बिहार में शिक्षक नियुक्ति प्रक्रिया पर से हाइकोर्ट की रोक हटी, शिक्षा मंत्री बोले-15 अगस्त तक हो जाएगी नियुक्ति

पटना उच्च न्यायालय द्वारा गुरुवार को राज्य के प्राथमिक से लेकर उच्च माध्यमिक तक के विद्यालयों में छठे चरण के नियोजन में आवेदन नहीं करने वाले दिव्यांगों को मौका देने के निर्देश पर शिक्षा विभाग ने तत्काल आगे की तैयारी आरंभ कर दी है। शिक्षा मंत्री ने कहा नियुक्ति की प्रक्रिया पूरी होने में दो से तीन महीने लगेंगे। विभाग से जल्द ही आवेदन के लिए विज्ञापन जारी करने के संकेत दिये। कोर्ट से मिली गाइडलाइन के मुताबिक केवल दिव्यांगों को शिक्षक नियोजन में आवेदन के लिए 15 दिनों का समय दिया जायेगा़। वहीं आवेदन से लेकर नियुक्ति पत्र बांटे जाने तक में कुल 60 से 70 दिन लगेंगे। नये आवेदनों के शामिल होने से मेधा सूची भी नए सिरे से बनेगी। फिर उसपर आपत्तियां ली जाएंगी। इसके बाद अंतिम मेधा सूची बनेगी। उसके बाद काउंसिलिंग, फिर नियुक्ति पत्र बंटेगा। उम्मीद है, 15 अगस्त से पहले सवा लाख शिक्षकों को नियुक्ति पत्र बंट जाए।

फैसले का शिक्षा मंत्री ने किया स्वागत

शिक्षा मंत्री विजय कुमार चौधरी ने हाइकोर्ट फैसले का स्वागत करते हुए कहा कि अब हम दो से तीन माह के अंदर चयनित शिक्षक अभ्यर्थियों को नियोजन पत्र बांट देंगे़ उन्होंने कहा कि प्रदेश को शिक्षकों की जरूरत थी़ हमारे यहां लाखों पद खाली हैं. इन योग्य शिक्षक की नियुक्ति होने से शिक्षकों की कमी की काफी हद तक दूर हो सकेगी़

शिक्षा मंत्री चौधरी ने साफ किया कि हमारी सरकार शुरू से इस नियोजन को पूरा करने के लिए संकल्पित थी़ उसी संकल्प को हम पूरा कर रहे हैं. फिलहाल हाइकोर्ट के जरिये गतिरोध दूर हो गया़ उन्होंने कहा कि सरकार दिव्यांग और अन्य वर्गों को मिलने वाले आरक्षण को लागू करने के लिए हमेशा संकल्पित रही है़ दिव्यांग मामले में हमने अपने संकल्प से कोर्ट को अवगत करा दिया था़

शिक्षा मंत्री ने कहा कि ‘वैसे तो सरकार एक सप्ताह में नियुक्ति पूरी कर लेने की तैयारी में थी, लेकिन हाइकोर्ट ने सरकार के संकल्प को स्वीकार करके सकारात्मक निर्णय लेकर नियोजन पूरा कराने के लिए कहा है़ उन्होंने बताया कि कोर्ट से मिली गाइडलाइन के मुताबिक केवल दिव्यांगों को शिक्षक नियोजन में आवेदन के लिए 15 दिनों का समय दिया जायेगा़। इसके लिए जल्द ही शेड्यूल जारी किया जायेगा़। इसके बाद समेकित रूप में मेधा सूची बनायी जायेगी़। आपत्ति लेते हुए नियोजन की औपचारिकताएं पूरी की जायेंगी़ दो-तीन माह में नियोजन को पूरा कर लिया जायेगा।’

सरकार ने दिये थे दो विकल्प

हाइकोर्ट द्वारा नियुक्ति पर रोक लगा लगाये जाने की वजह से अंतिम चयन सूची की अधिसूचना जारी नहीं की जा सकी है। महाधिवक्ता ने कोर्ट के समक्ष यह भी कहा था कि या तो रिट याचिका के अंतिम परिणाम के फलाफल के अनुसार राज्य सरकार को नियुक्ति को अंतिम रूप देने की अनुमति दी जाये या तो वैकल्पिक तौर पर 1.25 लाख पदों में से चार फीसदी को दिव्यांगों के लिए सुरक्षित रखने की अनुमति दी जाये, जिसे की रिट याचिका के निष्पादन होने के बाद भरा जायेगा। इस बीच शेष अभ्यर्थियों की नियुक्ति की अनुमति दी जाये।

ब्लाइंड एसोसिएशन, दिव्यांगों की है जीत

नेशनल ब्लांइड एसोसिएशन ने पटना उच्च न्यायालय के फैसले को बिहार के दिव्यांगों और खासतौर से नेत्रहीनों की जीत बताया है। राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ की बिहार शाखा के महासचिव डॉ. विनय कुमार ने हाईकोर्ट व राज्य सरकार का आभार जताया है। कहा कि संघ द्वारा दायर दो याचिकाओं पर मुख्य न्यायाधीश ने ऐतिहासिक फैसला दिया। एक याचिका शिक्षक नियोजन से संबंधित थी। जिस पर कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि दिव्यांगों का फॉर्म फिर से भरवाया जाए। आरक्षण का पालन सही तरीके से करते हुए सामान्य अभ्यर्थियों के साथ उनकी नियुक्ति की जाए। दूसरी याचिका बैकलॉग से संबंधित थी जिसमें कोर्ट ने सरकार को आदेश दिया है कि 1995 से 2017 तक जितनी नियुक्तियां हुईं उनकी गणना कर दिव्यांगों के लिए कितनी सीट बनती है, इसकी सूची राष्ट्रीय दृष्टिहीन संघ को 4 माह में उपलब्ध करायी जाय।

दूसरी ओर फेडरेशन ऑफ ब्लाइंड एसोसिएशन की ओर से वरीय अधिवक्ता श्री रूंगटा ने कोर्ट को बताया था कि पहले दिव्यांगों के लिए खाली जगहों को अधिसूचित किया जाना चाहिए। वैसे दिव्यांग शिक्षक अभ्यर्थी, जो आवेदन नहीं कर पाये हैं, उन्हें नये सिरे से आवेदन करने का मौका दिया जाना चाहिए और तभी अंतिम रूप से नियुक्ति की जानी चाहिए।

कोर्ट ने छूटे हुए दिव्यांगों को नये सिरे से आवेदन के लिए 15 दिनों का मौका दिये जाने की बात स्वीकार कर ली। कोर्ट की सहमति के बाद अब शिक्षा विभाग नये सिरे से दिव्यांगों के लिए शेडयूल जारी करेगा। शिक्षा विभाग के अपर मुख्य सचिव संजय कुमार ने साफ किया कि इसी हफ्ते शेड्यूल जारी करने का प्रयास किया जायेगा. विभाग इस दिशा में काम कर रहा है।