राजीवनगर अतिक्रमण मामला: रविवार को भी अतिक्रमण हटाने में क्यों इतने तत्पर थे अधिकारी, क्या रविवार को जनता के समस्याओं का करेंगे निवारण- पटना उच्च न्यायालय।

बिहार की राजधानी पटना के राजीवनगर इलाके में स्थित नेपाली नगर इन दिनो सुर्खियों में है। और हो भी क्यों ना बात कई जिंदगियों की जो है। अतिक्रमण हटाने के लिए चल रहे बुल्डोजर को हाई कोर्ट के फैसले के बाद मजबूरन अधिकारियों को बंद करवाना पड़ा। मामला उच्च न्यायालय के अधीन है। हाइकोर्ट ने राजीव नगर के नेपाली नगर में वहां के निवासियों द्वारा आवास बोर्ड की जमीन पर किये गये अवैध कब्जा को नहीं तोड़ने संबंधी अपने पूर्व के आदेश को बरकरार रखा है। कोर्ट ने सरकार को कहा कि इस याचिका के निबटारा होने तक इस मामले में वहां यथास्थिति बरकरार रखी जाये। कोर्ट ने जिला प्रशासन से कहा कि नेपाली नगर के जिस इलाके की जमीन पर बने मकान को अवैध अतिक्रमण के नाम पर तोड़ा गया है और उसमें रहने वाले वहां अब भी रह हैं, तो उन्हें अभी नहीं हटाया जाये। साथ ही उन्हें जरूरत के अनुसार पानी व बिजली की सुविधा जो समाप्त कर दी गयी है, उसे तत्काल अगले आदेश तक उपलब्ध करा दिया जाये।

न्यायाधीश संदीप कुमार की एकलपीठ ने गजेन्द्र कुमार सिंह एवं अन्य द्वारा याचिका पर सुनवाई करते हुए यह निर्देश दिया। अगली सुनवाई 14 जुलाई को होगी। उस दिन पटना के डीएम, पटना सदर के सीओ, हाउसिंग बोर्ड के एमडी व एस्टेट ऑफिसर को कोर्ट में उपस्थित रहना होगा।


इसके साथ ही उच्च न्यायालय ने अधिकारियों से यह भी पूछा है कि अगर नेपाली नगर के लोग गैर कानूनी तरीके से मकान बना रहे थे, तो राजीव नगर थाना और आवास बोर्ड के संबंधित अधिकारी जिनकी प्रतिनियुक्ति वहां थी वे क्या कर रहे थे? याचिकाकर्ता की ओर से वरीय अधिवक्ता बसंत कुमार चौधरी, राज्य सरकार की ओर से महाधिवक्ता के साथ ही सरकारी अधिवक्ता किंकर कुमार, आवास बोर्ड के अब्बास हैदर उपस्थित थे।


कोर्ट ने हाउसिंग बोर्ड के क्रियाकलापों पर नाराजगी जाहिर करते हुए कहा कि उनके अधिकारियों और पुलिस की मिली भगत से यह अतिक्रमण हुआ है। कोर्ट ने कहा कि इस मामले में आवास बोर्ड और पुलिस के वे संबंधित सभी पदाधिकारी जिनके क्षेत्र में यह इलाका आता है, उन पर करवाई जरूर की जायेगी। कोर्ट ने कहा कि अगर जरूरत पड़ी तो इसकी जांच किसी भी निष्पक्ष एजेंसी से भी कराई जा सकती है।


कोर्ट ने कहा कि वहां मकान बनाकर रह रहे लोगों को बिना व्यक्तिगत नोटिस दिये रविवार के दिन ही यह कार्रवाई क्यों की गयी? कोर्ट ने कहा-क्या उस दिन कोई कार्यालय खुला रहता है! आखिर क्या जरूरत आ पड़ी कि यह कार्य रविवार को ही किया गया? कोर्ट ने महाधिवक्ता से जानना चाहा कि क्या पब्लिक का कोई जरूरी काम रविवार को कार्यालय में किया जायेगा? क्या प्रशासन रविवार को काम करता है। कोर्ट का कहना था कि प्रत्येक व्यक्ति को नोटिस जारी कर उन्हें सुन कर और जानकारी देकर कानूनी तरीके से यह कार्रवाई की जाती तो, किसी को यह आरोप लगाने का मौका ही नहीं मिलता कि सरकार ने गैरकानूनी तरीके से मकान तोड़ा है।

आपको बता दें कि कोर्ट ने पिछले 25 साल राजीव नगर क्षेत्र की देखरेख करने वाले स्टेट ऑफिसर व थाने में पुलिस अफसर के साथ आवास बोर्ड के एमडी रहे सभी लोगो की सूची नाम- पता सहित मांगा है।


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