफी आहात हैं। उनका कहना है कि जिस पार्टी में पच्चीसियों वर्ष लगा दिए उसे मरता हुआ कैसे देख सकते हैं। अब समय आ गया है जब कड़े फैसले करने होंगे जिसके लिए हम आपसी संवाद कर रहे हैं।

सिब्बल पहले भी पार्टी लीडरशिप पर सवाल उठा चुके हैं

सिब्बल ने कहा कि कांग्रेस वर्किंग कमेटी (CWC) के मेंबर नॉमिनेटेड हैं। CWC को पार्टी के कॉन्स्टीट्यूशन के मुताबिक डेमोक्रेटिक बनाना होगा। आप नॉमिनेटेड सदस्यों से यह सवाल उठाने की उम्मीद नहीं कर सकते कि आखिर पार्टी हर चुनाव में कमजोर क्यों हो रही है?

सिब्बल समेत कांग्रेस के 24 नेताओं ने सोनिया गांधी को चिट्ठी लिखकर पार्टी में बड़े बदलाव करने की जरूरत बताई थी। अगस्त में हुई CWC की मीटिंग में इस चिट्ठी को लेकर हंगामा भी हुआ था। राहुल गांधी ने चिट्ठी लिखने वाले नेताओं को भाजपा के मददगार बता दिया था।

आनंद शर्मा ने कही यह बात

आनंद शर्मा ने तो यहां तक कह डाला कि पार्टी को ऐसे नेतृत्व की ज़रुरत है जो सभी को साथ लेकर पारदर्शता के साथ फैसले ले और जवाबदेहि सुनिश्चित करे। इस बीच पार्टी नेता जो राहुल के नेतृत्व को लेकर संतुष्ट नहीं हैं वे भी सक्रिय होते जा रहे हैं।

उनकी मुश्किल हालांकि यह है कि नके सामने अभी तक कोई ऐसा चेहरा नहीं है जिसके नाम पर पार्टी में एक राय कायम हो सके। चूंकि प्रियंका सभी को साथ लेकर चलने की परम्परा महासचिव रहते हुए निभा रही हैं अतः दोनों गुट उनके नाम पर सहमति बनाने की कोशिश कर सकते हैं।