मुंबई की राजनीति में तुरुप के पत्ते की तरह क्यों इस्तेमाल होता है एक गुंडे का नाम…..

जिस अंडरवर्ल्ड डॉन और अमेरिका व भारत के मोस्ट वॉन्टेड दाऊद इब्राहिम से दुनिया खौफ खाती है। उसी का इस्तेमाल महाराष्ट्र की राजनीति में किसी ‘तुरुप’ के पत्ते जैसा होता नजर आ रहा है। दाऊद का नाम, काम और बदनामी का बेजा इस्तेमाल करने के चक्कर में एनसीपी नेता नवाब मलिक जेल में बंद पड़े हैं। वहीं अब महाराष्ट्र: में मचे सियासी घमासान में शिवसेना के गले की फांस बन चुके एकनाथ शिंदे ने भी दाऊद की आड़ में शिवसेना को घेर लिया है, यह कहते हुए कि बाल ठाकरे की शिवसेना भला दाऊद से संबंध रखने वालों का समर्थन कैसे कर सकती है?

ऐसा नहीं है कि दाऊद इब्राहिम का नाम महाराष्ट्र की राजनीति में पहले वक्त जरूरत के हिसाब से इस्तेमाल किया जा रहा हो। तब और आज में बस फर्क यह है कि पहले महाराष्ट्र के कुछ माननीय वक्त जरूरत पर दाऊद के नाम का इस्तेमाल दबे-छिपे करते थे। पर आज दाऊद- दाऊद की ही आवाजें महाराष्ट्र की राजनीति के गलियारों से सुनने में आ रही हैं। जिधर नजर डालिए वहीं अधिकांश राजनीतिज्ञ विरोधी को दाऊद के नाम पर चारों खाने चित करने की कोशिश करते नजर आ रहे है। वो फिर चाहे एनसीपी हो या कोई और राजनीतिक दल अब जब शिवसेना महाराष्ट्र में अपनों की ही बगावत का शिकार हुई पड़ी है, तो उसे ऐसे बुरे दौर में दाऊद के नाम पर कल तक शिवसेना के ही वफादार सैनिक रहे एकनाथ शिंदे ने घेर लिया है। मतलब फिर वही दाऊद, अंडरवर्ल्ड डॉन न होकर आज महाराष्ट्र की राजनीति में वाकई किसी तुरुप के पत्ते जैसा इस्तेमाल हो रहा है। यह अलग बात है कि पाकिस्तान की मांद में मुंह छिपाए पड़े दाऊद को भले ही इससे कोई नफा-नुकसान न हो रहा हो।

एकनाथ शिंदे ने दाऊद को लेकर दिया बयान

दाऊद को शायद यह भी न पता हो कि उसके बदनाम ‘नाम’ को महाराष्ट्र के नेतागण किस तरह से बखूबी इस्तेमाल कर रहे हैं। एक दूसरे की मिट्टी पलीत करने के लिए? कोई बड़ी बात नहीं कि अगर दाऊद से गुंडे को अगर अपने आज इस्तेमाल किए जा रहे नाम की कीमत पता चल जाए, तो उसका दिल फिर से मुंबई/महाराष्ट्र की राजनीति में उछल-कूद मचाने के लिए ललचा आए। बात अगर हालिया बयानबाजी की करें तो एकनाथ शिंदे ने भले ही दाऊद का नाम सीधे सीधे न लिया हो मगर कल तक, शिवसेना का ही खास हिस्सा रहे और आज शिवसेना के लिए ही सबसे बड़े विलेन बनकर उभरे एकनाथ शिंदे ने कहा है कि, ‘बाल ठाकरे की पार्टी उस दाऊद इब्राहिम के साथ सीधे संबंध रखने वाले लोगों का समर्थन कैसे कर सकती है जो कई बम विस्फोट करके निर्दोष मुंबईकरों को मारने के लिए जिम्मेदार है।’ मतलब साफ है कि यह कोई और नहीं मोस्ट वॉन्टेड दाऊद इब्राहिम ही है।

