बिहार सरकार अब सरकारी जमीन केस में ‘कोर्ट’ में पक्ष नहीं रखने वाले अधिकारियों पर लगी एक्शन, समतुल्य राशि की होगी वसूली!

सरकारी जमीन से संबंधित स्वत्ववाद से जुड़े मामलों में सरकार का पक्ष मजबूती और समय रहते नहीं रखने और सरकारी भूमि के संरक्षण में शिथिलता-लापरवाही बरतने वाले राजस्व अधिकारियों-कर्मियों को चिहिन्त किया जाएगा।

विभाग वैसे लापरवाह सरकारी सेवकों के खिलाफ विभागीय एवं अनुशासनिक कार्रवाई करेगा। जिन पदाधिकारियों या कर्मियों की कर्त्तव्यहीनता के चलते सरकार को क्षति पहुंचती है, उनके खिलाफ उक्त सरकारी भूमि के समतुल्य राशि की वसूली की जाएगी।

राजस्व एवं भूमि सुधार विभाग के अपर मुख्य सचिव विवेक कुमार सिंह ने इस संबंध में सभी जिलाधिकारियों को पत्र लिखा है। विभाग के मंत्री रामसूरत कुमार ने भी सरकारी जमीन के संरक्षण में सरकारी पदाधिकारियों द्वारा बरती जा रही शिथिलता को लेकर कई बार चिंता जाहिर की है। दरअसल पटना उच्च न्यायालय ने सीडब्ल्यूजेसी0 22753/13 एवं सीडब्ल्यूजेसी15936/19 की सुनवाई के दौरान व्यवहार न्यायालयों में सरकारी जमीन के मामलों में एकपक्षीय फैसला देने की प्रवृति को रोक लगाने के लिए विभाग के प्रधान सचिव को आवश्यक कदम उठाने को निदेश दिया था। आदेश के आलोक में एकपक्षीय आज्ञप्ति के मामलों पर रोक लगाने के लिए विभाग के स्तर से वरीय अधिकारियों की एक समिति गठित की गई।

जिला पदाधिकारियों से लिखे पत्र में जिला एवं अनुमण्डल स्तर पर सरकारी भूमि के संरक्षण/सुरक्षा एवं दायर स्वत्ववादों की समीक्षा हके लिए परामर्शदातृ समितियों के गठन का निदेश दिया गया है। जिला स्तरीय परामर्शदातृ समिति 7 सदस्यीय होगी। जिसके अध्यक्ष जिले के समाहर्त्ता होंगे, विधि शाखा के प्रभारी पदाधिकारी उसके सदस्य सचिव होंगे। इस समिति में अपर समाहर्त्ता और जिला भू-अर्जन पदाधिकारी समेत 5 और अधिकारी शामिल होंगे। इसी तरह अनुमंडल स्तरीय परामर्शदातृ समिति के अध्यक्ष अनुमंडल पदाधिकारी होंगे। जबकि भूमि सुधार उप समाहर्त्ता सदस्य सचिव होंगे। इस समिति में अनुमंडल मुख्यालय स्थित अंचल के अंचल अधिकारी समेत 3 और अधिकारियों को शामिल किया गया है।

जिला स्तर पर प्रभारी पदाधिकारी, विधि शाखा की तरह अनुमंडल स्तर पर भी एक विधि पदाधिकारी या प्रभारी विधि शाखा का गठन किया जाए। संबंधित अधिकारी स्वत्व वाद के मामलों को सूची बद्ध कर सरकारी वकील के माध्यम से सरकारी पक्ष रखेंगे। जिला समाहर्त्ता द्वारा व्यवहार न्यायालयों से यह अनुरोध किया जाए कि जिस प्रकार उच्च न्यायालय में दायर याचिकाओं के मामले में सरकार को प्रतिशपथ पत्र दायर करने का अवसर दिया जाता है ,एवं दोनों पक्षों को सुनने के बाद निर्णय लिया जाता है। उसी प्रकार स्वत्ववादों में प्रति शपथ-पत्र दायर करने के बाद ही निर्णय लिया जाए।