आज भी बिक रहा है दाऊद का नाम

दरअसल एकनाथ शिंदे की यह फब्ती एनसीपी नेता और फिलहाल महीनों से जेल में बंद नवाब मलिक को ही लेकर थी। सिर्फ दाऊद के ही नाम का इस्तेमाल क्यों? आज महाराष्ट्र की राजनीति में मचे घमासान में जिसके मन में जो आ रहा है वो तमाम सामाजिक मर्यादाओं को भूलकर बदजुबानी करने पर उतरा हुआ है। इसकी जीती-जागती मिसाल है, शिवसेना नेता संजय राउत का बयान जिसमें उन्होंने एकनाथ शिंदे और उनके साथ बागी विधायकों पर निशाना साधते हुए कहा है, ‘यह जो 40 लोग वहां हैं, वो जिंदा लाशों के समान हैं। यह मुर्दे हैं, उनके बॉडी यहां आएंगे, लेकिन उनकी आत्मा मर चुकी होगी। यह वहां झटपटा रहे हैं.’।

ट्विटर पर छिड़ी बहस

एक ट्वीट में शिवसेना के वरिष्ठ नेता एकनाथ शिंदे ने कहा कि अगर वे शिवसेना और बाल ठाकरे की विचारधारा को बचाते हुए मर जाते हैं तो वे खुद को भाग्यशाली समझेंगे। बता दें कि बीते चार पांच दिनों से छिड़े राज्य के सियासी घमासान में दाऊद इब्राहिम की जिस तरह से धमाकेदार एंट्री कराई गई है, वो आने वाले दिनों में भी बरकरार ही रहेगी। क्योंकि दाऊद जहां कूदता है या उसे कुदाया जाता है। महाराष्ट्र की राजनीति में वह वहीं बिक और खप जाता है। बस उसके नाम का बेजा इस्तेमाल करना आना चाहिए। एकनाथ शिंदे ने यह कमेंट ट्वीट के जरिए जारी किया था। जिसमें उन्होंने शिवसेना नेता और राज्यसभा सांसद संजय राउत को टैग किया, हालांकि अभी तक तक संजय राउत का इस पर कोई जवाब सामने नहीं आया है।

दाऊद के साथ कई बड़े नेताओं के जुड़े रहे हैं नाम…..

ऐसा नहीं है कि दाऊद का नाम और उसके कुकर्म महाराष्ट्र की राजनीति के गलियारों में बेचे जाने के धंधे ने आज ही जोर पकड़ा है। इतिहास उठाकर पढ़ने पर और भी बहुत कुछ काला-पीला लिखा हुआ पढ़ने को मिल सकता है। महाराष्ट्र में मचे राजनीतिक घमासान के बीच यहां जिक्र करना जरूरी है कि हमें 27 साल पुरानी वोहरा कमेटी को भी याद रखना होगा। जिसमें दाऊद इब्राहिम के साथ कई बड़े नेताओं का नाम शामिल होने और उनके साथ गठजोड़ की बातें उभर कर सामने आ चुकी हैं। भारतीय जनता पार्टी के नेता और पेशे से वकील अश्विनी उपाध्याय ने, केंद्र सरकार से इस रिपोर्ट को सार्वजनिक करने की मांग की है। कोई बड़ी बात नहीं है कि रिपोर्ट के सार्वजनिक होते ही कई बड़े नेताओं का नाम दाऊद इब्राहिम से सीधा जुड़ा हुआ मिल जाए। इस रिपोर्ट के उजागर होने पर महाराष्ट्र की सरकार पर भी आंच आ सकती है। इसमें भी कोई दो राय नहीं है। अश्वनी उपाध्याय तो इस रिपोर्ट को उजागर किए जाने के मुद्दे पर सुप्रीम कोर्ट जाने तक की बात कह चुके हैं।